राजस्थान कांग्रेस में जारी क्राइसिस के बीच क्या इस थर्ड फ्रंट का शोर है सही ?
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1651865

राजस्थान कांग्रेस में जारी क्राइसिस के बीच क्या इस थर्ड फ्रंट का शोर है सही ?

Rajasthan Politics : राजस्थान में 1980 से जारी परंपरा, क्या इस बार के विधानसभा चुनावों में टूट जाएगी. अबतक कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी की सरकार राजस्थान में बनती रही है. लेकिन इस बार दोनों ही पार्टियों के अंदर चल रही उथल पुथल का फायदा, क्या सियासी हवाओं में बह रहे बेनीवाल-केजरीवाल वाले थर्ड फ्रंट को मिल सकता है, चलिए समझते हैं...

राजस्थान कांग्रेस में जारी क्राइसिस के बीच क्या इस थर्ड फ्रंट का शोर है सही ?

Rajasthan Politics : राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट गुट और अशोक गहलोत गुट के बीच संग्राम खत्म नहीं हो सका है. दिल्ली में हुई मीटिंग में भी कुछ हल नहीं निकला. राजस्थान कांग्रेस प्रभावी के सख्त एक्शन वाली बात भी सही साबित नहीं हुई. अब बातचीत से मुद्दा सुलझाने की कोशिश फिर से होगी जिसका पूरा दारोमदार होगा कलमनाथ पर. कमलनाथ ये मुद्दा पहले भी सुलझा चुके है.

इधर राजस्थान बीजेपी के अंदर भी सब कुछ ठीक नहीं कहा जा सकता. पार्टी के अंदर ही विधानसभा चुनाव 2023 में पार्टी का सीएम पद के लिए चेहरा कौन होगा. इस पर रस्साकशी है. वो बात अगल ही वसुंधरा राजे के समर्थक ये मानते हैं कि उनके अलावा कोई विकल्प हो नहीं सकता है.

इधर कुछ दिन पहले भगवंत मान और फिर केजरीवाल से मुलाकात के बाद हनुमान बेनीवाल चर्चा में है. जो थर्ड फ्रंट का जिक्र अपने बयानों में कर चुके हैं और लगे हाथ सचिन पायलट को भी अलग पार्टी बना लेने का सुझाव दे चुके हैं.

क्या हैं कोई संभावना ?
अगर हनुमान बेनीवाल की आरएलपी, केजरीवाल की आप और बीटीपी मिल जाएं. सचिन पायलट नयी पार्टी बना लें. और ये बीरबल की खिचड़ी पक जाए तो क्या होगा ? सबसे पहले बात बेनीवाल की सांसद बेनीवाल जाट समुदाय से आते है. और उनका 20-25 विधानसभा सीटों पर असर माना जाता है.

आम आदमी पार्टी पिछले कुछ समय से राजस्थान में सक्रिय दिख रही है. भीलिस्तान का मुद्दा गुजरात इलेक्शन में उठाया जा चुका है, लेकिन इसका असर राजस्थान की आदिवासी बेल्ट पर पड़ना तय माना जा रहा है. फिलहाल आम आदमी पार्टी 10 से 15 सीटों पर ही फोकस कर चुनावों की रणनीति तैयार कर रही है.

यहां बीएसपी और AIMIM का जिक्र करना भी जरूरी है. बीएसपी ने पिछले विधानसभा चुनावों में 6 सीटें जीती, वो बात अलग है कि बात में ये विधायक कांग्रेस में शामिल हो गये. वहीं AIMIM के औवेसी मुस्लिम बहुल इलाकों में जो 40 से ज्यादा बताये जा रहे हैं. प्रत्याशी उतारने की तैयारी में हैं.

सचिन पायलट अगर अलग राह अपनाते हैं तो कांग्रेस को नुकसान होना तय है. कुल मिलाकर ये थर्ड फ्रंट अगर बना तो वोट बेस के आधार पर 75 से 80 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों की कड़ी टक्कर मिलेगी और हो सकता है कि दोनों की पार्टियों का खेल बिगड़ जाएं.

क्या एक बार फिर होगा सचिन पायलट का शक्ति प्रदर्शन, 17 अप्रैल से इन जिलों का दौरा

 

Trending news