दिवेर युद्ध में मुगल सेना के सेनापति को घोड़े सहित महाराणा प्रताप ने दो भागों में था चीरा,जानिए पूरा इतिहास
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दिवेर युद्ध में मुगल सेना के सेनापति को घोड़े सहित महाराणा प्रताप ने दो भागों में था चीरा,जानिए पूरा इतिहास

मुख्य वक्ता भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष रामकृष्ण गोस्वामी ने कहा कि हमें दिवेर युद्ध के की 5-प्रमुख बिंदुओं पर मंथन करना चाहिए.

दिवेर युद्ध में मुगल सेना के सेनापति को घोड़े सहित महाराणा प्रताप ने दो भागों में था चीरा,जानिए पूरा इतिहास

Alwar: मेवाड़ के स्वर्णिम इतिहास हल्दीघाटी के बाद दिवेर में विजयदशमी को महाराणा प्रताप की मुगलों पर हुई जीत को इतिहास में छुपाए जाने पर आक्रोश जताया गया. ब्रजभूमि कल्याण परिषद के राष्ट्रीय संयोजक डॉ पंकज गुप्ता ने कार्यक्रम की प्रस्तावना देते हुए बताया कि बृज भूमि कल्याण परिषद राष्ट्र समाज देश को जगाने के लिए जन जागरण कर रही है.

उन्होंने कहा कि हमारी पूर्वर्ती सरकारों द्वारा भारत की जनता को हमारे स्वर्णिम इतिहास से दूर रखा गया है और बहुत सारी ऐसी बातें जिन पर भारत के लोगों को गर्व होना चाहिए. ऐसा ही एक युद्ध है दिवेर का धर्म युद्ध जो कि हल्दीघाटी युद्ध के 6 वर्ष बाद 1582 में हुआ था और उसमें मुगलों की शर्मनाक हार हुई थी और महाराणा प्रताप की सेना विजई हुई थी. उस दिन विजय दशमी थी.

मुख्य वक्ता भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष रामकृष्ण गोस्वामी ने कहा कि हमें दिवेर युद्ध के की 5-प्रमुख बिंदुओं पर मंथन करना चाहिए.

 हल्दीघाटी के 6-वर्ष बाद मुगलों की शर्मनाक पराजय.

मेवाड़ का 85% भूभाग मुगलों से आजाद करा लिया.

 मुगल सेना के 36000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया.

अकबर ने इस पराजय के बाद फिर हमला नहीं किया.

 मुगल सेनापति बहलोल खां और सुलतान खां की मृत्यु.

अतः इन बातों पर चर्चा करने के लिए आर और हमारे स्वर्णिम इतिहास की स्मृति में यह कार्यक्रम किया जा रहा है और पूरे राजस्थान और निवारण में मेवाड़ में इसकी स्वर्णिम अनुभूति और याद सबको दिलाई जा रही है. यह युद्ध विजयदशमी के दिन हुआ था जिसमें मुगल सेना के सेनापति बेहलोल खां को घोड़े सहित महाराणा प्रताप ने दो भागों में चीर दिया था. महाराणा प्रताप के बेटे अमर सिंह ने अकबर के चाचा को भाले से जमीन में घुसा दिया था. इसके बारे में पूर्वी वामपंथी इतिहासकारों ने हमारे इतिहास में इसकी पूरी सच्चाई को हमसे छुपा का रखा और हल्दीघाटी में भी महाराणा प्रताप की जीत हुई थी, उसके बारे में भी इतिहास में गलत पढ़ाया गया है.

इतिहासविद, पूर्व प्रोफेसर डॉ राकेश शर्मा ने इस युद्ध के बारे में खुलासा करते हुए बताया दिवेर का महायुद्ध एक मैराथन की तरह था. जिसमें महाराणा प्रताप की अभूतपूर्व विजय हुई थी. जिसके अकाट्य प्रमाण हमारे पास हैं. वामपंथी इतिहासकारों ने सत्यता से भारत की जनता को दूर रखा और हमारी गौरवशाली बातें जो भी है उनको भी इस प्रकार से प्रस्तुत किया कि जिससे भारत की जनता को अपने ऊपर शर्म महसूस हो और गौरव का एहसास ना हो. उन्होंने बताया कि भारत एक मात्र ऐसा देश है जिस पर मुगलों के इतने आक्रमण होने के बाद भी हिंदू धर्म जीवित है और सनातन सभ्यता जीवित है.

जोधपुर से इस कार्यक्रम के लिए मुख्य अतिथि के रूप में पधारे पूर्व डीआईजी कारागार सुरेंद्र सिंह शेखावत जो दिवेर युद्ध की चर्चा के लिए मुख्य प्रेरणा स्रोत हैं उन्होंने बताया कि दिवेर एक सामरिक महत्व का स्थान है जहां से पूरे मेवाड़ पर नजर रखी जा सकती है. वह मेवाड़ का एंट्री पॉइंट है और जिसका दिवेर पर कब्जा होता है उसी का मेवाड़ पर कब्जा होता है.
अध्यक्षता भाषण देते हुए अलवर के शल्य चिकित्सक और समाज सेवी डॉक्टर कृष्ण कुमार गुप्ता ने श्रोताओं को आग्रह अपील और निवेदन किया कि हमें अपने परिवार में अपने बच्चों को अपनी संस्कृति और वास्तविक इतिहास के बारे में बताना चाहिए और हमारे इतिहास के जो गौरवशाली बातें हैं उनसे रूबरू करवाना चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि वो सरकार से मांग करते हैं कि जो हमारे इतिहास से छेड़छाड़ की गई हैं उसको दुरुस्त करें और वास्तविक इतिहास हमारे बच्चों को पढ़ाएं. ब्रज भूमि कल्याण परिषद के राष्ट्रीय योजना प्रमुख श्रीचंद्र साहू ने ब्रज भूमि कल्याण परिषद की आगामी योजना के बारे में बताते हुए कहा कि दिवेर के युद्ध एवं भागवत गीता का प्रचार-प्रसार संगठन राजस्थान और देश में कर रहा है और आगे भी जोर शोर से करता रहेगा.

जयपुर महानगर के गीता परिवार के जिलाध्यक्ष राज कुलदीप सिंह ने कहा कि गीता का अध्ययन समाज के प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए और गीता का आत्मसात करना चाहिए.
जयपुर से पधारी भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान की प्रदेश सचिव सरिता मित्तल ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम के संयोजक अश्वनी जावली ने सभी राष्ट्र भक्तों से हिंदू सनातन धर्म के अनुयायियों से राजपूताना मेवाड़ के साथियों से नम्र निवेदन अपील आग्रह किया कि इस स्वर्णिम इतिहास के बारे में अधिक से अधिक लोगो को हम बताएंगे.

हमारा गौरवशाली इतिहास हल्दीघाटी के छह वर्ष बाद हुए दिवेर के धर्म युद्ध पर (जिसमें महाभारत काल की याद ताजा करते हुए महाराणा प्रताप ने मुगलों को शर्मनाक हार दी थी) 36000 मुगल सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था और 36000 मुगल सैनिकों की मौत के मुंह सुला दिया गया था. मेवाड़ के 85% भू भाग पर महाराणा प्रताप का कब्जा हो गया था , इस स्वर्णिम इतिहास को हमारी पूर्ववर्ती सरकारों ने हमें नहीं पढ़ाया नहीं बताया, इस संदर्भ में बृजभूमि कल्याण परिषद द्वारा विशेष कार्यक्रम जन जागरण के आयोजित करती रहेगी.

कार्यक्रम में ब्रज भूमि कल्याण परिषद के प्रदेश सचिव प्रेम प्रकाश शर्मा, जिलाध्यक्ष कैप्टन उमराव लाल सैनी, जिला उपाध्यक्ष एडवोकेट सूर्यकांत शर्मा, संरक्षक संतराम अरोड़ा, नगर अध्यक्ष यशवंत कुमार गुप्ता, नगर मंत्री मनोज कुमार शर्मा, दीपेश नोटरी मनोहरलाल सैनी, मीना सैनी, शैलेंद्र सिंह, रुचि शर्मा, उमरैन से पंडित नत्थूलाल शास्त्री, कारागार से रिटायर्ड पुलिस उप अधीक्षक रामनिवास यादव, प्रेम सिंह राजावत, हिमांशु सैनी, डॉक्टर गोपाल शास्त्री, रोहन लोहार, विजेंद्र भी खंडेलवाल, हेमंत सेंन, भारत रक्षा मंच से संदीप शर्मा और लखन शर्मा और डॉक्टर नरोत्तम लाल गुप्ता, खुशीराम अंकित अनिल खंडेलवाल आदि उपस्थित थे.

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