इसे दुनिया की सबसे पुरानी मार्शल आर्ट्स में से एक माना जाता है. हथियारों का उपयोग भी इसमें प्रमुखता से किया जाता है, जैसे तलवार, ढाल, लाठी, आदि.
यह सिख समुदाय की पारंपरिक मार्शल आर्ट है. इसमें तलवार, कृपाण, और लाठी का यूज होता है.
इसका मतलब है, तलवार और भाले से लड़ाई करना. थांग-ता को 'हुयेन लालोंग' यानी 'सुरक्षित-रक्षा की विधि' के नाम से भी जाना जाता है.इसमें तलवार (थांग) और ढाल (टा) का उपयोग होता है.
इसमें खिलाड़ी एक लंबी लकड़ी की पोल या रस्सी पर विभिन्न कलाबाजी करते हैं.
इसमें बांस की लाठी (सिलंबम) का यूज किया जाता है. इसमें लाठी से आक्रमण और रक्षा की तकनीकें शामिल हैं.
यह एक पारंपरिक मुक्केबाजी की विधि है. इसमें बिना हथियारों के हाथों और पैरों का उपयोग किया जाता है.
यह ओडिशा का पारंपरिक युद्ध कला है. इसमें तलवार, भाला, और अन्य हथियारों का उपयोग किया जाता है.
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