Alwar News: शहर के ब्यावर खास रोड स्थित श्री ज्वालामुखी माता का मंदिर माता के भक्तों की आस्था का केन्द्र है. पहाड पर स्थापित होने के कारण इसे डूंगरी माताजी के नाम से पहचाना जाता है. नवरात्र के दौरान मंदिर परिसर में दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. शहर से दूर तथा जंगल में स्थापित होने के बाद भी श्रद्धालुओं की श्रद्धा मंदिर से जुड़ी हुई है. नवरात्रि के अवसर पर शहर तथा ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालु प्रतिदिन माता के दरबार में नंगे पांव जाकर हाजरी देते हैं.
मंदिर में रहती है भक्तों की भारी भीड़
प्रतिदिन सुबह तथा संध्या आरती में में भारी भीड़ मंदिर में रहती है. श्री ज्वालामुखी माताजी की डूंगरी न्यास के मंत्री जितेन्द्र दाधीच के अनुसार मंदिर के शहर के बाहर स्थापित होने के कारण मंदिर परिसर का दृश्य और भी रमणीक हो जाता है. वर्षा ऋतु के समय यहां पर श्रद्धालु पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती है. मंदिर के आसपास जंगली जानवर भी विचरण करते रहते हैं लेकिन आज तक किसी भी जंगली जानवर द्वारा किसी पशु और मनुष्य को किसी प्रकार की कोई हानि नहीं पहुंचाई गई है. श्रद्धालु इसे माताजी का ही आशीर्वाद मानते हैं.
धार्मिक प्रवृत्ति के शासक थे कर्नल जार्ज डिक्सन
मालूम हो कि ब्यावर शहर के संस्थापक कर्नल जार्ज डिक्सन धार्मिक प्रवृत्ति के शासक थे. उन्होंने ब्यावर शहर की स्थापना के साथ ही शहर में धार्मिक स्थलों के विकास पर विशेष ध्यान दिया और शहर के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक स्थलों की स्थापना की. इसी कड़ी में सन् 1845 में कर्नल डिक्सन ने शहर के बाहर ब्यावर खास रोड पर श्री ज्वालामुखी माता के मंदिर की स्थापना की. इस दौरान उन्होंने माताजी के नाम पर जमीन का पट्टा व ताम्र-पत्र भी जारी किया.
मंदिर ट्रस्ट के पास है एक एकड़ भूमि
वर्तमान में मंदिर ट्रस्ट के पास माताजी मंदिर के पास कई एकड़ कृषि भूमि भी है. श्रद्धा की प्रतिमूर्ति ज्वालामुखी माताजी के दरबार में सच्चे मन से अरदास करने वालों की माताजी हमेशा झोलिया भरती हैं. नवरात्र पर्व के दौरान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं. शारदीय व बसंती नवरात्रि के दौरान दुर्गाष्टमी माताजी के यहां मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालु भाग लेते हैं.