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Jaipur Airport: राजस्थान भौगोलिक रूप से देश का सबसे बड़ा राज्य है. यहां सड़क परिवहन और ट्रेन संचालन की सुविधाएं तो ठीक हैं, लेकिन हवाई सेवाओं के मामले में राजस्थान काफी पीछे है. प्रदेश के एक से दूसरे शहर के लिए तो हवाई सेवाओं की भारी कमी है. क्यों हैं ये हालात, दूसरे राज्यों की तुलना में कहां है?
राजस्थान के एक पूर्वी जिले भरतपुर से पश्चिमी जिले जैसलमेर के बीच की दूरी 850 किमी से ज्यादा है. सड़क मार्ग से यात्रा करें तो कम से कम 14 घंटे का सफर होता है. हवाई सफर महज 1 घंटे में पूरा किया जा सकता है, लेकिन विडंबना यह है कि भरतपुर जिला संभाग मुख्यालय होने के बावजूद भी यहां एयरपोर्ट नहीं है. केवल भरतपुर ही नहीं, बल्कि कई प्रमुख जिले ऐसे हैं, जहां पर एयरपोर्ट नहीं होने से हवाई सेवाओं का संचालन नहीं हो पा रहा है. दरअसल राजस्थान में हवाई सेवाओं की हालत बेहतर नहीं है. राजस्थान में केवल 6 एयरपोर्ट से ही नियमित रूप से फ्लाइट संचालित होती हैं.
कोचिंग हब होने के बावजूद कोटा में एयरपोर्ट नियमित संचालित नहीं है. दरअसल कोटा में एयरपोर्ट तो लंबे समय से बना हुआ है, लेकिन यहां रनवे की लंबाई महज 4 हजार फीट है. इसके चलते यहां शेड्यूल्ड फ्लाइट्स को संचालित कर पाना संभव नहीं है. इस कारण कोटा बड़ा संभाग होने के बावजूद भी यहां से फ्लाइट्स नहीं चलती हैं. वहीं भरतपुर, सीकर और बांसवाड़ा ऐसे संभाग मुख्यालय हैं, जहां एयरपोर्ट ही नहीं हैं.
- राजस्थान में महज 6 एयरपोर्ट ऑपरेशनल
- जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, जैसलमेर, किशनगढ़ और बीकानेर से नियमित फ्लाइट्स
- कोटा में एयरपोर्ट बना हुआ, पर सुचारू नहीं
- भरतपुर, सीकर और बांसवाड़ा संभाग में कोई एयरपोर्ट नहीं
- गुजरात में कुल 13 एयरपोर्ट, 9 ऑपरेशनल, 4 से भी संचालन संभव
- अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट, भुज, कांडला, जामनगर, दीव, भावनगर से रोज फ्लाइट्स
- जूनागढ़ में केशोड़ एयरपोर्ट, पोरबंदर, दीव भी बने हुए, हालांकि नियमित फ्लाइट्स नहीं
- संभवतया कमर्शियल कारणों से एयरलाइंस फ्लाइट नहीं चला रही
- राजकोट गुजरात का ऐसा शहर, जहां 2 एयरपोर्ट बने हुए
- उत्तर प्रदेश में कुल 9 एयरपोर्ट संचालित
- लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, प्रयागराज, कानपुर, बरेली एयरपोर्ट संचालित
- अयोध्या और कुशीनगर एयरपोर्ट भी संचालित, हालांकि नियमित फ्लाइट नहीं
- महाराष्ट्र में कुल 11 एयरपोर्ट, 9 ऑपरेशनल, 2 से संचालन संभव
- मुम्बई, पुणे, नागपुर, नासिक, गोंदिया, शिरडी, औरंगाबाद, कोल्हापुर, सिंधुदुर्ग से रोज फ्लाइट्स
- नांदेड़ और जलगांव एयरपोर्ट भी संचालित, पर नियमित फ्लाइट्स नहीं
- मध्यप्रदेश में राजस्थान से भी कम केवल 5 एयरपोर्ट संचालित
- इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, खजुराहो, जबलपुर एयरपोर्ट संचालित
पड़ोसी राज्यों से तुलना की जाए तो राजस्थान की स्थिति जैसे दयनीय लगती है. गुजरात राजस्थान से भौगोलिक रूप से काफी छोटा प्रदेश है, साथ ही जनसंख्या के लिहाज से भी यह राजस्थान से कम है, लेकिन यहां एयरपोर्ट्स की संख्या राजस्थान से दोगुनी है. महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भी राजस्थान की तुलना में कहीं ज्यादा एयरपोर्ट हैं. वहीं यदि इंटरनेशनल फ्लाइट संचालन की बात की जाए तो राजस्थान इस मामले में भी काफी पीछे है. राजस्थान में केवल जयपुर ही इंटरनेशनल एयरपोर्ट है. जबकि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में 4 इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं. इसी तरह महाराष्ट्र में भी इंटरनेशनल एयरपोर्ट्स की संख्या ज्यादा है. वहीं एक एयरपोर्ट से रोजाना की इंटरनेशनल फ्लाइट्स की बात की जाए तो जयपुर एयरपोर्ट इस मामले में अहमदाबाद, लखनऊ जैसे एयरपोर्ट्स से काफी पीछे है.
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- उत्तर प्रदेश में 4 इंटरनेशनल एयरपोर्ट
- लखनऊ, वाराणसी, कुशीनगर और अयोध्या इंटरनेशनल एयरपोर्ट
- महाराष्ट्र में 3 इंटरनेशनल एयरपोर्ट संचालित
- महाराष्ट्र में मुम्बई, शिरडी और नागपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट
- पुणे और औरंगाबाद कस्टम एयरपोर्ट, पर इंटरनेशनल दर्जा नहीं
- जयपुर एयरपोर्ट से रोज औसतन मात्र 3 इंटरनेशनल फ्लाइट संचालित
- जबकि गुजरात के अहमदाबाद से रोज 19 इंटरनेशनल फ्लाइट
- यूपी के लखनऊ एयरपोर्ट से रोज औसतन 9 इंटरनेशनल फ्लाइट
- पंजाब का अमृतसर कहीं छोटा एयरपोर्ट, पर रोज 8 इंटरनेशनल फ्लाइट
राजस्थान में हवाई सेवाओं में सुधार की बात करें तो पिछली वसुंधरा सरकार और पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने काफी प्रयास किए थे. विमानों के ईंधन यानी एविएशन टरबाइन फ्यूल पर लगने वाले वैट की दरों को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने घटाया था. तब 3 विमान नाइट हॉल्ट करने वाली एयरलाइन के लिए वैट की दर 5.5 फीसदी कर दी गई थी. वहीं पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने 1 अप्रैल 2023 से वैट की दर को सभी फ्लाइट्स के लिए मात्र 2 फीसदी कर दिया था.
हवाई सेवाओं को लेकर क्या हो सकते हैं सुधार ?
- कई जिले ऐसे जहां हवाई पट्टी बनी हुई, वहां एयरपोर्ट बनाना संभव
- भरतपुर, श्रीगंगानगर में हवाई पट्टियों को एयरपोर्ट में बदलना संभव
- बांसवाड़ा, सीकर संभाग में भी एयरपोर्ट विकसित किए जाने चाहिए
- एयरलाइंस को वैट में छूट संबंधी प्रोत्साहन देकर मदद मिलेगी
- केन्द्र सरकार की उड़ान योजना के तहत फ्लाइट्स बढ़ाई जा सकती
- उड़ान योजना से राज्य के एक से दूसरे जिलों के बीच फ्लाइट्स संभव
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