हनुमानगढ़: बाल कल्याण समिति अध्यक्ष ने 12 ईंट भट्ठों पर शुरू की पाठशाला, 600 बच्चे ले रहे शिक्षा
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हनुमानगढ़: बाल कल्याण समिति अध्यक्ष ने 12 ईंट भट्ठों पर शुरू की पाठशाला, 600 बच्चे ले रहे शिक्षा

Hanumangarh News: हनुमानगढ़ बाल कल्याण समिति अध्यक्ष जितेंद्र गोयल ने ईंट भट्टों पर संस्कारित पाठशाला शुरू करवाने की मुहिम शुरू कर रखी है, जिससे इन मजदूर परिवारों के बच्चे को भट्टों में ही संचालित पाठशाला में शिक्षित होकर अपना भविष्य सुनहरा कर सकें.

हनुमानगढ़: बाल कल्याण समिति अध्यक्ष ने 12 ईंट भट्ठों पर शुरू की पाठशाला, 600 बच्चे ले रहे शिक्षा

Hanumangarh News: असंगठित क्षेत्र के प्रवासी मजदूरों के लिए उनके जीवन में काम के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा अनवरत जारी रखना एक बड़ी चुनौती होती है और इसी चुनौती के चलते अक्सर मजदूर परिवार के बच्चों की शिक्षा बाधित होती रहती है. 

इसी समस्या को देखते हुए हनुमानगढ़ बाल कल्याण समिति अध्यक्ष जितेंद्र गोयल ने ईंट भट्टों पर संस्कारित पाठशाला शुरू करवाने की मुहिम शुरू कर रखी है, जिससे इन मजदूर परिवारों के बच्चे को भट्टों में ही संचालित पाठशाला में शिक्षित होकर अपना भविष्य सुनहरा कर सकें. गोयल ने प्रयास कर जिले के 12 ईंट भट्टों पर पाठशाला शुरू कर दी, जिनमें लगभग 600 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे है. 

मिल रही निर्बाध शिक्षा
संगरिया क्षेत्र के गांव नगराना में तिवारी ईंट उद्योग पर संचालित पाठशाला में अध्ययनरत 10 वर्षीय बेटी कामिनी ने बताया कि उसके माता-पिता दोनों ईंट भट्टे में मिट्टी का काम करते हैं, इसी के चलते अक्सर उन्हें भट्टे बदलने पड़ते हैं, जिसके चलते उन्हें स्कूल में दाखिला लेने में परेशानी होती थी. अब भट्टे के ऊपर ही स्कूल संचालित होने के चलते उन्हें निर्बाध शिक्षा प्राप्त हो रही है. 

10 साल की बच्ची का सपना
कामिनी बताती है कि अब वो सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर स्कूल आ जाती हैं, जिससे वह शिक्षित बन कर बड़ी हो शिक्षक बन पाए. 10 वर्षीय छोटी-सी बेटी ने बताया कि वह शिक्षक इसलिए बनना चाहती है जिससे वह आगे और लोगों को शिक्षित कर पाए और साथ ही अपने माता-पिता को मजदूरी से छुटकारा दिलवा बेहतर जीवन दे पाए. वहीं दूसरी कक्षा में पढ़ रहे 11 वर्षीय प्रवीण ने बताया कि भट्टे में उनके घर के पास ही स्कूल संचालित होने के चलते अब रोजाना पढ़ाई करते हैं, जिससे बड़े होकर पुलिस में भर्ती हो अच्छा करियर बना पाए और अपने माता-पिता को मजदूरी से बचा पाएं. 

अच्छे माहौल में मिले शिक्षा
भट्टे में काम करने वाली एक मजदूर महिला सुलेखा ने बताया कि उनका परिवार प्रदेश में प्रवासी हैं और इसी के चलते उन्हें हर सीजन में मजदूरी के लिए जगह बदलनी पड़ती थी, जिसके चलते उनके बच्चों की शिक्षा लगातार बाधित होती थी. वहीं भट्टों के आस-पास स्कूल नहीं होने के चलते उनके बच्चे शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते थे, जिसके चलते उनके बच्चे अशिक्षित थे. वहीं अब भट्टे के अंदर ही स्कूल संचालित होने से उनके बच्चों को ना सिर्फ निर्बाध शिक्षा प्राप्त हो रही है, बल्कि उनके बच्चे सुबह ही नहा धो कर साफ-सुथरे कपड़े पहन कर विद्यालय चले जाते हैं, जिससे उन्हें एक अच्छे माहौल में शिक्षा प्राप्त हो सके. 

बच्चों के जीवन स्तर में आ रहा बदलाव
भट्टे में स्कूल आरंभ होने से न सिर्फ बच्चे शिक्षित हो रहे हैं बल्कि उनके जीवन स्तर में भी बदलाव आया है. भट्टों में खुले स्कूल से अब उन्हें अपने बच्चों के भविष्य के सुनहरे होने की उम्मीद जगी है. भट्टा संचालक सुरेंद्र तिवारी ने बताया कि गत वर्ष जिला कलेक्ट्रेट में आयोजित एक बैठक के दौरान जिला कलेक्टर के प्रस्ताव और सीडब्ल्यूसी चेयरमैन जितेंद्र गोयल के प्रेरणा से उन्होंने भट्टे में एक स्कूल आरंभ किया, जिसमें 55 से 60 बच्चे रोजाना स्कूल आकर शिक्षा प्राप्त करते हैं. भट्टे में स्कूल खेलने से न सिर्फ बच्चे शिक्षित हो रहे हैं बल्कि बच्चों के जीवन स्तर में भी बदलाव आ रहा है. 

एक दर्जन भट्टों में पाठशाला
पहले जो बच्चे भविष्य में मजदूर बनने का सोचते थे, अब वह बच्चे अपने भविष्य को लेकर और अच्छे कैरियर को लेकर सुनिश्चित होने की बात कहते नजर आते हैं. संस्कारित पाठशाला आरंभ करने की मुहिम शुरू करने वाले सीडब्ल्यूसी चेयरमैन जितेंद्र गोयल ने बताया कि पूर्व कलेक्टर नथमल डिडेल की प्रेरणा से जिले के अंदर असंगठित और प्रवासी मजदूरों परिवारों के बच्चों को निर्बाध और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य को लेकर संस्कारित पाठशाला खुलवाने की मुहिम शुरू की गई, जिसके चलते अभी तक लगभग एक दर्जन भट्टों में पाठशाला शुरु करवा दी गई है, जिनमें लगभग 600 से अधिक बच्चे अध्ययनरत हैं. 

बच्चे देख रहे अपने सुनहरे भविष्य के सपने
गोयल ने बताया कि अक्सर बाल श्रम को रोकने के लिए भट्टों का निरीक्षण करते थे, जहां बच्चे भी अपने माता-पिता के साथ घूमते नजर आ जाते थे. अधिकतर मामलों में उनसे बात करने पर यह पता चलता था कि उनके बच्चे स्कूलों में सिर्फ इसलिए शिक्षित नहीं हो पाते क्योंकि उनके पास स्कूल नहीं थे और उनके पास स्थायित्व नहीं है. इसी को लेकर गोयल ने बताया कि संस्कारित पाठशाला खुलवाने की मुहिम शुरू की गई अब बच्चे न सिर्फ शिक्षित हो रहे हैं, बल्कि अपने सुनहरे भविष्य में बेहतर सपने भी देखने लगे हैं. 

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सीडब्ल्यूसी का प्रयास लगातार जारी
बाल कल्याण समिति का यह लगातार प्रयास है कि जिले को बाल श्रम से पूरी तरह से मुक्त कर शिक्षित भी बनाया जा सके. प्रवासी असंगठित मजदूर परिवारों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए बाल कल्याण समिति अध्यक्ष की संस्कारित पाठशाला की मुहिम न सिर्फ मजदूर परिवार के बच्चों को शिक्षित कर रही है, बल्कि उनके जीवन स्तर को उठाने का काम कर रही है. सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष का कहना है कि बाल कल्याण समिति का सपना है कि जिले को ना सिर्फ बाल श्रम मुक्त बनाना है बल्कि हर बच्चे को शिक्षित करने का प्रयास भी सीडब्ल्यूसी द्वारा लगातार जारी है.

Reporter: Manish Sharma

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