Noida Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की भयावता के बीच नोएडा का एंटी स्मॉग टावर बेहतर कार्य कर रहा है. इसके जरिए आसपास के इलाकों में AQI के स्तर को कम करने में मदद मिल रही है.
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Noida Anti Smog Tower: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण लोगों का बुरा हाल है. पूरे इलाके की हवा जहरीली बन चुकी है और लोग इस हवा में सांस लेने को मजबूर हैं. एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार 400 के पार बना हुआ है. सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम भी नाकाफी पड़ रहे हैं. हालांकि, नोएडा में बनाया गया एक एंटी स्मॉग टावर प्रदूषण कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इसको DND फ्लाईओवर के पास लगाया गया है और इससे आसपास के इलाकों में प्रदूषण के स्तर को कम करने में काफी मदद मिल रही है.
दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक वायु गुणवत्ता स्तर के बीच नोएडा के एंटी-स्मॉग टॉवर के संचालन से प्रदूषण के स्तर को कम करने में अच्छा काम कर रहा है. इसे DND फ्लाईओवर के पास लगाया गया है. इसकी ऊंचाई 20 मीटर है. इसे साल 2021 में नोएडा प्राधिकरण और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) के तहत बनाया गया था और ये वर्तमान में भी सही से काम कर रहा है.
टावर के 2-4 किमी के दायरे के दो प्रदूषण नियंत्रण केंद्रों के आंकड़ों के मुताबिक, यहां दिल्ली के अन्य क्षेत्रों और नोएडा के बाकी हिस्सों की तुलना में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के स्तर में भारी गिरावट आई है. जबकि, यमुना नदी के पार दिल्ली में क्षेत्र यह स्तर काफी गंभीर है. वहीं, स्मॉग टावर के पास के दो AQI केंद्रों ने प्रदूषण का स्तर 'खराब' श्रेणी में दर्ज किया है, जो पड़ोसी केंद्रों की तुलना में 50-100 अंक कम है.
जानकारी के अनुसार, टावर का निर्माण जलने वाले ईंधन से निकलने वाले PM 2.5 प्रदूषकों को पकड़कर एक वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किया गया था. स्मॉग टॉवर में हर घंटे 80,000 क्यूबिक मीटर हवा को साफ करने की क्षमता है.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एक लाख से अधिक वाहन चालक रोजाना DND फ्लाईओवर का इस्तेमाल करते हैं और हजारों लोग दादरी और आगरा की ओर नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में यह एंटी-स्मॉग टावर फ्लाईओवर और हाईवे के जंक्शन पर वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए रखा गया है.