सुप्रीम कोर्ट ने देश में राजनीतिक विमर्श के गिरते स्तर पर चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि एक वक्त था, जब देश में नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता थे,लोग दूर दूर से उनको सुनने के लिए आते थे. लेकिन आज उनकी जगह विभिन्न तबकों के असामाजिक तत्वों ने ले ली है, जो भड़काऊ बयानबाज़ी कर रहे है.
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सुप्रीम कोर्ट ने देश में राजनीतिक विमर्श के गिरते स्तर पर चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि एक वक्त था, जब देश में नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता थे, लोग दूर दूर से उनको सुनने के लिए आते थे. लेकिन आज उनकी जगह विभिन्न तबकों के असामाजिक तत्वों ने ले ली है, जो भड़काऊ बयानबाज़ी कर रहे है. हर दिन ऐसे लोग टीवी पर और सार्वजनिक फोरम पर दूसरों को नीचा दिखाने के लिए बयानबाजी कर रहे है.
'राजनीति और धर्म को अलग अलग करना ज़रूरी'
जस्टिस के एम जोसेफ और जस्टिस बी वी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि अभी देश में भड़काऊ बयानबाजी में क्रिया प्रतिक्रिया का दुष्चक्र चल रहा है. जिस वक्त धर्म और राजनीति को अलग कर दिया जाएगा, लोग राजनीति में धर्म का इस्तेमाल करना बंद कर देंगे, भड़काऊ बयानबाजी खत्म हो जाएगी.
मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक बयानबाजी
सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी मुबई में हिंदू जनाक्रोश मोर्चा के दौरान मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक बयानबाजी के चलते दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान की. जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि जुलूस निकालने का अधिकार है लेकिन क्या ऐसी रैली के जरिये आपको देश का क़ानून तोड़ने की इजाज़त दी जा सकती है. ऐसी रैली के जरिये ऐसी बातें कहीं जा रही है, जो अल्पसंख्यक समुदाय को नीचा दिखाने वाली है. मसलन उन्हें पाकिस्तान जाने के लिए कहा जा रहा है. लेकिन ये वो लोग है , जिन्होंने इस देश को अपना देश चुना. वे लोग भाई - बहन की तरह है. भाषण का स्तर इस निम्न स्तर तक नहीं जाना चाहिए. विभिन्नताओं को स्वीकार करने की हमारी संस्कृति रही है.
जस्टिस नागरत्ना ने भी चिन्ता जाहिर करते हुए कहा - सवाल ये है कि सुप्रीम एक के बाद एक कितने ऐसे अवमानना मुकदमों को देख सकते है. बेहतर हो कि हम संयन बरते और दूसरे धर्म/ सम्प्रदाय के लिए कोई अप्रिय बात ही नहीं कहे.
SG मेहता ने हिंदुओं के खिलाफ आपत्तिजनक बयानबाजी का हवाला दिया
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केरल और तमिलनाडु में हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान बाजी का मसला भी उठाया. तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट को इन भड़काऊ बयानों पर भी ध्यान देना चाहिए और सुनवाई को सिर्फ महाराष्ट्र के मामले तक ही सीमित नहीं रखा जाना चाहिए.
SG ने DMK नेता और वायरल क्लिप का हवाला दिया
SG तुषार मेहता ने DMK प्रवक्ता के उस बयान को कोर्ट के सामने रखा ,जिसमे उसने कहा कि अगर समानता चाहते है तो ब्राह्मणों के नरसंहार करना होगा. SG ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि किसी जाने पहचाने शख्श ने ऐसा बयान दिया है, वो माफी का अधिकारी नहीं हो जाता.
उन्होंने कोर्ट से केरल की एक और वायरल क्लिप का देखने का आग्रह किया जिसमे जिसमें हिंदुओ और ईसाईयों के खिलाफ आपत्तिजनक बात कहीं गई थी. SG तुषार मेहता ने कहा कि हेट स्पीच को लेकर सेलेक्टिव अप्रोच नहीं अपनाई जा सकती. सुनवाई के दौरान मौजूद वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि मेरी भी याचिका है जिसमे मैंने सर तन से जुदा के बयान का हवाला दिया है. SG तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट से कोई भी ऐसा संकेत नहीं दिया जाना जिससे लगे कि हिंदू समुदाय के खिलाफ बयान को जस्टिफाई करने की कोशिश हो रही है.
SC ने जवाब मांगा
बाहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए अवमानना याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है. अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी.
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