लाखेरी नैनवा उपखंड में इन दिनों खाद की किल्लत के चलते हैं किसानों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कृषि विभाग की उदासीनता के कारण किसानों के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद की आपूर्ति नहीं हो पा रही है
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Keshoraipatan: लाखेरी नैनवा उपखंड में इन दिनों खाद की किल्लत के चलते हैं किसानों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सवेरे से शाम होने तक वह लंबी-लंबी कतारों में लगे रहते हैं.
लाखेरी, चंबल और मेज नदी की बाढ़ की विभिषिका झेलने के बाद किसानों को रबी की बुवाई के लिए खाद की कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. सहकारी समितियों और कृषि विभाग की उदासीनता के कारण किसानों के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. इसी वजह से किसानों को खाद आने की सूचना के साथ भागदौड़ शुरू हो जाती है. दो दिन से उपखंड क्षेत्र में खाद को लेकर कड़ी मशक्कत चल रही है.
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खाद की मांग के लिहाज से आपूर्ति कम होने से किसानो को दो या तीन कट्टो से संतोष करना पड़ रहा है. यही नहीं कम खाद आने से किसानों में खाद लेने के लिए रस्सा कशी शुरू हो जाती है. इसके चलते खाद को लेकर किसानों ओर वितरकों में तु तु - मैं मैं की नौबत के बीच पुलिस को दखल देना पड़ रहा है. दूसरे दिन सहकारी समिति के पदाधिकारियों ने खाद को लेकर किसानों की अच्छी खासी परेड करवा दी.पहले पुलिस थाने में खाद बांटने के बाद जगह बदल दी. ऐसे में किसानो को चार किमी तक चक्कर काटना पडा तब प्रशासन ओर पुलिस के दखल से कृषि उपज मंडी में खाद बाटना पडा.
मांग ज्यादा आपूर्ति कम
उपखंड क्षेत्र में हर वर्ष रबी के सीजन में अधिकारियों की लापरवाही के कारण खाद के लिए किसानों को कड़ी भागदौड़ करनी पडती है. रबी के सीजन में चार सौ मीट्रिक टन खाद की जरूरत होती है. उचित मांग नहीं भेजने से खाद की आपूर्ति कम हो पाती है. खाद की आपूर्ति में भी प्रभावशाली लोगों का दखल रहता है. वही निजी वितरकों की मनमानी भी बड़ा कारण सामने आता है.
बाढ़ से फसले चौपट
इस सीजन मे खाद की मांग अचानक इसलिए भी बढ गयी कि हाल ही कि बाढ मे क्षेत्र के खेत जलमग्न हो गये थे. फसले पानी में डुब कर तबाह हो गयी इसके चलते किसानो ने खेत हांक दिए.खेतो मे नमी व बढते तापमान के चलते अब सरसों की बुवाई का अनुकूल समय बन रहा है. इसलिए किसान खाद जमा कर जल्दी बुवाई की तैयारी मेन है.
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Reporter: Sandeep Vyas