मानसून में आपदा से लड़ने के लिए बनाई डी-क्यूआरटी टीमें, जयपुर में पांच जगहों पर 72 वॉलिंटियर मुस्तैद
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मानसून में आपदा से लड़ने के लिए बनाई डी-क्यूआरटी टीमें, जयपुर में पांच जगहों पर 72 वॉलिंटियर मुस्तैद

सर्दी, गर्मी या बारिश कोई भी मौसम हो आपदा कहकर नहीं आती, ये बात तो सभी कहते हैं, लेकिन जयपुर की सिविल डिफेंस की टीम हर प्रकार की आपदा से लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहती है. मानसून के लिए भी इस बार सिविल डिफेंस की टीम मय संसाधनों से लैस होकर तैयार हैं.

मानसून में आपदा से लड़ने के लिए बनाई डी-क्यूआरटी टीमें, जयपुर में पांच जगहों पर 72 वॉलिंटियर मुस्तैद

Jaipur: सर्दी, गर्मी या बारिश कोई भी मौसम हो आपदा कहकर नहीं आती, ये बात तो सभी कहते हैं, लेकिन जयपुर की सिविल डिफेंस की टीम हर प्रकार की आपदा से लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहती है. मानसून के लिए भी इस बार सिविल डिफेंस की टीम मय संसाधनों से लैस होकर तैयार हैं.

नाव में सवार सिविल डिफेंस की टीम को इंतजार हैं अब फोन की घंटी बजने का. किसी भी तरह की आपदा में नागरिकों की सुरक्षा के लिए जयपुर जिले की नागरिक सुरक्षा की टीम मुस्तैदी से तैयार हैं. 85 तरह के बाढ़ बचाव संसाधनों से लैस सिविल डिफेंस की टीमों ने जिले के पांच अलग-अलग लोकेशन पर पूरी तरह से मोर्चा संभाल लिया है. सिविल डिफेंस के डिप्टी कंट्रोल अमित शर्मा ने बताया कि इस बार बाढ़ बचाव के दौरान 72 वॉलिंटियर की तीन डी-क्यूआरटी टीमें बनाई गई हैं. जो 8-8 घंटे की शिफ्ट में अपनी ड्यूटी देगी. अब तक सिविल डिफेंस की टीम ने 2 हजार से ज्यादा रेस्कयू ऑपेरशन किए हैं. 

इसमें इंसान ही नहीं, मुसीबत में फंसे पशु भी शामिल हैं. बड़ी बात तो ये है कि अब जयपुर शहर में किसी तरह की घटना होने पर तुरंत सिविल डिफेंस की टीम मौके पर पहुंच जाती है. इतना ही नहीं जयपुर से बाहर बोरवेल में फंसे बच्चों को निकालने में भी जयपुर से सिविल डिफेंस की टीमों को भेजा गया है. राज्य सरकार से इनके पास हाई तकनीक के उपकरण उपलब्ध हुए हैं. इन उपकरण से पानी में कितनी भी गहराई में व्यक्ति का शव हो उसे बाहर निकाला जा सकता है. शर्मा ने बताया कि खाली बोतल से तैयार लाइफ जैकेट, थर्माकोल से तैयार लाइफ जैकेट, घरेलू उपयोग में आने वाले डेकची से तैयार लाइफ जैकेट, टीना डिब्बे से बनाए गए उपकरण से भी बाढ़ के समय बचा जा सकता है.

सिविल डिफेंस के डिप्टी कंट्रोलर अमित शर्मा ने बताया कि कोरोना के साथ—साथ सिविल डिफेंस टीम अब मानसून में आपदा से लड़ने के लिए भी तैयार हो गई है. कभी क्वारेंटाइन सेंटर और शहर में राशन पहुंचाने, छिड़काव करने और जागरुकता का संदेश देने वाले स्वयंसेवक अब फिर बड़ी जिम्मेदारी में जुट गए है. सिविल डिफेंस के उपनियंत्रक अमित शर्मा की देखरेख में फिलहाल स्वयंसेवकों की टीमें बनाई गई है...इन्हें रेस्क्यू के संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं. जयपुर जिले में करीब 1000 सिविल डिफेंस वॉलेंटियर है. एक दिन में 24 सिविल डिफेंस वॉलिंटियर की ड्यूटी रहती है और ड्यूटी रोटेशन में चलती रहती है.

टीम के पास रेस्क्यू बोट, एग्जॉस्टर मशीन, स्कूबा डाइविंग, ब्रिडिंग ऑपरेटर सेट, कम्युनिकेशन सिस्टम, मूवेबल टेंट, लाइफ जैकेट, फ्लेक्सिबल स्ट्रेचर, फैब्रिक टेंट, वाटरप्रूफ कवर, जरकिन, सीटहारनेस, टार्च सहित सहित अन्य उपकरण हैं. उपकरणों के जरिए आग लगने वाली जगह से धुएं को बाहर निकाल सकते हैं. पानी में डूबे व्यक्ति को अंडर वाटर कैमरे जरिए तलाशा जा सकता है. शर्मा ने बताया कि कोविड की आपदा हो, त्योहार हो या कानून व्यवस्था संभालने की चुनौती.....पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के साथ सिविल डिफेंस हर मोर्चे पर डटा रहा हैं. अब मानसून में किसी भी तरह की आपदा से निपटने के भी पूरी तरह से तैयार हैं.

बहरहाल, बचाव दल के जवानों ने आपदा के समय व्यक्ति को पानी के भीतर खोजने समेत उसे सुरक्षा पूर्वक लाइफ बोट तक लाने से लेकर बचाव के दौरान उपयोग होने वाले सभी उपकरणों का डेमो किया. इसमें सही तरीके से लाइफ जैकेट पहनना, डूबते व्यक्ति को तैराक द्वारा बचाए जाना, अंडर वाटर डाइविंग कर पानी के भीतर व्यक्तियों को पता लगाना भी ड्रिल किया गया.

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