Churu News: 5 वर्ष की उम्र में जहां बच्चे हाथों में पेंसिल व किताबें लेकर स्कूल पहुंचते हैं और जीवन में शिक्षा ग्रहण की शुरुआत करते हैं, उस उम्र में कुछ बच्चे अपने हुनर से अपना ही नहीं अपने परिवार का भी भरण पोषण कर उनका जीवन यापन करते हैं.
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Churu News: 5 वर्ष की उम्र में जहां बच्चे हाथों में पेंसिल व किताबें लेकर स्कूल पहुंचते हैं और जीवन में शिक्षा ग्रहण की शुरुआत करते हैं, उस उम्र में कुछ बच्चे अपने हुनर से अपना ही नहीं अपने परिवार का भी भरण पोषण कर उनका जीवन यापन करते हैं. जिस उम्र में बच्चे जमीन पर चलने में लड़खड़ा जाते हैं, उस उम्र में पेट की आग बुझाने के लिए 5 साल की इंदु बिना डरे, बिना थके रस्सी पर चलकर लोगों को तमाशा दिखा रही है और सड़कों पर जमा लोगों का हुजूम बच्ची के करतब पर तालिया बजा रहा है.
क्या कहते हैं बच्ची के पिता
बच्ची का पिता छतीसगढ़ निवासी महेश कहते हैं कि जान जोखिम में डालकर रस्सी पर चलना हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गया है. वहीं, चन्द रुपयों की खातिर जीवन को खतरे में डालकर मौत की राह पर चलता ये बचपन बताता है कि जिंदगी कितनी सस्ती है. अपने और अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए 5 साल की एक मासूम बच्ची रोजाना रस्सी पर चल कर अपनी जान जोखिम में डाल कर लोगों को तमाशा दिखाती है. नट समाज से छतीसगढ़ निवासी महेश ने बताया कि हैरतअंगेज करतब दिखाने की ये कला उन्हें विरासत में मिली है. पहले महेश के पिता और दादा करतब दिखाते थे. अब महेश का परिवार दिखाता है.
शहर में चंद दिनों का मेहमान बनकर आता है परिवार
महेश बताते हैं कि एक शहर में वह चंद दिनों के मेहमान बनकर आते हैं और जब सड़कों पर तमाशा देखने वालों की भीड़ जैसे-जैसे कम होती है तो वह एक शहर से दूसरे शहर के लिए निकल पड़ते हैं और अब-तक वह पूरे भारत में करतब दिखा चुके हैं. नट समुदाय की 5 वर्षीय इंदु की शिक्षा के बारे में पूछा तो इंदु के पिता महेश ने बताया कि हमारे छतीसगढ़ में 5 वर्ष के बाद सरकारी स्कूल में बच्चों का दाखिला लिया जाता है और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने की हमरी हैशियत नही है. इस कारण हम 5 वर्ष से बड़े बच्चे को सरकारी स्कूलों में दाखिला करवाते हैं. तब तक हमारे बच्चे हमारे जीवन यापन के लिए किए जा रहे संघर्ष में सहयोग करते हैं.
दो लकड़ियों पर बंधती है रस्सी...
'मौत का खेल' शुरू करने से पहले तमाशा दिखाने वाले परिवार ने सड़क किनारे कीला ठोका फिर लकड़ियों के सहारे रस्सी बांधकर बच्ची को चढ़ा दिया. रस्सी को मासूम बच्ची एक हाथ में डंडा लेकर हिलाती रही. कभी तेज तो कभी धीरे, कभी सीधा चली तो कभी उल्टा, कभी जंप किया तो कभी कमर हिलाया. हैरतअंगेज करतब देखने के लिए मौके पर लोगों की भीड़ लग गई. मौत का खेल आगे भी जारी रहा. बच्ची ने एक बार तो रस्सी पर साइकिल के टायर की रिम को रखकर हैरान कर दिया.
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Reporter- Navratan Prajapat