Tiger Dead In Sariska: सरिस्का वन अभ्यारण्य के बफर जॉन रेंज वन मंडल के अधीन आने वाले गांव हाजीपुर डढ़ीकर में एक पैंथर का शव मिला है. शव दो तीन दिन पुराना बताया जा रहा है. इससे पहले भी करीब सात दिन पहले भी इसी क्षेत्र ने एक पैंथर का शव मिला था.बफर जॉन में सामने आ रही दुर्लभ जाती के पैंथरो की मौत कई सवाल खड़े कर रहे है.
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Tiger Dead In Sariska, Alwar News: सरिस्का वन अभ्यारण्य के बफर जॉन रेंज वन मंडल के अधीन आने वाले गांव हाजीपुर डढ़ीकर में एक पैंथर का शव मिला है. शव दो तीन दिन पुराना बताया जा रहा है. इससे पहले भी करीब सात दिन पहले भी इसी क्षेत्र ने एक पैंथर का शव मिला था.बफर जॉन में सामने आ रही दुर्लभ जाती के पैंथरो की मौत कई सवाल खड़े कर रहे है. इस संभावना से इंकार नहीं किया है सकता कि पैंथर की मौत के पीछे ग्रामीणों द्वारा अपने पशुओं को बचाने के लिए हत्या की गई हो,लेकिन सवाल यह भी है जिस क्षेत्र में एक सप्ताह में दो पैंथर के शव मिले हो उस क्षेत्र में बाघ एसटी 18 के शावक भी कई बार नजर आ चुके हैं .उन्हें भी सुरक्षित बचाना किसी चुनौती से कम नहीं है.
सरिस्का वन अभ्यारण्य की पहचान देश दुनिया में बन चुकी है यहां बाघों की दहाड़ सुनने के लिए पर्यटक खींचे चले आते है , लेकिन सरिस्का के बफर जॉन लगातार सामने आ रही पैथरों कि मौत ने चिंता बढ़ा दी है , फिर सरिस्का में 2004 और 2005 वाले हालात न बन जाये जब यहां शिकारियों ने एक एक कर सभी बाघों के सफाया कर दिया था , लेकिन सरिस्का अब आबाद हो चुका है यहां करीब 28 बाघ बाघिन मौजूद है , अब बाघों ने अपनी नई टेरेटरी तलाशना शुरू कर दिया है पिछले दिनों एसटी 18 के शावक सरिस्का के बफर जॉन बाला किला वन रेंज में नजर आए थे.
अब चिंता इसी बात की है पिछले आठ दिनों में यहां दो पैंथर की मौत हो चुकी है, हाल ही में 12 अप्रैल को हाजीपुर ढ़डीकर के जंगलों में एक पैंथर पड़ा मिला था उसके शरीर मे किसी तरह के चोट के निशान नही थे अब फिर उसी क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में शनिवार को एक पैंथर का शव मिला है इसके गले पर कोई चोट के निशान बताए जा रहे है. वन कर्मी इसे बाघ द्वारा हमला किये जाने का अंदेशा जता रहे , लेकिन वन विभाग को बाघ के पगमार्क या अन्य कोई मूवमेंट वहां नही मिल पाए. रेंजर प्रदीप सिंह ने बताया पैंथर के गर्दन पर चोट के निशान है हालांकि पूरी जानकारी पोस्टमार्टम के बाद ही सामने आ पाएगी.
कही पैंथरो का शिकार तो नहीं हो रहा यह भी बड़ा सवाल है , शिकार का अंदेशा इसलिए भी लगता है बफर रेंज. डेहरा शाहपुर में करीब एक साल पहले भी एक पैंथर और दो शावकों के शव मिले थे, यहां ग्रामीणों ने एक गाय पर जहर लगाकर पैंथर के खाने के लिए छोड़ दिया था जिससे तीन पैंथर की मौत हो गयी थी.
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अब फिर एक बार फिर सरिस्का के बफर जॉन के हाजीपुर ढ़ड़ीकर गांव में एक सप्ताह में हुई दो पैंथर की मौत से वन विभाग की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए है. एक तरफ सरकारे बाघों सहित वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर हर साल एक बड़ा बजट खर्च करती है दूसरी तरफ वन विभाग के अधिकारी अपनी नाकामियों को छुपाने के प्रयास में जुटे है.