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जयपुर: एसीबी एडीजी के ट्रेप के दौरान भ्रष्टाचारी अफसर-कर्मचारियों के नाम उजागर नहीं करने के आदेश के बाद बीजेपी राज्य सरकार पर हमलावर हो गई है. बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने आदेश को तुगलकी फरमान बताते हुए सरकार पर भ्रष्टाचारियों को बचाने का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि भ्रष्टाचारी और अपराधी बेनकाब होना चाहिए .
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने बयान जारी कर कहा कि राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की अशोक गहलोत सरकार ठगी और वादा खिलाफी के लिए कुख्यात हो चुकी है, किसानों और नौजवानों से वादाखिलाफी की. जीरो टॉलरेंस और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की बात कहने वाली अशोक गहलोत सरकार ने एक तुगलकी फरमान जारी किया है, जिसमें साफ दिख रहा है कि यह आदेश भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला आदेश है.
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खुद मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में पब्लिक डोमेन में स्वीकार किया गया कि तबादलों के लिए रिश्वत ली जाती है. राजस्थान में एसीबी की कार्रवाई का उल्लेख करें तो लगभग प्रतिवर्ष 600 मामले निशाने पर आते हैं. कांग्रेस शासन में कोई ऐसी जगह बची नहीं जहां भ्रष्टाचार नहीं होता हो, ऐसा लगता है कि राजस्थान के पाताल से लेकर आकाश तक भ्रष्टाचार का बोलबाला है.
हर 12 किलोमीटर पर भ्रष्टाचार
डॉ पूनिया ने कहा कि एक आकलन है कि कांग्रेस सरकार के शासन में हर 12 किलोमीटर पर भ्रष्टाचार होता है. भ्रष्टाचार इस चरम पर है कि भ्रष्टाचार का मैन्यू कार्ड बना हुआ है, दबे सुर में अधिकारी भी इस बात को स्वीकार करते हैं. राजस्थान की जनता के बीच में यह स्थापित हो चुका है कि अब तक की राजस्थान की सबसे भ्रष्ट कोई सरकार है तो कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार है l
कानून से ज्यादा मानहानि का डर
सतीश पूनिया ने कहा कि एसीबी ने जो निर्देश जारी किया उसमें बताया कि अब जो भ्रष्टाचारी ट्रैप किए जाएंगे, उनकी फोटो और नाम जगजाहिर नहीं किया जाएंगे, सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे. कहा तो यह जाता है कि अपराधी को समाज के समक्ष लाओ, जिससे वह शर्मिंदा भी हो, उसकी मानहानि भी हो, कानून अपना काम करेगा, लेकिन इस तरीके से कांग्रेस सरकार के तुगलकी फरमान से तो लगता है जो भ्रष्टाचारी, जो अपराधी बेनकाब होने चाहिए.कांग्रेस सरकार उनको बचाना चाहती है . कांग्रेस पार्टी की सरकार के फरमान से यह स्थापित हो गया कि कांग्रेस पार्टी भ्रष्टाचारियों को बचाना चाहती है, और क्यों ना बचाए जब कांग्रेस सरकार के शासन में नमक में आटे जैसी स्थिति बनी हुई है. करप्शन को लेकरl भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली अशोक गहलोत सरकार के इस आदेश से सरकार का यू-टर्न साफ तौर पर दिखाई दे रहा है.