Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपने अनुभवों के आधार पर चाणक्य नीति में कुछ ऐसी बातें कही हैं, जिनका पालन करने से व्यक्ति बड़ी से बड़ी चुनौतियों का आसानी से सामना कर सकता है.
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Chanakya Niti: चाणक्य जिन्होंने अपने ज्ञान को सिर्फ खुद तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि दूसरों का भी मार्गदर्शन किया. अपने ग्रंथ चाणक्य नीति में आचार्य ने अपने अनुभवों के आधार पर लोगों के जीवन को आसान बनाने का मार्ग दिखाया है. यदि आचार्य की बातों का लोग पालन कर लें, तो तमाम समस्याओं से आसानी से निपट सकते हैं. चाणक्य अपने 13वें अध्याय के 15वें श्लोक में एक ऐसे अवगुण का जिक्र किया है, जो व्यक्ति की सारी मेहनत पर पानी फेर सकता है. आइए जानते हैं वो कौन-सा अवगुण है ?
अनवस्थितकायस्य न जने न वने सुखम्, जनो दहति संसर्गाद् वनं संगविवर्जनात
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी काम में सफलता के लिए मन को काबू करना बहुत जरूरी है, जिसका मन स्थिर नहीं होता, उस व्यक्ति को न तो लोगों के बीच में सुख मिलता है और ना ही वन में. ऐसे व्यक्ति को लोगों के बीच ईर्ष्या जलाती है और वन में अकेलापन.
आपको विस्तार से बताएं तो ऐसे समझिए कि जीवन में किसी भी काम में सफलता प्राप्त करने के लिए मन की चचंलता को दूर करना बहुत जरूरी है, क्योंकि जिसका मन चंचल है, वो व्यक्ति चाहे कितनी ही मेहनत कर लें, लेकिन जल्दी सफल नहीं हो पाता. ऐसे व्यक्ति का चित्त कहीं भी नहीं ठहरता. बार-बार भटकने की वजह से वो कहीं भी खुद को एकाग्र नहीं कर पाता. जब व्यक्ति फेल होता है, तो दूसरों को तरक्की करते हुए देखकर जलता है. ऐसे में उसे न तो सबके बीच खुशी मिलती है और न ही अकेलेपन में शांति मिल पाता है.
ध्यान दें कि वास्तव में आपको सफल होना है, तो चंचल मन को काबू करना जरूरी है. जिसका मन वश में होता है, वो कुछ भी हासिल कर सकता है. गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने मन को वश में रखने का महत्व समझाते हुए कहा है, ''मन के जीते जीत है, मन के हारे हार'' यानी अगर आपने मन को जीत लिया तो आपके लिए कुछ भी जीतना मुश्किल नहीं, लेकिन अगर आप अपने मन के गुलाम हैं, तो आप वही करेंगे जो आपका मन आपसे करवाएगा. ऐसे व्यक्ति का सफल होना नामुमकिन है. इसलिए यदि जीवन में आगे बढ़ने का सपना देखते हैं तो पहले मन को वश में करना सीखें.
सफल होने के लिए इन 6 बातों का हमेशा रखें ध्यान
- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि वही व्यक्ति समझदार और सफल है, जिसे इस प्रश्न का उत्तर हमेशा मालूम रहता है. समझदार व्यक्ति जानता है कि वर्तमान समय कैसा चल रहा है और अभी सुख के दिन हैं या दुख के, इसी के आधार पर वह कार्य करता है.
- हमें ये मालूम होना चाहिए कि हमारे सच्चे मित्र कौन-कौन हैं और मित्रों के वेश में शत्रु कौन-कौन है. मित्रों के वेश में छिपे शत्रु को पहचानना बहुत जरूरी है, अगर मित्रों में छिपे शत्रु को नहीं पहचान पाएंगे तो कार्यों में असफलता ही मिलेगी.
- यह देश कैसा है यानी जहां हम काम करते हैं, वह स्थान, शहर और वहां के हालात कैसे हैं ? कार्यस्थल पर काम करने वाले लोग कैसे हैं ? इन बातों का ध्यान रखते हुए काम करेंगे तो असफल होने की संभावनाएं बहुत कम हो जाएंगी.
- समझदार इंसान वही है तो अपनी आय और व्यय की सही जानकारी रखता है. व्यक्ति को अपनी आय देखकर ही व्यय करना चाहिए. आय से कम खर्च करेंगे तो थोड़ा-थोड़ा ही सही पर धन संचय हो सकता है.
- हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारा प्रबंधक, कंपनी, संस्थान या बॉस हमसे क्या चाहता है. हम ठीक वैसे ही काम करें, जिससे संस्थान को लाभ मिलता है और अगर संस्थान को लाभ होगा तो कर्मचारी को भी लाभ मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.
- ये आखिरी बात सबसे जरूरी है, हमें ये मालूम होना चाहिए कि हम क्या-क्या कर सकते हैं. वहीं काम हाथ में लेना चाहिए, जिसे पूरा करने का सामर्थ्य हमारे पास है और अगर शक्ति से अधिक काम हम हाथ में ले लेंगे तो असफल होना तय है.
(Disclaimer: यह सभी बातें चाणक्य नीति से मिली जानकारियों पर आधारित हैं. ZEE Media इनकी पुष्टि नहीं करता है.)
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