चुरू में धर्म पिता ने रुकमणी को घोड़ी पर बैठा कर निकाली बिंदोरी, खुशियों की दी सौगात
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चुरू में धर्म पिता ने रुकमणी को घोड़ी पर बैठा कर निकाली बिंदोरी, खुशियों की दी सौगात

Churu news:सरदारशहर के जीवनदेसर निवासी हाल भीकमसिंह  ने रविवार रात को अपनी धर्म की बेटी रुकमणी ब्राह्मण की शादी में दुल्हन को घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकाली.जीवनदेसर के रहने वाले हाल भीमसिंह और उनकी पत्नी कस्तूरी देवी के कोई बेटी नहीं है,

चुरू में धर्म पिता ने रुकमणी को घोड़ी पर बैठा कर निकाली बिंदोरी, खुशियों की दी सौगात

Churu news: जैसे-जैसे समाज मे शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है वैसे वैसे ही अब रूढ़िवादी सोच पीछे छूट रही है.अब बेटियों को भी बेटों की तरह ही अच्छी शिक्षा दी जाती है और बेटी के जन्म पर खुशियां मनाई जाती है और बेटों की तरह ही बेटियों को भी घोड़ी पर बिठाकर बिंदोरी निकाली जाती है. सरदारशहर के जीवनदेसर निवासी हाल भीकमसिंह  ने रविवार रात को अपनी धर्म की बेटी रुकमणी ब्राह्मण की शादी में दुल्हन को घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकाली.

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 बेटी की कमी खलती थी हमेशा 
बता दें कि जीवनदेसर के रहने वाले हाल भीमसिंह और उनकी पत्नी कस्तूरी देवी के कोई बेटी नहीं है, उनके कृष्णाराम और लालचंद दो बेटे है. दोनों को हमेशा से एक बेटी की कमी खलती रही, ऐसे में सेटरिंग का काम करने वाले मनीराम सारण काम के सिलसिले में तहसील के गांव भादासर गए हुए थे और वहीं उनकी मुलाकात वहां के लक्ष्मीनारायण ब्राह्मण से हुई, उसके बाद मनीराम ने लक्ष्मीनारायण की पुत्री रुक्मणी को उन्होनअपनी धर्म की बेटी बना लिया. ऐसे में मानीराम के पुत्रों कृष्णाराम और लालचंद को धर्म की बहन मिल गयी. अब धर्म की बेटी रुक्मणी की शादी हेमासर निवासी गौतम के साथ होनी है.

 डीजे के साथ  निकाली बिंदोरी 
रुक्मणी के विवाह के अवसर पर मनीराम सारण ने अपनी धर्म की बेटी को घोड़ी पर बैठा कर डीजे के साथ  उसकी बिंदोरी निकाली. इस अवसर पर रुकमणी भी खुश नजर आई और कहा कि मेरे धर्म के पिता ने मुझे इतना लाड प्यार दिया है, मेरे माता पिता ने भी मुझे खूब पढ़ाया लिखाया कभी भी मेरे और मेरे भाई के बीच बेटे - बेटी जैसा भेदभाव नहीं किया. मैंने बचपन में कभी नहीं सोचा था कि मुझे भी घोड़ी पर बैठाया जाएगा और मेरी बिंदोरी निकाली जाएगी.

रुकमणी ने पूरी की बेटी की कमी
वही रुकमणी के धर्म के पिता मनीराम सारण ने बताया कि मेरे बेटी नहीं थी ऐसे में हमेशा मुझे एक बेटी की कमी खेलती थी. लेकिन जब मैंने रुकमणी को अपनी धर्म की बेटी बनाया तो मेरी बेटी की कमी पूरी हो गई . समाज में बेटियों का भी उतना ही महत्व है जितना बेटों का है, बेटियों को पढ़ा लिखा कर आगे बढ़ाने की आवश्यकता है बेटियां भी अपने माता-पिता का नाम रोशन कर सकती है बशर्ते उन्हें अच्छी शिक्षा देने की आवश्यकता है उन पर भरोसा करने की आवश्यकता है.

रुकमणी के धर्म के भाई लालचंद ने बताया कि आमतौर पर हम देखते हैं कि लड़के की शादी बड़ी धूमधाम से की जाती है और लड़कियों को इतना महत्व नहीं दिया जाता है. हमारे राजस्थान में लगातार यह हमें देखने को मिल रहा है, उन्होंने कहा कि इस तरह से अगर बेटियों को आगे बढ़ाया जाएगा तो आने वाली पीढ़ी हमसे बहुत कुछ सीखेगी और बेटियों के साथ होने वाला भेदभाव खत्म होगा और बेटियां शिक्षित होगी.

नई परंपरा की शुरुआत 

ब्राह्मण परिवार की युवती मोनिका ने बताया कि हमारी भादासर गांव के ब्राह्मण परिवार में यह परंपरा पहले नहीं थी, हमारे लिए यह गर्व की बात है कि इस प्रकार की नई परंपरा की शुरुआत की जा रही है, मोनिका ने कहा कि बेटी की घोड़ी पर बिंदोरी निकालना मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, इस प्रकार की परंपराओं को बढ़ावा देना चाहिए जिजसे समाज की बेटियां आगे बढ़ सके.

परिवार की बुजुर्ग महिला कमला देवी ने बताया कि बेटी की शादी के अवसर पर आज धूमधाम से बिंदोरी निकाली गई है हमें बहुत खुशी हो रही है, जब हमारा जन्म हुआ तो बेटियों के जन्म पर सभी निराश होते थे, लेकिन आज के समय में बेटी के जन्म होने पर खुशियां मनाई जाती है, मैं आज बहुत खुश हूं कि एक बेटी को बेटे के समान मानते हुए घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकाली गई है.

वही रुकमणी के धर्म के भाई कृष्णा राम ने बताया कि मेरे कोई बहन नहीं थी तो मुझे हमेशा से ही एक बहन की कमी महसूस होती थी, मेरे पिता ने मेरे लिए धर्म की बहन बनाकर बहुत अच्छा कार्य किया, मैं मेरी धर्म बहन के शादी के अवसर पर पूरे परिवार सहित उसकी घोड़ी पर बिठाकर बंदोली निकाल रहा हूं. मुझे बहुत खुशी महसूस हो रही है, मैं चाहता हूं कि इसी प्रकार हर बहन को आगे बढ़ाया जाए, किसी भी बहन पर किसी भी प्रकार की कोई रोक-टोक नहीं होनी चाहिए, हमारे देश की बेटियां हमारे देश का नाम रोशन कर रही है, इसलिए देश की हर बेटी को आगे बढ़ने का पूरा मौका मिलना चाहिए.

वही बिंदोरी के दौरान परिवार की महिलाएं, युवक, युवतियां जमकर डीजे की धुन पर थिरकते हुए नजर आए, इस दौरान हर कोई बेटी को घोड़ी पर बैठा देख उत्साहित था और खुशियां मना रहा था. पुरानी परंपराओं में पली बढ़ी हुई बुजुर्ग महिलाएं भी बेटी को घोड़ी पर बैठा देख डीजे की धुन पर खूब नाचती हुई नजर आई. इस गांव के ब्राह्मण समाज में पहली बार किसी बेटी को घोड़ी पर बैठाया गया था, जिसकी हर कोई प्रशंसा कर रहा था. 

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