चित्तौड़गढ़ की महिलाओं ने किया कुछ ऐसा, प्रदेश भर में हो रहा है सम्मान, जानिए मामला
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चित्तौड़गढ़ की महिलाओं ने किया कुछ ऐसा, प्रदेश भर में हो रहा है सम्मान, जानिए मामला

Chittorgarh News: देश में बढ़ती बेरोजगारी के बीच  चित्तौड़गढ़ की एक नई मिशाल पेश की है. शुद्ध के लिए युद्ध को बढ़ावा देते हुए फूलों से निर्मित गुलाल और रंगों को समूह की महिलाओं ने देश विदेश तक पहुंचाया, खुद को आत्मनिर्भर बनाया साथ ही देश की 700 अन्य महिलाओं को भी रोजगार के नए अवसर भी प्रदान किए.

 

चित्तौड़गढ़ की महिलाओं ने किया कुछ ऐसा, प्रदेश भर में हो रहा है सम्मान, जानिए मामला

Chittorgarh News: जनसंख्या विस्फोट के कारण जनसंख्या में मामले में हमारा देश आज चाइना को भी पीछे छोड़ चुका है.अनियंत्रित जनसंख्या और देश में एक सौ पच्चास करोड़ से अधिक जनसंख्या होने के दुष्परिणाम स्वरूप देश में दिन ब दिन बेरोज़गारी और ग़रीबी के हालात बढ़ते ही जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर गरीब और मध्यम परिवार के लोगों को मजबूरी में महंगे दामों पर चीजें खरीदने के बाद भी खाने पीने सहित सौन्दर्य संसाधनों में मिलावट और खतरनाक केमिकल का शिकार होने से लोगों में कैंसर, किडनी और लकवा जैसी बिमारियों का होना आम बात हो चली है.

इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए चित्तौड़गढ़ शहर की कुछ महिलाओं ने एक दूसरे के साथ मिलकर एक स्वयं सहायता समूह का निर्माण किया जिसमें अपने हुनर और होंसले के दम पर हस्त निर्मित फुलों की गुलाल बनाकर चित्तौड़गढ़ शहर सहित देश के कई जिलों और राज्यों में भेजकर एकतरफ तो पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया ही है इसके अलावा इन महिलाओं ने लोगों के साथ होने वाले केमिकल रंगों के खिलवाड़ को भी रोकने की पहल की है.

कहते हैं कि बचपन से जिसे ठोकरें मिली हो वह या तो टूटकर बिखर जाता है या फिर स्वयं के आत्मविश्वास और अच्छी सोहबत के कारण वह निखर भी जाता है ऐसे में उस इंसान में कुछ कर गुजरने का जज्बा अपने आप आ ही जाता है. वैसे तो वीर भूमि के नाम से पहचान रखने वाली चित्तौड़गढ़ नगरी मीरा, पद्मिनी और पन्नाधाय के बलिदान के कारण यहां की महिलाओं में होंसला और कुछ कर गुजरने का जज्बा पैदा करती ही है. यही नहीं वक्त की मार और पारिवारिक हालातों के चलते चित्तौड़गढ़ की महिलाओं को बचपन से ही संघर्ष और परेशानियों के बाबजूद समय से लड़ने की और आगे बढ़ने की शक्ति चित्तौड़गढ़ के अजेय और अद्भुत इतिहास को पढ़ने से भी मिलती रही है.

यह कहानी है चित्तौड़गढ़ की कुछ ऐसी महिलाओं की जिन्होंने अपने बचपन से ही या तो अपने परिवार के खराब वक्त के कारण कठिनाईयों में खुद को सम्हाला और खुद को अपने पैरों पर खड़ा कर सफलता का नया इतिहास रच डाला. हम आज बात कर रहे हैं चित्तौड़गढ़ शहर की ऐसी ही कुछ महिलाओं की जिन्होंने चित्तौड़गढ़ में श्रीनाथ स्वयं सहायता समूह की संरचना को अंजाम देते हुए आत्मनिर्भरता का किर्तिमान खड़ा कर दिया.

आज महिलाओं के इस समूह से जुड़ी महिलाएं पीछले कुछ सालों से हर त्यौहार पर शहर की अन्य बेसहारा महिलाओं को रोजगार और आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रही है. समूह से जुड़ी ये महिलाएं होली पर हर्बल गुलाल, राखी पर हाथों से बनने वाली राखियां, दिवाली पर डेकोरेशन आइटम बनाकर इन्हें देश विदेशों तक सफलता से पहुंचा चुकी है यही नहीं इन सब कामों से ये महिलाएं आज आत्म निर्भर तो बनी ही है साथ ही इन महिलाओं ने अपने अपने परिवारों का संचालन भी बखूबी किया है.

सबसे पहले समूह में चित्तौड़गढ़ शहर की 20 से 25 महिलाओं ने मिलकर एक नवाचार को जन्म दिया जिसके बदौलत आज लोगों में हाथ से बने गुलाल, हस्त निर्मित राखियां, गृह सज्जा के लिए हस्त निर्मित खुबसूरत डेकोरेटिव आइटम्स के प्रति रूझान बढ़ा है.

हमारे देश में दौ सौ साल पहले इतिहास की बात करें तो एक समय था जब अंग्रेज हमारे देश में घुस पेट करने की योजना बना रहे थे तब हमारे देश में इसी तरह के परम्परागत गृह उद्योगों के घर घर में होने वाले संचालन से उत्पन्न उत्पादों को पूरे विश्व में निर्यात किया जाता था और इसी कारण तब हमारा देश अकेले ही विश्व की 33% जीडीपी सम्हाले हुए था इसके उलट देश में आज बड़े उद्योगों के साथ बड़ी स्केल पर उत्पाद बनाने वाली मशीनों ने गृह उद्योगों के साथ हाथों से निर्मित घरेलू उत्पादों और परम्परागत खाद्यपदार्थों तक को बाजारों से लगभग गायब ही कर दिया है .

फिर से गृह उद्योगों को बढ़ावा देने और लोगों तक शुद्ध और हाथ से निर्मित उत्पादों को पहुंचाने के लिए चित्तौड़गढ़ की कुछ महिलाओं ने पहल की है चित्तौड़गढ़ की महिलाओं के इस समूह में लगातार बाहर के राज्यों और विदेशों तक से महिलाएं जुड़कर काम कर रही है.

राजस्थान मूल की निवासी विभा जैन जो मुंबई के कल्याण में रहकर श्रीनाथ स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के बनाएं हुए हस्त निर्मित सामान को खरीद कर कई जरूरतमंद बच्चों को सहयोग प्रदान कर रही है. तो दूसरी तरफ हैदराबाद की वंदना गुप्ता जो एक शोरूम संचालिका है हैदराबाद की वंदना कुल आठ महिलाओं के साथ मिलकर काम कर रही है और चित्तौड़गढ़ की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को चित्तौड़गढ़ से खरीद कर हैदराबाद में अपने शोरूम में बेच रही है.

दिल्ली की प्रीति शेखरी जो चित्तौड़गढ़ के इस समूह से जुड़कर कार्य कर रही है इसी प्रकार देश की लगभग 700 के करीब महिलाओं की टीम लगातार इन महिलाओं के सहयोग से आज स्वयं का रोजगार प्राप्त कर रही है. महिलाओं द्वारा संचालित इस श्रीनाथ स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं में समूह की अध्यक्ष सुनीता शर्मा, कंचन चौहान, संपत कीर ,पूजा छापा, सुनीता कीर, प्रिया पटवा, रेनू, मंजू सोनी, राधा टेलर, गिरजा सालवी, सुशीला लखारा ने साथ मिलकर अपनी पहचान बनाकर कामयाबी हासिल की है.

इन्हीं महिलाओं की टीम भावना की बदौलत होली विशेष पर 5 क्विंटल हर्बल गुलाल बना कर उसे उत्सव बॉक्स के रूप में कई बड़ी कम्पनियों तक भिजवाया है और इस उत्पाद को लोगों द्वारा बड़े उत्साह से खरीद कर इन महिलाओं का सहयोग किया जा रहा है. अब तो चित्तौड़गढ़ के दुकानदारों व अन्य शोरूमों पर भी समूह की महिलाओं का सामान बेचा जा रहा है.

कोविड 19 के दौरान समूह की इन महिलाओं ने शहर में कोराना वारियर्स बनके चित्तौड़गढ़ में 30 हजार के लगभग निःशुल्क मास्क वितरित करवाएं यही नहीं इसके अलावा शहर के जरूरत मंद लोगों को राशन किट गांवों तक पहुंचाएं.चित्तौड़गढ़ शहर में रहने वाले गरीब बच्चों के लिए समूह की इन महिलाओं ने त्योहारों पर मिठाईयां बांट कर गरीब बच्चों के चेहरों पर मुस्कान दिलाईं है.

अब तक चित्तौड़गढ़ शहर की लगभग 70 से अधिक महिलाएं इस समूह के साथ मिलकर आत्मनिर्भरता के साथ आगे बढ़ रही है. इन महिलाओं द्वारा 3 हजार रूपयों से शुरू किया हुआ गृह उद्योग आज महज चार सालों में ही लाखों के पार पहुंच चुका है. इस वर्ष 8 मार्च विश्व महिला दिवस से इन महिलाओं के समूह ने शहर के कच्ची बस्तीयों के बच्चों को पुस्तक, कपड़ों के अलावा स्कूल बैग वितरण किए.

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