Sawan 2024: देवनागरी के नाम से विख्यात और छोटी काशी के रूप में पहचान दौसा के शिव मंदिरों में भी शिव भक्तों की अपार भीड़ उमड़ रही है.मान्यता है भगवान शिव भोले हैं और वह जल्द ही पूजा अर्चना से प्रसन्न होकर मनवांछित फल देते हैं.
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Sawan 2024: देवनागरी के नाम से विख्यात और छोटी काशी के रूप में पहचान दौसा के शिव मंदिरों में भी शिव भक्तों की अपार भीड़ उमड़ रही है. हर कोई भगवान शिव की पूजा अर्चना कर उन्हें रिझाने में लगे हुए हैं. मान्यता है भगवान शिव भोले हैं और वह जल्द ही पूजा अर्चना से प्रसन्न होकर मनवांछित फल देते हैं.
खासकर सोमवार का दिन शिव पूजा के लिए विशेष माना जाता है और यह संयोग है कि आज सावन माह की शुरुआत ही सोमवार के दिन से हुई है. ऐसे में कहीं ना कहीं शिव भक्तों का शिव पूजा को लेकर जो उत्साह है वह कई गुना दिखाई दे रहा है.दौसा पंच महादेव की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. उसकी वजह है, यहां पांच बड़े प्राचीन शिव मंदिर है और सबसे बड़ी खास बात है.
इन मंदिरों के अंदर जो शिवलिंग की मूर्ति स्थापित है. वह स्वयंभू मानी जाती है. यानी इन मूर्तियों का अपने आप उद्गम हुआ है. ऐसे में इन मंदिरों की महत्वता और अधिक बढ़ जाती है. वैसे तो यहां बारह माह शिव भक्तों का आना-जाना रहता है, लेकिन श्रावण माह में इन मंदिरों में शिव भक्तों का सैलाब उड़ता है.
देवगिरी पर्वत पर विराजमान नीलकंठ महादेव , तो वहीं दौसा के पूर्व में पहाड़ की तलहटी में स्थित बाबा सोमनाथ का मंदिर साथ गुप्तनाथ , बैजनाथ और सेशजनाथ महादेव मंदिर दौसा की खास पहचान है.
इन मंदिरों में श्रावण माह में तड़के सवेरे से ही शिव भक्तों का आने-जाने का सिलसिला जारी रहता है और देर रात तक शिव भक्त यहां पूजा में लीन दिखाई देते हैं. वैसे जिले के छोटे बड़े सभी मंदिरों में लोग पहुंचकर भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना करने में लगे हुए हैं.
श्रावण माह में दौसा जिला मुख्यालय के पांचो प्राचीन मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ को देखते हुए पुलिस के भी सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए जाते हैं, ताकि मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं हो.
वहीं मंदिर समितियो द्वारा भी श्रद्धालुओं का विशेष ख्याल रखा जाता है. दौसा के इन पांचो मंदिरों में दौसा के नहीं बल्कि जिले के और जिले के बाहर से लोग भी शिव पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं.
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