CM Ashok Gehlot reached Delhi: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अहमदाबाद से सीधे दिल्ली पहुंचे जहां सीएम गहलोत शाम को कांग्रेस की अहम बैठक में भाग लेंगे.
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CM Ashok Gehlot reached Delhi: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अहमदाबाद से सीधे दिल्ली पहुंचे जहां सीएम गहलोत शाम को कांग्रेस की अहम बैठक में भाग लेंगे. दिल्ली पहुंचने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मीडिया से रूबरू हुए. राजस्थान में घटित घटनाओं पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आयोग अपना काम कर रहा है उसका जवाब देंगे लेकिन हमने राजस्थान में कुछ नवाचार किए है. जिसकी बदौलत आजकल ज्यादा केस रजिस्टर हो रहे हैं.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुजरात से दिल्ली लौटने के बाद बदले-बदले से हैं आमतौर पर शांत, विनम्र और गंभीर रहने वाले गहलोत के तेवर अलग नजर आ रहे है. अशोक गहलोत पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधते हुए चुनावी रणनीति को लेकर बहुत कुछ कह दिया.
केस की तफ्तीश में औसतन 300 दिन लगते थे लेकिन अब 57 दिन में पूरी
सीएम गहलोत ने कहा कि हर किसी पीड़ित की एफआईआर दर्ज करना कंपलसरी कर दी है. हमने रिसेप्शन बनाकर हर पीड़ित की बात को सुना जाता है. हमें यह पता था कि इस कदम से केसों की संख्या बढ़ेगी लेकिन यह सब बातें समझनी नहीं पड़ेगी. पहले किसी केस की तफ्तीश में औसतन 300 दिन लगते थे लेकिन हमारे इस कदम से अब 57 दिन में तफ्तीश पूरी हो जाती है.
जालौर मामले में प्रायोरिटी तहकीकात चल रही है- सीएम गहलोत
सरकार के बेस पर जो बेहतर हो सकता है समय की मांग के अनुसार वह काम कर रहे हैं. जालौर के केस की भी प्रायोरिटी तहकीकात चल रही है. उसी समाज के एडीजी को भेजकर घटना की हकीकत तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ लोगों को ऐसी भ्रामक खबरें फैलाने में मजा आता है. कुछ मीडिया के संबंधों का गलत फायदा उठाते हैं.
दलितों के घर जाकर उनको समानता का दर्जा दें- सीएम गहलोत
लेकिन हमारा काम है सत्य के रास्ते पर चल कर पीड़ित, शोषित, दलित को न्याय दिलाना. ऐसी घटना मानवता पर कलंक है. आरएसएस वाले हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कर रहे हैं. हम भी कह रहे है दलित भी हिंदू ही है. इनको भी उचित सम्मान देना चाहिए. बीजेपी वालों को चाहिए कि दलितों के घर जाकर उनको समानता का दर्जा दे. जैसा कि गांधी जी ने आजादी के आंदोलन के दौरान किया था.
देश में बेसिक समस्याओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को ध्यान देना चाहिए. यह केवल हिंदू मुस्लिम की बातें करते है. लोकतंत्र को ताक पर रख बातें कर रहे है. यह टेंडेंसी खतरनाक है. देश में संविधान कानून से चलता है. कानून सबके लिए बराबर होता है. अब बीजेपी वालों ने परिवार के झगड़े को लेकर जिस महिला को प्रताड़ित किया गया उसको सोशल मीडिया पर डालकर दुष्प्रचारित किया जा रहा है कि सीएम को पता ही नहीं है.
कांग्रेस 28 अगस्त को रामलीला मैदान में बड़ी रैली करेगी- सीएम गहलोत
देश के बेसिक मुद्दों पर कांग्रेस 28 अगस्त को रामलीला मैदान में बड़ी रैली करने जा रही है उसको लेकर आज हम बैठक करेंगे. हमने 5 अगस्त को महंगाई बेरोजगारी को लेकर जो काले कपड़े पहन कर विरोध प्रदर्शन किया था उससे केंद्र सरकार घबराई गयी थी. इसलिए मोदी ने कहा काला जादू आ गया. हम लोग शुरू से ही जादू टोना के खिलाफ रहे हैं. जादू में ट्रिक होती है. जिसमें मेरा विश्वास है. मेरा जादू प्रदेश में परमानेंट है . मेरा जादू अपने आप चलता रहता है. अंतिम सांस तक सेवा करना मेरा मकसद रहता है. शोषित, पीड़ित, गरीब, असहाय की सेवा के लिए फैसले करना अच्छा लगता है. जनता के लिए मैंने बेहतर से बेहतर फैसले किए मैं संतुष्ट हूं. लेकिन जनता चुनाव हरा देती है. उसका क्या कर सकते हैं? सरकार बदलती हैं? तो कई योजनाओं को रोक देती है. रिफाइनरी को देख लो रोकने से कॉस्ट कितनी बढ़ गयी.
मेरा जादू प्रदेश में परमानेंट है- सीएम गहलोत
इस बार मैं जनता से अपील करना चाहता हूं कि एक बार फिर हमें जीताओ ताकि दूसरी सरकार आपके हित की योजना बंद नहीं कर सके. ERCP का मुद्दा ही ले लो केंद्र सरकार अड़ी हुई है. 13 जिलों की जनता के हक का पानी उसके इस्तेमाल की मंजूरी नहीं दे रही. पिछली बार राष्ट्रपति भवन में PM से मिला तो मैंने उनसे रिक्वेस्ट किया राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की. राजस्थान के मंत्री होते हुए भी एक योजना को राष्ट्रीय परियोजना स्वीकृत नहीं करवा सकते.
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अमृत महोत्सव को लेकर अशोक गहलोत ने दिए ये बयान
प्रधानमंत्री के भाषण पर CM ने कहा कि इतिहास को बदलने की कोशिश कर रहे हो उस सवाल खड़ा होता है. आजादी दिलवाने वालो को याद नहीं करो. तो किसलिए अमृत महोत्सव मना रहे हो. नेहरू जी के योगदान को दुनिया याद करती हैं, आतंकवाद खत्म करने के लिए इंदिरा गांधी शहीद हो गयीं, एशिया महाद्वीप में शांति स्थापित करने के प्रयास में राजीव गांधी शहीद हो गए उनके त्याग समर्पण को याद किए बिना कैसा आजादी का अमृत महोत्सव?
ऐसे आप करोगे तो आपको भी कौन याद करेगा कि कोई मोदी नाम के प्रधानमंत्री हुए थे. कितने बलिदान के बाद यह आजादी पाई और उस दौर के कौन मुसाफिर थे. इस तरह से आजादी के सफर को भुलाने की कोशिश करने से दुख होता है.