Margaret Alva: एडवोकेट से राज्यपाल तक का सफर, जानें कौन हैं विपक्ष की उपराष्ट्रपति उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा
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Margaret Alva: एडवोकेट से राज्यपाल तक का सफर, जानें कौन हैं विपक्ष की उपराष्ट्रपति उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा

vice president candidate Margaret Alva: एनडीए के बाद विपक्ष ने भी अपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. विपक्ष ने मार्गरेट अल्वा को अपना प्रत्याशी बनाया है. आइए जानते हैं, कौन हैं मार्गरेट अल्वा और कैसा रहा उनका राजनीतिक जीवन.

Margaret Alva: एडवोकेट से राज्यपाल तक का सफर, जानें कौन हैं विपक्ष की उपराष्ट्रपति उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा

Opposition vice president candidate Margaret Alva: विपक्ष ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. विपक्ष ने मार्गरेट अल्वा के नाम पर मुहर लगाई है. मार्गरेट अल्वा भारतीय राजनीति में कोई नया नाम नहीं, बल्कि कई दशकों से चला आ रहा है. वह राजस्थान राज्य की राज्यपाल रह चुकी हैं. इसके साथ ही उन्होंने 6 अगस्त 2009 से 14 मई 2012 तक उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में कार्य किया. वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक वरिष्ठ सदस्य और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की महासचिव हैं. इसके साथ ही, वह मर्सी रवि अवॉर्ड से सम्मानित भी हैं.

1942 में जन्म

मार्गरेट अल्वा का जन्म 14 अप्रैल 1942 को मैंगलूर के पास्कल एम्ब्रोस नजारेथ और एलिजाबेथ नजारेथ के यहां हुआ था. अल्वा ने अपनी हायर एजुकेशन बेंगलुरु से की, जहां माउंट कार्मेल कॉलेज और राजकीय लॉ कॉलेज से पढ़ाई की. मार्गरेट की शादी 24 मई 1964 को निरंजन अल्वा से हुई. उनकी एक बेटी और तीन बेटे हैं. उनके दोनों बेटों निरेत अल्वा और निखिल अल्वा ने मिलकर 1992 में मेडिटेक नमक कंपनी की स्थापना की, जो कि एक टेलीविज़न सॉफ्टवेयर कंपनी है. 

राज्यमंत्री की भूमिका

बता दें कि मार्गरेट के पति निरंजन अल्वा स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी और भारतीय संसद की पहले कपल सांसद जोकिम अल्वा और वायलेट अल्वा के पुत्र हैं. कांग्रेस पार्टी की महासचिव रहने और तेजस्वी सांसद के रूप में पांच पारियां (1974 से 2004) खेलने के साथ-साथ वह केंद्र सरकार में चार बार महत्वपूर्ण महकमों की राज्यमंत्री भी रह चुकी हैं.

महिला कल्याण बिल कराए पास

एक सांसद के रूप में उन्होंने महिला-कल्याण के कई कानून पास कराने में भूमिका अदा की थी. महिला सशक्तिकरण संबंधी नीतियों का ब्लू प्रिंट बनाने और उसे केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा स्वीकार कराये जाने की प्रक्रिया में उनका मूल्यवान योगदान रहा. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने तो उन्हें वहां के स्वाधीनता संग्राम में रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में अपना समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया. वे संसद की अनेक समितियों में रहने के साथ  राज्य सभा के सभापति के पैनल में भी रही हैं. 

एडवोकेट के रूप में पहचान

अल्वा ने पढ़ाई के बाद बहुत जल्द ही एक एडवोकेट के रूप में पहचान बना ली थी. कानूनी लड़ाई के पेशे में रहते हुए उन्होंने ऑयल पेंटिंग  बनाने जैसी ललितकला और गृह-सज्जा के क्षेत्र में भी हाथ आजमाए थे. उन्होंने एक बार कहा था कि उन्होंने सती निवारण को लेकर कानून की पहल की तो राजपूत समाज के सांसद उनसे मिले. उन्होंने कहा कि आप तो क्रिश्चन हैं और राजपूत समाज की परंपराओं को क्या जानती हैं? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि उनके परिवार एवं रिश्तेदारी में जो मां-बहनें विधवा हैं, फिर उनके साथ ऐसा क्यों नहीं किया गया.

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