'वहां लाशें पड़ी हैं, एवरेस्ट मजाक नहीं है...', युवा पर्वतारोही ने बता दी सबसे ऊंचे पहाड़ की कड़वी सच्चाई
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'वहां लाशें पड़ी हैं, एवरेस्ट मजाक नहीं है...', युवा पर्वतारोही ने बता दी सबसे ऊंचे पहाड़ की कड़वी सच्चाई

Everest climbing tips: नरेंद्र ने कहा कि माउंट एवरेस्ट मजाक नहीं है. उन्होंने बताया कि बिना उचित शारीरिक और मानसिक तैयारी के एवरेस्ट पर चढ़ना जोखिम भरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि एवरेस्ट पर लाशें पड़ी होती हैं.

'वहां लाशें पड़ी हैं, एवरेस्ट मजाक नहीं है...', युवा पर्वतारोही ने बता दी सबसे ऊंचे पहाड़ की कड़वी सच्चाई

Narender Yadav mountaineer: हरियाणा के रेवाड़ी जिले के रहने वाले पर्वतारोही नरेंद्र सिंह यादव ने अंटार्कटिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी विंसन मैसिफ पर 25 दिसंबर को तिरंगा फहराकर इतिहास रच दिया. उस वक्त तापमान -52°C था. यह चढ़ाई 6 दिनों में पूरी हुई. नरेंद्र ने इस उपलब्धि के साथ सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों को फतह कर भारत का गौरव बढ़ाया. इस ऐतिहासिक अभियान को स्पार्क मिंडा ने प्रायोजित किया. हाल ही में उन्होंने अपने कुछ अनुभव शेयर किए हैं और माउंट एवरेस्ट को लेकर भी कई चौंकाने वाली चीजें बताई हैं. 

आखिर कौन हैं नरेंद्र सिंह यादव?
नअसल में रेंद्र यादव हरियाणा के कोसली कस्बे के नेहरूगढ़ गांव से ताल्लुक रखते हैं. एक साधारण किसान परिवार में जन्मे नरेंद्र के पिता सेना के जवान थे. 12 साल की उम्र में उन्होंने जम्मू-कश्मीर की पहाड़ियों पर चढ़ाई से अपनी पर्वतारोहण यात्रा शुरू की. नरेंद्र के नाम पर्वतारोहण के 22 विश्व रिकॉर्ड हैं और उन्होंने भारत के साथ-साथ विश्व स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है.

सातों महाद्वीपों की चोटियों पर विजय
नरेंद्र ने सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों को फतह किया है. उन्होंने 2016 और 2022 में 6 दिनों में माउंट एवरेस्ट फतह किया. इसके अलावा, माउंट किलिमंजारो (4 बार), माउंट एल्ब्रस (2 बार), और ऑस्ट्रेलिया की 10 चोटियां (3 बार) फतह की हैं. उन्होंने दक्षिण अमेरिका की अकोंकागुआ और उत्तरी अमेरिका की डेनाली चोटी भी फतह की है.

माउंट एवरेस्ट: कठिनाइयों और तैयारी का जिक्र
हाल ही में पीटीआई ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें नरेंद्र ने कहा कि माउंट एवरेस्ट मजाक नहीं है. उन्होंने बताया कि बिना उचित शारीरिक और मानसिक तैयारी के एवरेस्ट पर चढ़ना जोखिम भरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि एवरेस्ट पर लाशें पड़ी होती हैं. 62 दिन के इस अभियान के लिए सटीक ट्रेनिंग और फिटनेस की जरूरत होती है. अगर आप सही तरीके से प्रशिक्षित नहीं हैं, तो आपका वहां टिकना मुश्किल है, भले ही शेरपा आपकी मदद कर रहे हों.

दुनिया को दिया संदेश
नरेंद्र ने अपने संघर्ष और सफलताओं के जरिए युवा पीढ़ी को प्रेरित किया है. उन्होंने कहा कि कड़ी मेहनत, अनुशासन और दृढ़ निश्चय से कोई भी असंभव लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. उन्होंने स्पार्क मिंडा और अपने परिवार का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनकी सपोर्ट के बिना यह संभव नहीं था. नरेंद्र का सपना है कि भारत का नाम विश्व मंच पर और ऊंचा हो. (Photo: Narendra Yadav - Instagram)

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