Indian Railway: भारत में सबसे ऊंचाई पर है ये रेलवे स्टेशन, छू सकते हैं बादल भी
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Indian Railway: भारत में सबसे ऊंचाई पर है ये रेलवे स्टेशन, छू सकते हैं बादल भी

Toy Train: घुम स्टेशन को देखने और यहां की प्राकृतिक का नजारा देखने के लिए देशभर के सैलानी यहां पर आते हैं. घुम में रेलवे संग्रहालय भी है. यह अनोखा संग्रहालय है, जहां पर म्यूजियम पिछले 200 सालों में घुम रेलवे स्टेशन के इतिहास की जानकारी देता है.

घुम रेलवे स्टेशन

Darjeeling: भारतीय रेलवे में रोजाना लाखों आदमी सफर करते हैं. भारत की ट्रेनें प्रतिदिन हाई स्पीड होती जा रही हैं. कहीं-कहीं तो ट्रेनें हवा से बातें करती हैं और कहीं ऐसा भी है कि ट्रेनें बहुत ही धीमी गति से चलती हैं. अभी तक आपने भारत का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन और सबसे छोटे रेलवे स्टेशन के बारे में सुना होगा लेकिन क्या आपको पता है भारत में सबसे ऊंचाई पर कौन सा स्टेशन बना है. ये स्टेशन कहां पर है? आज हम आपको ऐसे ही रेलवे स्टेशन के बारे में बताने जा रहे हैं.

घुम रेलवे स्टेशन

दार्जिलिंग में स्थित घुम रेलवे स्टेशन सबसे ऊंचाई पर स्थित है. ये करीब 7407 फीट ऊंचाई पर बना हुआ है. ये स्टेशन दार्जिलिंग से केवल 8 किलोमीटर पहले स्थित है. यहां पर यूनेस्को की हेरिटेज लिस्ट में शामिल टॉय ट्रेन चलती है. सड़क के बीचो-बीच बना ये स्टेशन देश भर के पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है. इस रेलवे स्टेशन को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. स्टेशन से लोग प्रकृति की खूबसूरती का नजारा देखते हैं. न्यूजलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग जाने वाली टॉय ट्रेन घुम स्टेशन से होकर जाती है. यह रास्ता काफी लंबा है. इसलिए अधिकतर सैलानी घुम से दार्जिलिंग तक का सफर टॉय ट्रेन से करते हैं.

देशभर से आते हैं सैलानी

इस स्टेशन को देखने और यहां की प्राकृतिक का नजारा देखने के लिए देशभर के सैलानी यहां पर आते हैं. घुम में रेलवे संग्रहालय भी है. यह अनोखा संग्रहालय है, जहां पर म्यूजियम पिछले 200 सालों में घुम रेलवे स्टेशन के इतिहास की जानकारी देता है. यहां आपको 1883 के रेल टिकट भी देखने को मिलेंगे. साथ ही उन मशीनों की फोटो भी देखने को मिलेगी जो पहाड़ी इलाके में रेलवे लाइन बिछाने के काम आती थी. इस रेलवे स्टेशन की स्थापना 1881 में हुई थी. दार्जिलिंग से घुम तक टॉय ट्रेन से सफर के दौरान आपको ट्रेनों की पटरियों का सुंदर घुमावदार नजारा भी देखने को मिलेगा. पहाड़ों की चढ़ाई से बचने के लिए 1919 में घुमावदार पटरियों का निर्माण किया गया था. यह लूप तकनीकी कौशल का एक नमूना है.

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