गर्मी में ग्रामीण क्षेत्रों में मटका की मांग काफी बढ़ जाती है जिसको देखते हुए कुम्हार दो-चार माह पहले से ही मटके की तैयारी में जुट जाते हैं. ऐसे में इस बार कुम्हारों ने मांग के अनुरूप अलग-अलग डिजाइन के मटके तैयार किए हैं, जो लोगों को काफी लुभा रहा है.
Trending Photos
Kekri: गर्मी में ग्रामीण क्षेत्रों में मटका की मांग काफी बढ़ जाती है जिसको देखते हुए कुम्हार दो-चार माह पहले से ही मटके की तैयारी में जुट जाते हैं. ऐसे में इस बार कुम्हारों ने मांग के अनुरूप अलग-अलग डिजाइन के मटके तैयार किए हैं, जो लोगों को काफी लुभा रहा है. हालांकि विगत दो साल से कोरोना के चलते इनका रोजगार पूरी तरह से चौपट हो गया था. स्थिति ऐसी हो गई थी कि जो पूंजी लगाए थे वो भी निकलना मुश्किल हो गया था लेकिन अब स्थिति सामान्य होने के बाद अच्छी-खासी बिक्री शुरू हो गई है जिससे अब कुम्हारों ने राहत की सांस ली है.
गौरतलब हो कि केकड़ी क्षेत्र में अब गर्मी पूरे शबाब पर है, ऐसे में लोंगो को शीतल पेयजल की आवश्यकता है, ऐसे में कुम्हारों द्वारा तैयार किए गए देशी फ्रीज या मटका की बिक्री जोरों पर है. इस संबंध में केकड़ी थाने के बाहर मटकी बेच रहे कुम्हार ने बताया कि इनका पुस्तैनी धंधा मिट्टी का बर्तन बनाकर बेचना है. इस कारण वे मौसम और त्यौहार को देखते हुए मिट्टी के बर्तन तैयार करते हैं, जिसको बेचकर जो पैसा आता है उसी से अपना घर परिवार का पालन पोषण करता है लेकिन विगत दो साल से कोरोना संक्रमण के चलते इनका रोजगार पूरी तरह से चौपट हो गया था.
स्थिति ऐसी हो गई थी कि जो लागत लगाकर मिट्टी के बर्तन तैयार करते थे उसका लागत तक नहीं निकल पा रहा था, जिससे इनको आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा. ऐसे में अब स्थिति सामान्य होने के बाद इनका धंधा फिर से जोर पकड़ने लगा है. इस बार गर्मी को देखते हुए बड़ी संख्या में मटका तैयार किया है. साथ ही लोगों की मांग के अनुरूप अलग-अलग डिजाइन के मटके बने हैं जो लोगों को खूब भा रहे है, ऐसे में इस बार उम्मीद है कि अच्छा-खासा धंधा होगा.
हजारों रुपये होते हैं खर्च
इस संबंध में कुम्हारों का कहना है कि इस साल बड़ी मात्रा में मटके तैयार किए है, इसके लिए हजारों रुपये खर्च करना पड़ा. साथ ही उसका कहना था कि इस महंगाई के समय में दो हजार रुपये ट्रैक्टर मिट्टी और 5 से 6 रुपये किलो लकड़ी हो गया है. इस कारण अब मिट्टी का बर्तन भी काफी कीमती हो गया है लेकिन लोगों की मांग के अनुरूप अलग-अलग डिजाइन के मटके तैयार किया गए है. साथ ही मटेरियल का रेट बढ़ जाने के कारण इस बार मटके का भी रेट बढ़ा है लेकिन दिनों-दिन बढ़ रही गर्मी को देखते हुए इस बार अच्छी-खासी बिक्री हो रही है.
गर्मी कर रही बेहाल
जून का महीना शुरू होते ही गर्मी ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. तेज धूप लोगों को झुलसाने लगी है. गर्मी के तीखे तेवर के चलते दिन का अधिकतम तापमान 41 डिग्री पर पहुंच गया है. गर्म हवाओं के कारण अब रात का तापमान भी बढ़ गया है, जिससे रात में भी लोगों का गर्मी से बुरा हाल हो रहा है, ऐसे में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही गर्मी ने लोगों की परेशानी भी बढ़ा दी है. लोग धूप में घरों से बाहर निकलने से बच रहे हैं. वहीं गर्मी बढ़ने के साथ ही लोग इससे राहत पाने के उपाय भी ढूंढ रहेहैं. हालांकि ठंडा पानी गर्मी से राहत दिलाता है इसलिए मटके की मांग भी बढ़ गई है. वहीं इन दिनों सुबह से ही कुम्हारों के घरों तक मटका लेने के लिए लोग पहुंचने लगे हैं.
साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के कुम्हार इन दिनों शहर की सड़कों पर घूम-घूम कर मटका बेच रहे है. केकड़ी में मिट्टी के बर्तन बेच रहे राकेश कुम्हार ने बताया कि हमारे द्वारा बनाए गए बर्तन खत्म हो गए हैं जिसके चलते सिंगावल ब्यावर जयपुर से मिट्टी के सामान मंगाए जा रहे हैं. मिट्टी की मटकी ₹80 से ₹300 तक बेची जा रही है. वहीं पक्षियों के लिए परिंडे ₹20 से ₹30 तक बेचा जा रहा है, वही सब्जी बनाने की हांडी ₹100 तक बिक रही है. राकेश ने B.A. कर रखी है लेकिन रोजगार के अभाव में अपने घर के पुराने धंधे को ही कर रहा है और उसकी पत्नी मंजू भी दिन भर मिट्टी के बर्तन बेचती है.
कोरोना के चलते लोगों ने फ्रीज से बनाई दूरी
कोरोना के चलते लोगों ने अपने घरों पर फ्रीज से दूरी बनाई है जिसके चलते मिट्टी के बर्तनों की बंपर बिक्री हो रही है. कोरोना के डर के चलते लोग मटकी से पानी पीना पसंद कर रहे हैं कई घरों में तो फ्रीज शोपीस बने हुए है जिसके चलते कुम्हारों की बल्ले-बल्ले हो रही है.
Reporter: Manveer Singh
यह भी पढ़ें - केकड़ी को जिला बनाने की मांग को लेकर जनता ने सरकार को लिखा पत्र
अपने जिले की खबर देखने के लिए यहां क्लिक करें