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Cyber Crime: "साइबर अटैक" यह सिर्फ महज दो शब्द नहीं हैं, बल्कि वो समस्या है जिससे भारत का सरकारी तंत्र बीते 3 महीने से गम्भीर रूप से जूझ रहा है. ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि डार्कवेब पर Investigation के दौरान पता लगा कि एक हैकर ने विदेश मंत्रालय के ईमेल सर्वर को हैक करने का दावा कर, सर्वर का access और मंत्रालय के अधिकारियों के गोपनीय ईमेल बेचने का दावा किया है.
चूंकि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा था और सच्चाई जाननी थी ऐसे में हैकर के साथ खरीददार बन कर बातचीत शुरू की. हैकर ने बताया कि वो जापान में रहता है और अगर हमें विदेश मंत्रालय के जून 2022 से लेकर जनवरी 2023 तक के सभी गोपनीय ईमेल चाहिए तो उसकी कीमत 5 Ethereum (6 लाख 23 हज़ार रुपये) होगी, अगर हमें विदेश मंत्रालय के पूरे ईमेल सिस्टम का access चाहिए तो कीमत 20 Ethereum (लगभग 25 लाख रुपये). इसके बाद हैकर ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा दूसरे विभाग या दूसरे मंत्रालयों के कुछ ईमेल Conversations साझा की, जिसमे एक मेल में विदेश मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी से भारतीय सरकार का दूसरा बड़ा अधिकारी यूक्रेन के मुद्दे पर इनपुट मांगते हुए कह रहा था कि एक वैश्विक बैठक के लिए विदेश मंत्रालय उसे इनपुट और सलाह दे कि यूक्रेन के मुद्दे पर भारत का क्या पक्ष है. इस पर दोनो अधिकारी ईमेल के जरिये बातचीत कर रहे थे.
दूसरे मेल में एक विदेशी उच्चायोग विदेश मंत्रालय को बताता है कि उसके देश मे एक राउंडटेबल होनी है जिसमे वो देश भारत के एक मंत्री को बुलाना चाहता है ऐसे में विदेश मंत्रालय इस कार्यक्रम के लिए सहमति प्रदान करे. जिस पर विदेश मंत्रालय के अधिकारी उस देश के भारत स्थित उच्चायोग के अधिकारियों के साथ ईमेल के जरिये बातचीत कर रहे हैं.
इसी तरह तीसरे ईमेल में भारत की संसद के एक बड़े अधिकारी विदेश मंत्रालय को बताते हैं कि एक राज्यसभा सांसद अपने परिवार के साथ ब्रिटेन घूमने जाना चाहते हैं लेकिन उन सांसद के बेटे और बेटी को अभी तक ब्रिटेन का वीजा नहीं मिला है, ऐसे में विदेश मंत्रालय प्रक्रिया को तेज करवाने में उनकी मदद करे. जब इन सांसद के बेटे और बेटी का सोशल मीडिया हमने खंगाला तो साफ हो गया कि ये दोनो ब्रिटेन घूमने गए थे... मेल में जिन सांसद के लिए बातचीत हो रही थी जब ज़ी न्यूज़ ने उनसे बातचीत की तो इन्होंने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि "विदेश मंत्री विदेशों से लेकर संसद तक साइबर सुरक्षा का मुद्दा उठाते हैं, अपनी पीठ थपथपाते हैं लेकिन विदेश मंत्रालय के अंदरूनी ईमेल हैक होकर विदेश जा रहे हैं, उस पर कुछ नहीं कर रहे"
इसी तरह AIIMS दिल्ली के एक वरिष्ठ डॉक्टर जो एक विभाग के प्रमुख भी हैं वो विदेश मंत्रालय को ईमेल के जरिये बताते हैं कि उन्हें अमेरिका जुलाई में एक कॉन्फ्रेंस अटेंड करने जाना है लेकिन उन्हें वीजा अपॉइंटमेंट अक्टूबर की मिली है, ऐसे में विदेश मंत्रालय उन्हें जुलाई महीने की वीज़ा अपॉइंटमेंट दिलवाए. इस मेल के जवाब में विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी दूसरे अधिकारी को इन डॉक्टर की मदद करने के लिए कहता है. और हमारी पड़ताल में यह भी सामने आया था कि इन डॉक्टर की मदद हो भी गयी थी और इन्हें जुलाई में ही अमेरिका का वीजा मिल भी गया था.
एक अन्य ईमेल में पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारी विदेश मंत्रालय को ईमेल के जरिये पाकिस्तान में एक पहले भारत पर छपी सभी खबरों को ईमेल के जरिये भेज रहे थे. इसी तरह कुछ अन्य संवेदनशील ईमेल भी हैकर ने हमारे साथ हमे ईमेल डेटा बेचने के प्रयास के तहत साझा किया था.
हैकर के साथ लगभग 2 दिन तक पड़ताल के दौरान हमे एक बेहद महत्वपूर्ण जानकारियां मिली, पहली की यह हैकर जो विदेश मंत्रालय के ईमेल सर्वर को हैक करने का दावा कर रही है और अंदुरनी ईमेल का डेटा बेच रही है वो "उत्तर कोरिया" मे रहती है और खुद को जापानी बता कर डेटा बेचती है.
हैकर द्वारा साझा किए गए विदेश मंत्रालय के अंदरूनी ईमेल के सैम्पलों को जब हमने सूत्रों से वेरीफाई कर लिया कि इन मेल का आदान-प्रदान सच मे हुआ था, तब सारे मामले की जानकारी 11 जनवरी को ईमेल और कॉल के जरिये भारत के विदेश सचिव, ईमेल सर्वर को होस्ट करने वाले NIC के महानिदेशक और CERT-in के महानिदेशक को दी गयी और इन तीनो अहम व्यक्तियों से कहा कि चूंकि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का है ऐसे में पहले ठोस कदम उठायें और अगले दिन पूरे मामले पर अपना पक्ष हमे दे.
हालांकि इस पूरे मामले पर विदेश मंत्रालय के ईमेल सर्वर को होस्ट करने वाले NIC और Cert-in का कोई जवाब अब तक नही आया है हालांकि गुरुवार को हुई साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ज़ी न्यूज़ के सवाल पर बताया था कि क्योंकि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का है ऐसे में विदेश मंत्रालय हैक और अंदरूनी मेल लीक पर "ना ही हाँ कहेगा और ना ही ना कहेगा", लेकिन विदेश मंत्रालय ने आश्वासन दिया कि विदेश मंत्रालय साइबर सुरक्षा पर प्राथमिकता से काम कर रहा है.
हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब विदेश मंत्रालय के अंदरूनी ईमेल हैकरों के पास गए हो, इससे पहले साल 2009 में विदेश मंत्रालय के 500 से ज्यादा कंप्यूटर में Spyware मिला था जो विदेश मंत्रालय के अंदरूनी ईमेल की कॉपी एक हैकर के पास भेज रहा था.
सूत्रों के द्वारा हमें यह भी पता चला है कि विदेश मंत्रालय के ईमेल सिस्टम की हैकिंग और डेटा लीक के मामले की पड़ताल गृहमंत्रालय का Indian Cyber Crime Cordination Centre कर रहा है. ऐसे में अब देखना होगा कि आखिर भारत मे सरकारी सर्वरों पर सफल साइबर हमले आखिर कब रुकेंगे.
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