Kolkata Durga Puja 2022: दुर्गा पूजा का त्योहार दिल्ली समेत देश में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. हालांकि ‘दुर्गा पूजा’ (Durga Puja) नाम आते ही सबसे पहले याद कोलकाता (Kolkata) की आती है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां की दुर्गापूजा दुनियाभर में मशहूर है. पश्चिम बंगाल की राजधानी में यह पर्व कुछ अलग अंदाज में मनाया जाता है. जहां दशकों पुराने दुर्गा पूजा पंडाल हर साल अलग-अलग थीम पर दुर्गा पूजा का महोत्सव मनाते हैं. इस कड़ी में बाबूबगान दुर्गा पूजा पंडाल ने 'आजादी का अमृत महोत्सव' थीम को ध्यान में रखते हुए देश-दुनिया में कभी चलन में रहे पुराने, दुर्लभ और ऐतिहासिक सिक्कों के विशाल प्रदर्शन के साथ अपना पूजा पंडाल तैयार किया है. आइए देखते हैं इसकी कुछ तस्वीरें.
पश्चिम बंगाल समेत पूरे देश में दुर्गा पूजा की धूम है. दुनियाभर में फैले माता रानी के भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि (Navratri) के नौ दिनों में विशेष पूजा करते हैं. पश्चिम बंगाल में थीम आधारित दुर्गा पूजा पंडाल का निर्माण के चलन में तेजी आई है. महालया के साथ पूजा पंडालों में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है.
शरदीय नवरात्रि के दौरान यहां देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं. साल 2021 में यूनेस्को (UNESCO) ने कोलकाता में दुर्गा पूजा को मान्यता दी और इससे मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया. कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडालों में हर साल एक नई थीम देखने को मिलती है. ये पंडाल अपने-अपने हिसाब से अद्वितीय और अप्रतिम सुंदरता से सजे होते हैं. इस बार 'आजादी के अमृत महोत्सव' के आयोजन को ध्यान में रखते हुए, दक्षिणी कोलकाता के धाकुरिया स्थित बाबू बागान दुर्गोत्सव पूजा पंडाल एक अनूठा पंडाल लेकर आया है जो आजादी के बाद जारी हुए हजारों ऐतिहासिक सिक्कों से बना है.
बाबूबगान सरबजनीन दुर्गा पूजा आयोजन समिति इस बार अपनी दुर्गा पूजा के 61वें साल में प्रवेश कर चुकी है. यहां पंडाल से लेकर दुर्गा प्रतिमा तक सब कुछ सिक्कों से सजाया गया है. बाबूबगान सरबजनिन दुर्गोत्सव पूजा पंडाल में इस साल की थीम 'मां तुझे सलाम' रखी गई है.
इस पंडाल में सुजाता गुप्ता की कलात्मक दृष्टि को साकार करते हुए और देश की आजादी के 75 साल पूरे होने की खुशनुमा यादों के माहौल में मां दुर्गा का स्वागत करते हुए देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई है. इस पूजा पंडाल की थीम 'मां तुझे सलाम' के जरिए स्वतंत्रता सेनानियों और महान हस्तियों को दर्शाया गया है. इस पंडाल में एंट्री लेते ही कोई भी यहां पर देश की प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति भी महसूस कर सकता है, जिन्होंने देश की आजादी में अपना अनमोल योगदान दिया. ये सभी वो महान लोग थे जिन्होंने आधुनिक भारत की नींव रखने के साथ विभिन्न भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों को आकार दिया.
दुर्गा पूजा के इस कॉन्सेप्ट को तय करने वाले और पूजा समिति की कोषाध्यक्ष प्रो सुजाता गुप्ता ने इस बार के आयोजन की जानकारी देते हुए कहा कि दुर्गा मां' और 'भारत माता' यहां दोनों की मौजूदगी का अहसास होता है. उन्होंने यह भी कहा कि 1947 से आज तक, महत्वपूर्ण अवसरों पर कई स्मारक सिक्के जारी किए गए हैं. हमने ऐसे सिक्के एकत्र किए हैं और उनसे पंडाल को सजाया है.
यहां पर लगे हजारों सिक्कों में कुछ असली हैं तो कई की प्रतिकृतियां हैं. मूर्ति को एक कॉइन म्यूजियम में रखा जाएगा. सिक्कों पर दुर्गा मां की मूर्तियों बनी हैं. इसके अलावा, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, स्वामी विवेकानंद और अन्य जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिकृतियां सिक्कों पर मौजूद हैं.
दुर्गा पूजा कमेटी की थीम मेकर और कोषाध्यक्ष प्रोफेसर गुप्ता ने आगे कहा, 'सिक्के इकट्ठा करना मेरा शौक है, मेरे पति भी सिक्के एकत्र करते थे. हमारे पास ऐसे कई पुराने सिक्के थे जो आज के जमाने में चलन में नहीं हैं. इसलिए हमने इस पंडाल के जरिए आने वाली पीढ़ी को एक संदेश देने का विचार किया. इसके साथ ही वो सभी लोग चाहे बुजुर्ग हों या बच्चे जिन्होंने ऐसे सिक्कों को नहीं देखा वो एक ही छत के नीचे देश की एतिहासिक विरासत को देख सकेंगे.'
समिति के आयोजकों ने बताया कि इस पंडाल को बनाने में करीब दो महीने का समय लगा. बजट के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसके निर्माण में करीब 30-40 लाख रुपये खर्च किए गए हैं.
वहीं इस पंडाल के निर्माताओं ने दुर्गा पूजा को 'अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' घोषित करने के लिए यूनेस्को को धन्यवाद देते हुए उनका आभार जताया है. गौरतलब है कि दुर्गा पूजा को लोग बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. दुर्गा पूजा, एक शुभ अवसर है, ये त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है. अश्विन माह, जो आमतौर पर अक्टूबर और सितंबर के बीच होता है, उसी दौरान यह उत्सव हर साल आयोजित किया जाता है.
दुर्गा पूजा एक हिंदू त्योहार है जिसे दुर्गोत्सव या शरदोत्सव के रूप में जाना जाता है. इस सालाना त्योहार में मां दुर्गा के भक्त उनकी कृपा पाने के लिए उनकी आराधना करते हैं.
आज से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो गए हैं. इस पर्व को लेकर घरों से लेकर सोसायटियों और मंदिरों में विशेष प्रकार की तैयारी की गई हैं. घरों में जहां श्रद्धालु दुर्गा मां की पूजा करेंगे, वहीं मंदिरों में सुबह से ही मां के दर्शन करने वालों की भीड़ लगी है. इस दुर्गा पूजा के त्योहार को अत्याचारी राक्षस महिषासुर के अंत से भी जोड़कर देखा जाता है. मां दुर्गा ने देवताओं समेत पूरी सृष्टि की रक्षा करने के लिए अपने प्रचंड तेज के साथ महिषासुर समेत कई राक्षसों का वध किया था.
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