Chittorgarh News: रावतभाटा परमाणु बिजलीघर संयंत्र में स्थित कैंटीन और अस्पताल में काम करने वाले ठेका श्रमिकों ने ठेकेदारों पर अवैध वसूली का आरोप लगाया है, जिसके लिए उन्होंने विधायक और पुलिस से गुहार लगाई है.
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Chittorgarh News: रावतभाटा परमाणु बिजलीघर संयंत्र में स्थित कैंटीन और अस्पताल में काम करने वाले ठेका श्रमिकों ने ठेकेदारों पर अवैध वसूली का आरोप लगाया है, जिसके लिए उन्होंने विधायक और पुलिस से गुहार लगाई है.
चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा की परमाणु बिजलीघर की वजह से वैश्विक पहचान हैं. यहां निर्मित बिजली प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों में पहुंचाई जा रही है. वहीं रावतभाटा परमाणु बिजलीघर की इकाइयों में सालों से गरीब ठेकाश्रमिकों से अवैध वसूली का खेल चल रहा है. जिसमें कुछ लालची ठेकेदारों की वजह से गरीब मजदूरों के सामने अक्सर रोजी रोटी जुटाने का संकट खड़ा हो जाता है.
सालों से चल रही है अवैध वसूली
परमाणु बिजलीघर की इकाइयों में सालों से ठेकाश्रमिकों से अवैध वसूली का एक पूरा सिस्टम चल रहा है. प्लांट में ठेका लेने वाले ठेकेदार कुछ प्रबंधन के गिने चुने अधिकारियों से साठगांठ कर गरीब मजदूरों का शोषण किया जा रहा रहा है. ठेकाश्रमिकों को काम पर लगाने के बदले में वह उनसे 15 से 20 हजार की वसूली करते है. वहीं किसी ठेके में काम कर रहा ठेकेदार बदलता है, तो नया ठेकेदार फिर ने उस ठेके में काम करने के बदले में फिर से रुपयों की मांग करता है. रूपये नहीं देने पर ठेकाश्रमिकों को काम से निकाल दिया जाता है. ये पूरा खेल परमाणु बिजलीघर प्रबंधन की नाक के नीचे चल रहा है जिसमें ठेकाश्रमिकों के सामने उनके परिवार के लिए रोजी रोटी जुटाने का संकट खड़ा हो जाता है. बावजूद इसके गरीब ठेकाश्रमिकों की सुनवाई नहीं हो रही है.
ताजा मामला परमाणु बिजलीघर की तीसरी, चौथी इकाईं में स्थित कैंटीन में 15 से 20 साल से काम करने वाले 40 से 50 ठेकाश्रमिकों पिछले 5 दिनों से धरने पर बैठे हैं. आरोप है कि कैंटीन में दिल्ली के एक ठेकेदार का नया ठेका लगा है. उसने प्रति कर्मचारी एक बार में 20 हजार और हर महीने 2 हजार रुपए की मांग की. नहीं देने पर 11 लोगों को काम से निकाल दिया.
वहीं इसी तरह के एक दूसरे मामलें में परमाणु बिजलीघर अस्पताल में ठेका व्यवस्था में काम करने वाले एक दर्जन से ज्यादा वार्ड बॉय और सफाई कर्मचारी स्तर के ठेकाश्रमिकों से भी हर महीने 1000 से 2000 रुपए की वसूली की जा रही है. ठेकाश्रमिकों ने ठेकेदार पर अवैध वसूली का आरोप लगाया और थाने जाकर ठेकेदार के खिलाफ शिकायत भी दर्ज करवाई है. इसके अलावा इस मामलें में ठेकाश्रमिकों ने ठेकेदार के सुपर वाइजर का एक ऑडियो भी उपलब्ध करवाया जिसमें सुरवाईजर अवैध वसूली को सिस्टम का हिस्सा बता रहा है. इस दोनों मामलों में ठेकाश्रमिको ने संयुक्त रूप से विधायक राजेन्द्रसिंह बिधुड़ी को शिकायत देकर ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
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कहां है रावतभाटा
परमाणु बिजलीघर केंद्र के अधीन भारत सरकार का बहुत बड़ा उपक्रम है. यहां परमाणु बिजलीघर की 1 से 6 तक की इकाइयों में बिजली निर्मित होती है. इसके अलावा देश का दूसरा 700-700 मेगावाट यूनिट का परमाणु बिजलीघर निर्माणधीन है. परमाणु बिजलीघर केंद्र सरकार के अधीन है, इसलिए यहां केंद्र की नीतियों के अनुरूप बिजलीघर की ओर से ठेकाश्रमिकों को वेतन के अलावा, पीएफ, बोनस, स्पेशल अलाउसेन्स और अन्य सुविधाएं मिलती है. जो अधिकांश ठेकेदार खुद डकार जाते है.
वही ठेकेदारों ने ठेकाश्रमिकों से वसूली के नए नए तरीके बना रखे हैं जो इस तरह है:-
नियमानुसार काम के पश्चात ठेकेदार को ठेकाश्रमिकों का वेतन उनके खातों में ट्रांसफर करना होता है. वेतन खातों में आने के बाद ठेकाश्रमिकों राशि लौटाने में आनाकानी ना करे इसके लिए उनके एटीएम, बैंक पासबुक और साइन किए हुए चेक पहले से ठेकेदार के पास रख लिए जाते है.
वेतन मिलने के बाद ठेकाश्रमिकों पर मासिक बंदी देने के लिए दबाव बनाया जाता है. जो ठेकाश्रमिकों राशि देने में आनाकानी करते है, उनके संयंत्रों में प्रवेश करने वाले गेट पासों की डेट रिन्यू करवाने की एवज में राशि लौटाने का दबाव बनाया जाता है, जो ठेकाश्रमिकों राशि नही नही लौटाते उन्हें उन्हें काम से निकाल दिया जाता है.
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इसके बावजूद जिम्मेदारों की नाक के नीचे ठेकाश्रमिकों से अवैध वसूली का खेल सालों से चल रहा है. ऐसा नही है कि इस बारे में कर्मचारियों ने इस बारे में स्थानीय प्रशासन या बिजलीघर प्रबंधन के अधिकारियों को ना बताया हो.
सब कुछ पता होने और लगातार शिकायतें मिलने के बावजूद आरोपी ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई तो दूर की बात मामलें की जांच तक नही होती. आखिर में ठेकाश्रमिकों को ही काम से हाथ धोना पड़ता है. इसी डर की वजह से सालों से अवैध वसूली के दंश से पीड़ित ठेकाश्रमिक इस शोषण के खिलाफ आवाज नही उठाते.
सालों से चल रहा अवैध वसूली का खेल
ठेकेदारों के इस शोषण के से पीड़ित ठेकाश्रमिकों को जान तक गवानी पड़ी है. 28 फरवरी 2021 को परमाणु बिजलीघर में काम करने वाले एक ठेकाश्रमिक दीपक सेन ने भैंसरोडगढ़ चंबल पूल से नदी में कूद कर ख़ुदकुशी कर ली थी. मृतक के परिजनों का आरोप था कि ठेकेदार ने दीपक से काम पर रखने की एवज में 15 हजार रुपए और प्रतिमाह 2 हजार रुपए की मांग की थी. ठेकाश्रमिक की मौत के बाद स्थानीय लोग मुआवजा और ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग आंदोलन पर उतर आए और सड़क जाम कर दी.
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इस मामलें के बाद विधायक राजेन्द्रसिंह बिधूड़ी ने हस्तक्षेप किया और पीड़ित परिवार को मुआवजे की राशि दिलवाई. वहीं परमाणु बिजलीघर में वसूली के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए विधायक की अनुशंसा पर जिला कलेक्टर ने एसडीएम, लेबर डिपार्टमेंट और स्थानीय श्रमिक संघठनो को मिला कर एक कमेटी का गठन किया. कमेटी का काम आरोपी ठेकेदार के खिलाफ शिकायत मिलने पर मामलें की जांच करना और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई करना था. बावजूद इसके अब भी परमाणु बिजलीघर में ठेकाश्रमिकों से वसूली का खेल बदस्तूर जारी है.
Reporter: Deepak Vyas