भीलवाड़ा में Right to Health Bill का विरोध हुआ तेज, स्वास्थ्य सेवांए बंद कर डॉक्टर्स ने मनाया ब्लैक डे
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भीलवाड़ा में Right to Health Bill का विरोध हुआ तेज, स्वास्थ्य सेवांए बंद कर डॉक्टर्स ने मनाया ब्लैक डे

Right to Health Bill: भीलवाड़ा में राईट टू हेल्थ बिल के विरोधकर रहे डॉक्टर्स ने रविवार को एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया. जिसमें चिकित्सकों का कहना है कि यह बिल केवल आगामी चुनावों को देखते हुए जल्दबाजी में लाया गया है. इस बिल में पूरी तरह से संशोधन किया जाना चाहिए.

 

भीलवाड़ा में Right to Health Bill का विरोध हुआ तेज, स्वास्थ्य सेवांए बंद कर डॉक्टर्स ने मनाया ब्लैक डे

Right to Health Bill: राईट टू हेल्थ बिल के विरोध का असर भीलवाड़ा में भी साफ नजर आ रहा है. विरोध ने अब आंदोलन की राह पकड़ ली है और अब 27 मार्च को डॉक्टर इसे काला दिवस के रूप में मनाने की तेयारी कर रहे है. बिल का विरोध कर रहे चिकित्सकों ने रविवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन शाखा भीलवाड़ा के बैनर तले एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया.

डॉक्टर्स ने की प्रेस वार्ता 

आईएमए हॉल में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान उपस्थित चिकित्सकों ने राज्य सरकार के राईट टू हेल्थ बिल का विरोध करते हुए इसे आमजन के खिलाफ बताया. चिकित्सकों ने बताया कि राज्य सरकार अपनी खामियों को निजी अस्पतालों पर थौप रही है. प्रेस वार्ता के दौरान चिकित्सकों ने बताया कि बिल की खामियों को लेकर अब आमजन को जागरूक किया जाएगा. प्रेस वार्ता के दौरान चिकित्सकों ने बताया कि देशवासियों को स्वास्थ्य का अधिकार पहले ही प्राप्त है इसलिए अलग से कानून बनाकर स्वास्थ्य क्षेत्र के संचालन को जटिल बनाया जा रहा है.

सारे प्रावधान विभिन्न कानूनों के माध्यम से पहले से ही मिले हुए है, चिकित्सकों ने बताया कि सरकार द्वारा बार-बार यह कहा जा रहा है कि प्रस्तावित बिल विश्व स्वास्थ्य संग्र एवं सर्वोच्य न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप है. यदि यह सत्य है तो विश्व स्वास्थ्य संगठन अथवा सर्वोच्य न्यायालय के ऐसे किसी आदेश को सार्वजनिक किया जावें. प्रेस वार्ता के दौरान चिकित्सकों ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि मुफ्त का कोई भी सिस्टम स्थायी नहीं होता है, इस प्रकार का सिस्टम एक समय के बाद बंद होना होता है और बंद होने के बाद आंदोलन होते है.

चिकित्सकों का कहना है कि यह बिल केवल आगामी चुनावों को देखते हुए जल्दबाजी में लाया गया है. जिसका पूरे राजस्थान में विरोध किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बिल में सजा का प्रावधान है. कोई भी हमारे ऊपर केस कर सकता है और उसकी हम अपील भी नहीं कर सकते ये तो संविधान के खिलाफ है. डॉक्टरों का कहना है कि इमरजेंसी की कोई परिभाषा नहीं है. कोई भी डॉक्टर किसी का भी उपचार करेगा, यह किसी भी तरह से व्यावहारिक नहीं हैं. इस बिल में पूरी तरह से संशोधन किया जाना चाहिए.

जिलाध्यक्ष डॉ कैलाश काबरा समेत अन्य डॉक्टर्स रहे मौजूद 
सरकार ने जल्दबाजी में बिना सोचे समझे इस बिल को बनाया है. जिसका पुरजोर विरोध किया जा रहा है. विरोध करने वाले तमाम डॉक्टर्स ने कहा कि जब तक इस कानून को वापस नहीं लिया जाता तब तक डॉक्टर्स अपना आंदोलन जारी रखेंगे. जिले भर में निजी अस्पताल, क्लिनिक व नर्सिंग होम बंद है. बंद के कारण मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. प्रेस वार्ता के दौरान आईएमए के जिलाध्यक्ष डॉ कैलाश काबरा, डॉ हरीश मारू, डॉ आलोक मित्तल, डॉ पवन ओला, डॉ राजेश जैन, डॉ नीरज जैन, डॉ महेश गर्ग आदि मौजूद थे.

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