बांसवाड़ा के 30 युवाओं की टोली गोसेवा और पशु सेवा में पिछले 10 सालों से कार्य कर रही है, वागड़ बने वृंदावन के नाम से इन युवाओं के ग्रुप ने जन सहयोग से शहर में गोमाता चिकित्सा केंद्र भी खोल दिया है, जिसमें यह जिले और शहर में घायल गाय ,बैल और अन्य पशुओं का इलाज निशुल्क करते हैं.
Trending Photos
बांसवाड़ा: अक्सर अपने देख और सुना होगा की जवानी में युवक मौज मस्ती और घूमने फिरने और अपना कैरियर बनने में लगा रहता है, पर अपने कभी यह नहीं देखा होगा की कुछ युवा पढ़ाई के साथ-साथ बेजुबान जानवरों और पशुओं के रेस्क्यू और इलाज के लिए अपने एक दिन के 24 घंटो से में से 5 से 10 घंटे देते हैं, राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के वागड़ बने वृंदावन नाम से युवाओं के ग्रुप की. इस ग्रुप में 30 से अधिक युवा गोसेवा और पशुसेवा में दिन रात लगे हुए हैं. इन युवाओं ने पिछले 10 सालों में हजारों की संख्या में गाय, बैल,अजगर,सांप ,बंदर सहित कई जानवरों का रेस्क्यू किया है. घायलों का इलाज भी किया है.
इन युवाओं ने शहर में जन सहयोग से गो माता चिकित्सा केंद्र भी शुरू कर दिया है. इस केंद्र की शुरुआत 14 महीने पहले हुई है. इस चिकित्सा केंद्र में इस युवाओं ने अबतक 1250 से अधिक गाय, बैल और अन्य पशुओं का निशुल्क इलाज कर दिया है, उन्हें ठीक कर दिया है. इस चिकित्सा केंद्र में यह युवा जिले और शहर से घायल गाय, बैल और अन्य पशुओं को खुद जाकर रेस्क्यू करते हैं. अपने वाहन से इस चिकित्सालय लाते हैं, उनका इलाज करते हैं. निजी गो माता चिकित्सा केंद्र में 450 से अधिक लंपी से ग्रसित गाय और बैल का इलाज किया.
ग्रुप के शुभम नागर ने बताया की इस गोसेवा चिकित्सा केंद्र में जिले व शहर में घायल गोवंश और अन्य पशु हैं. उनको हमारी टीम खुद जाकर रेस्क्यू करती है. यहां पर लाती है. यहां पर इनका इलाज निशुल्क किया जाता है. ठीक कर पुनः भेजा जाता है. साथ ही इस चिकित्सालय में 24 घंटे हम सब मिलकर कार्य करते हैं.
ग्रुप के वरिष्ठ साथ अनुराग जैन ने बताया की इस चिकित्सालय को शुरू हुए करीब 14 महीने हो चुके हैं. इन 14 महीनों में 1250 गोवंश और अन्य जीव का यहां पर इलाज किया है, और पिछले ढाई महीनो से लंपी से ग्रसित जो गाय है. उनका यहां पर लगातार इलाज किया जा रहा है. यहां पर गाय चाहे बाजार से लाए हों या उसका मालिक हो उनका इलाज किया जा रहा है.
लंपी से ग्रसित 430 से अधिक गोवंश यहां पर उपचार के लिए आया है, जिनका यहां इलाज किया गया और ठीक किया गया. अभी वर्तमान में भी यहां 125 गोवंश का इलाज किया जा रहा है. हमारे इस ग्रुप में सक्रिय 30 जनों की टीम है और गोग्रास के माध्यम से 1200 परिवार हमसे जुड़े हुई हैं
रिपोर्टर - अजय ओझा
ये भी पढ़ें- Rajsamand: जन्म दिन के दिन चोरों ने दिया बड़ा जख्म, सोने-चांदी से भरा बैग किया पार, 10 लाख रुपए की लगाई चपत