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Rashtrapati Bhavan Facts: वायसराय के शाही कमरे में नहीं, गेस्ट हाउस में रहते हैं राष्ट्रपति, जानिए रायसीना हिल्स के गजब के रोचक तथ्य

Unknown Facts of Rashtrapati Bhavan Facts: देश की नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कल यानी 25 जुलाई को 15वीं राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी. इसके बाद वो राजधानी दिल्ली के रायसीना हिल्स में बने राष्ट्रपति भवन में रहेंगी. इस राष्ट्रपति भवन का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. साल 1912 में राष्ट्रपति भवन का निर्माण शुरू हुआ. ये भवन 19 साल में बनकर तैयार हो पाया. राष्ट्रपति भवन में हर चीज अनोखी और ऐतिहासिक है. इस इमारत के कई रोचक तथ्य हैं, जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं.

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पहले अंग्रेजों ने देश कोलकाला को राजधानी बनाया था, लेकिन साल 1911 में अंग्रेजों ने राजधानी को दिल्ली शिफ्ट किया. इसके बाद 1912 में रायसीना हिल्स में राष्ट्रपति भवन का काम शुरू हुआ. पहले इसके निर्माण की सीमा 4 साल तय की गई. लेकिन 1914 में पहला विश्व युद्ध शुरू हो गया. इस कारण इमारत बनने का काम 19 साल बाद 23 जनवरी 1931 में पूरा हो पाया.

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ब्रिटिश शासन में इस इमारत को वायसराय हाउस कहते थे. इसे ब्रिटिश हुकुमत के वायसराय के लिए बनाया गया था. लेकिन 15 अगस्त 1947 में जब देश आजाद हो गया तो इसका नाम राजभवन (Government House) रखा गया. इसके बाद देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) के कार्यकाल में इसका नाम राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) हो गया.

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राष्ट्रपति भवन में रहने वाले पहले व्यक्ति पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद नहीं बल्कि सी. राजगोपालाचारी (C. Rajagopalachari) थे. दरअसल, डॉ राजेंद्र प्रसाद 26 जनवरी 1950 को देश के पहले राष्ट्रपति बने. लेकिन सी. राजगोपालाचारी 21 जून 1948 को पहले भारतीय गवर्नर जनरल बन गए थे. उस वक्त राष्ट्रपति भवन राजभवन हुआ करता था. उन्होंने राष्ट्रपति भवन के सेंट्रल डोम के नीचे शपथ ली थी.

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सी. राजगोपालाचारी इस इमारत में रहने वाले पहले भारतीय तो थे, लेकिव वो यहां वायसराय के लिए बने राजसी कमरे में नहीं रहे. दरअसल, इस भवन के बड़े कमरे उनको रास नहीं आए, इसलिए वो तब के गेस्ट हाउस के एक छोटे कमरे में रहे. यही कमरा अब राष्ट्रपति भवन का परिवार विंग (Family Wing of the Rashtrapati Bhavan) कहलाता है.

 

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वहीं, सी. राजगोपालाचारी ने जो परंपरा शुरू की, वो आज तक जारी है. सी. राजगोपालाचारी के बाद पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद सहित अब तक जितने भी राष्ट्रपति इस भवन में आए, सभी ने वायसराय के आलीशान कमरे की जगह, उसी कमरे में रहना पसंद किया, जहां पहले भारतीय गवर्नर जनरल रहे थे. ऐसे में कुछ समय बाद वायसराय के कमरे को गेस्ट विंग बना दिया गया. अब यहां अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष और उनका प्रतिनिधि मंडल ठहरता है.

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