Rahul Gandhi at Lal Chowk: राहुल गांधी जिस निडरता के साथ लाल चौक पर घूम रहे हैं, उन्होंने खुद भी नहीं सोचा होगा कि कभी वो इस तरह से लाल चौक पर घूम सकेंगे. दरअसल लाल चौक का खूनी इतिहास को देखने के बाद, किसी भी कांग्रेस सरकार ने इस विषय में नहीं सोचा होगा. लेकिन अनुच्छेद 370 के हटने के बाद हर भारतीय, अब लाल चौक पर ऐसे ही घूमता है, जैसे राहुल गांधी दिखाई दे रहे हैं.
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Jammu-Kashmir Elections: जम्मू कश्मीर में चुनावों का ऐलान हो गया है. 18 सितंबर से तीन चरणों में जम्मू कश्मीर का मुकद्दर तय होना है. जनता किस राजनीतिक पार्टी के सपोर्ट करेगी, ये देखना है. लेकिन वो राजनीतिक पार्टी कौन सी होगी, ये सुनिश्चित करने की जंग भी शुरू हो गई है.
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे दो दिन के दौरे पर श्रीनगर पहुंचे हुए हैं. जम्मू कश्मीर पहुंचने के बाद राहुल गांधी ने बुधवार रात वहां के एक प्रसिद्ध रेस्टोरेंट में खाना खाया. ये रेस्टोरेंट जिस जगह पर मौजूद है, वहां पर 2019 से पहले किसी बड़े राजनेता का पहुंचना या तिरंगा फहराना मुमकिन नहीं था। वो जगह है श्रीनगर का लाल चौक.
निडर होकर लाल चौक पर घूमे राहुल
राहुल गांधी जिस निडरता के साथ लाल चौक पर घूम रहे हैं, उन्होंने खुद भी नहीं सोचा होगा कि कभी वो इस तरह से लाल चौक पर घूम सकेंगे. दरअसल लाल चौक का खूनी इतिहास को देखने के बाद, किसी भी कांग्रेस सरकार ने इस विषय में नहीं सोचा होगा. लेकिन अनुच्छेद 370 के हटने के बाद हर भारतीय, अब लाल चौक पर ऐसे ही घूमता है, जैसे राहुल गांधी दिखाई दे रहे हैं.
राहुल गांधी लाल चौक पर मौजूद एक बड़े रेस्टोरेंट में डिनर करने गए थे. यहां पर वो काफी देर रुके रहे। इस दौरान कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेता और मल्लिकार्जुन खडगे भी उनके साथ थे. डिनर करने के बाद राहुल इस रेस्टोरेंट से निकले, तो आसपास घूमते हुए पास में ही एक आइसक्रीम पार्लर में भी गए. यहां भी वो काफी देर रुके और आइसक्रीम खाई. वहां मौजूद स्थानीय लोगों के साथ कुछ फोटोज़ भी खिंचवाईं. इसके बाद वो रात में ही कुछ देर लालचौक के आसपास घूमकर, वापस अपने होटल चले गए.
आम लोगों से मिले राहुल, एनसी से किया गठबंधन
हालांकि इस दौरान सुरक्षाबलों ने उनकी सिक्योरिटी से कोई समझौता नहीं किया. लेकिन फिर भी राहुल गांधी आम लोगों से मिले. राहुल और मल्लिकार्जुन खड़गे का श्रीनगर दौरे का मकसद संगठन की मजबूती और राजनीतिक साथी की तलाश थी. नेशनल कांफ्रेंस फारुख अब्दुल्ला ने कांग्रेस पार्टी के साथ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.
जम्मू कश्मीर में जीत की गारंटी के लिए कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेस एक साथ आ गए हैं. बीजेपी ने भी पार्टी की मजबूती के लिए RSS के एक भरोसेमंद चेहरे को जम्मू कश्मीर का जिम्मा दिया है.
फिर राम माधव की बीजेपी को आई याद
राम माधव एक बार फिर RSS से बीजेपी में शिफ्ट हो गए हैं. देखा जाए तो इसे सक्रिय राजनीति में उनकी वापसी कही जाएगी. राम माधव 2019 के बाद पार्टी से शिफ्ट होकर RSS में चले गए थे. अब उनको बीजेपी ने जम्मू कश्मीर का चुनाव प्रभारी बनाया है. तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष जी. किशन रेड्डी को भी ये जिम्मेदारी दी गई है. राम माधव की वापसी पर कई तरह की चर्चाएं हैं. जैसे बीजेपी को राम माधव की जरूरत क्यों पड़ गई है?
दरअसल राम माधव को जम्मू कश्मीर में काम करने का अच्छा खासा अनुभव है. अनुच्छेद 370 हटाने की तैयारियों में भी राम माधव की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी, PDP के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, इस सफलता के पीछे राम माधव ही थे. राम माधव की वापसी, बीजेपी में RSS की मजबूत पकड़ को भी दिखाता है. दरअसल लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और संघ के बीच दूरी की खबरें आई थीं. चुनाव परिणामों में इसका असर दिखाई दिया. खासतौर से यूपी में बीजेपी के प्रदर्शन ने रणनीतिकारों को काफी निराश किया था. यही वजह है कि अब बीजेपी ने RSS की ओर रुख किया है. राम माधव की जम्मू कश्मीर में वापसी यही संकेत दे रही है.