Parliament Cash Kaand: संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. वैसे तो किसी ना किसी मुद्दे पर हर रोज हंगामा हो ही रहा है लेकिन आज संसद में कैशकांड ने सनसनी फैला दी. कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के पास से नोटों का बंडल बरामद हुआ.
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Rajya Sabha Cash: एक बवाल दिल्ली बॉर्डर पर मचा था तो दूसरा देश की संसद में. शुक्रवार सुबह-सुबह राज्यसभा में उस वक्त हंगामा मच गया, जब कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु शिंघवी की सीट पर कैश मिलने की बात कही गई. इस आरोप पर एक तरफ बीजेपी और सहयोगी पार्टियों ने कांग्रेस पर हल्ला बोल दिया. तो वहीं विपक्ष इसे साजिश करार देने लगा.
राज्यसभा में मिला नोटों का बंडल
संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. वैसे तो किसी ना किसी मुद्दे पर हर रोज हंगामा हो ही रहा है लेकिन आज संसद में कैशकांड ने सनसनी फैला दी. कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के पास से नोटों का बंडल बरामद हुआ. इस मामले ने ना सिर्फ पॉलिटिकल कॉरिडोर में हड़कंप मचा दिया बल्कि विपक्षी दल कांग्रेस को भी गहरे संकट में डाल दिया.
दरअसल, सभापति जगदीप धनखड़ ने खुलासा किया कि राज्यसभा में सीट नंबर 222 के नीचे कैश बरामद हुआ है. जिस सीट से कैश मिला वो कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को अलॉट है. सभापति ने इस पूरे मामले को जांच का विषय बताया.
कांग्रेस ने बताया साजिश
दूसरी ओर, कांग्रेस ने इसे साजिश करार दिया. अभिषेक मनु सिंघवी ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि ये उन्हें और उनकी पार्टी को बदनाम करने की कोशिश है. सिंघवी ने दावा किया कि वो संसद में 500 का नोट लेकर जाते हैं.
जमकर हुए आरोप-प्रत्यारोप
ये मामला तूल पकड़ता गया, और सदन की कार्यवाही भी बाधित हुई. विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप हुए. बीजेपी ने इस मुद्दे को तुरंत लपक लिया और कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर दिया. बीजेपी ने आरोप लगाया कि संसद में सीट से नोटों का बंडल मिलना कांग्रेस का असली चेहरा उजागर करता है.
कैश कांड को लेकर राज्यसभा और लोकसभा दोनों में हंगामा हुआ. बीजेपी सांसदों ने कांग्रेस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सभापति धनखड़ ने हाईलेवल जांच के आदेश दिए हैं. अब ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि नोटों का बंडल संसद में कैसे पहुंचा और इसके पीछे किसका हाथ है.
पहले भी संसद में हुआ कैशकांड
आपको बता दें, संसद में कैशकांड का ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी संसद में 2 बार कैश कांड पर हंगामा मच चुका है.
पहला वाकया साल 1993 का है. केंद्र में नरसिम्हा राव की सरकार थी. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि सरकार बचाने के लिए पैसे बांटे गए. सांसदों को 40-40 लाख रुपये दिए गए.
दूसरा वाकया साल 2008 का है. मनमोहन सरकार ने US से न्यूक्लियर डील की थी. CPM ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग के दौरान लोकसभा में BJP के 3 सांसदों अशोक अर्गल, फगन कुलस्ते, महावीर भागौरा ने लोकसभा स्पीकर की टेबल पर नोट लहराए थे.