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Prashant Kishor joining Congress Speculation: कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर द्वारा स्थापित कंपनी ‘इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी’ (आई-पैक) के तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के लिए काम करने को लेकर आपत्ति जताई है. कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि जब प्रशांत किशोर पार्टी में शामिल होने के इच्छुक हैं तो ऐसे में उनका तेलंगाना में कांग्रेस की मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी के साथ किसी भी तरह का जुड़ाव उचित नहीं है.
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की ओर से कांग्रेस को मजबूत करने के लिए दिए गए सुझावों से संबंधित समिति की रिपोर्ट पर सोमवार को सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के आवास पर चर्चा की गई. सूत्रों का कहना है कि समिति से जुड़े कुछ नेताओं ने तेलंगाना के ताजा घटनाक्रम को लेकर चिंता व्यक्त की.
उधर, तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी के करीबी सूत्रों ने कहा, 'एक तरफ प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) कांग्रेस में शामिल होने के बारे में बातचीत कर रहे हैं और दूसरी तरफ तेलंगाना में ऐसे दल के साथ पेशेवर तरीके से जुड़ रहे हैं, जिसके खिलाफ हम लड़ रहे हैं. हम उम्मीद करते हैं कि कांग्रेस के साथ जुड़ने पर वह टीआरएस के साथ किसी भी तरह का संबंध नहीं रखेंगे.'
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गौरतलब है कि तेलंगाना की सत्तारूढ़ पार्टी टीआरएस और ‘आई-पैक’ के बीच करार हुआ है. इसके तहत, यह कंपनी टीआरएस के चुनावी अभियान को धार देने के लिए काम करेगी. टीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्य में मंत्री केटी रामाराव ने उस वक्त ‘हां’ में जवाब दिया, जब उनसे सवाल किया गया कि क्या उनकी पार्टी आई-पैक के साथ काम करेगी, किशोर के साथ नहीं.
उधर, कांग्रेस के तेलंगाना प्रभारी मणिकम टैगोर ने एक ट्वीट किया जिसे इसी घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है. उन्होंने एक कथन को उद्धृत करते हुए कहा, 'ऐसे किसी व्यक्ति पर कभी विश्वास नहीं करो जो आपके दुश्मन का दोस्त है.' इस कथन के साथ टैगोर ने सवाल भी किया था, 'क्या सही है?'
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने हाल ही में कांग्रेस नेतृत्व के समक्ष यह इच्छा जाहिर की थी कि वह पार्टी से जुड़ना चाहते हैं. उल्लेखनीय है कि पिछले साल पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव के बाद किशोर ने राजनीतिक परामर्श के काम से खुद के अलग होने की घोषणा की थी. वह कई मौकों पर यह कह चुके हैं कि वह 'आई-पैक' के काम को नहीं देखते हैं.
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