Baby Milk Powder: बच्चों की ग्रोथ में 'ब्रेकर' बन गया मिल्क पाउडर! मां का दूध ही बच्चों के लिए असली 'अमृत'
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Baby Milk Powder: बच्चों की ग्रोथ में 'ब्रेकर' बन गया मिल्क पाउडर! मां का दूध ही बच्चों के लिए असली 'अमृत'

Baby Milk Powder: टीवी पर बड़े-बड़े सेलिब्रिटी जब बच्चों के लिए किसी प्रोडक्ट की तारीफ करते हैं, तो हम और आप जैसे लोग, ये यकीन कर लेते हैं कि वो product अच्छा ही होगा. हम सब यही सोचते हैं कि उस product में बच्चों के लिए जरूरी विटामिन, प्रोटीन समेत सभी पोषक तत्व होंगे. बड़ी-बड़ी कंपनियों का ऐसा ही एक product है डिब्बा बंद powder milk आज के समय में डिब्बा बंद powder milk की मार्केट बहुत बड़ी है.

Baby Milk Powder: बच्चों की ग्रोथ में 'ब्रेकर' बन गया मिल्क पाउडर! मां का दूध ही बच्चों के लिए असली 'अमृत'

Baby Milk Powder: टीवी पर बड़े-बड़े सेलिब्रिटी जब बच्चों के लिए किसी प्रोडक्ट की तारीफ करते हैं, तो हम और आप जैसे लोग, ये यकीन कर लेते हैं कि वो product अच्छा ही होगा. हम सब यही सोचते हैं कि उस product में बच्चों के लिए जरूरी विटामिन, प्रोटीन समेत सभी पोषक तत्व होंगे. बड़ी-बड़ी कंपनियों का ऐसा ही एक product है डिब्बा बंद powder milk आज के समय में डिब्बा बंद powder milk की मार्केट बहुत बड़ी है. भारत में ही पाउडर मिल्क की मार्केट करीब 2 लाख 75 हजार करोड़ की है. जिसका सीधा सा मतलब है कि हमारे देश में बहुत से माता पिता अपने बच्चे को पाउडर मिल्क दे रहे हैं.

powder milk को लेकर कंपनियां दावा करती है कि उनके product में हर वो चीज है जो एक नवजात बच्चे की ग्रोथ के लिए जरूरी होती है. लेकिन जिस powder milk को आप अपने बच्चे को अच्छी सेहत के लिए पिला रहे है क्या वो नवजात बच्चों के लिए सुरक्षित है. ऑस्ट्रेलिया के melbourne की Western Sydney University की एक Report आई है. जिसमें पाउडर वाले डिब्बा बंद दूध पर सवाल उठाए गए है. इस Report में कहा गया है कि माता-पिता अपने बच्चों को फॉर्मूला मिल्क यानी डिब्बा बंद पाउडर वाला दूध ना दें. ऑस्ट्रेलिया में बेबी फूड के नाम पर पाउडर वाले डिब्बा बंद दूध की बड़े स्तर पर मार्केटिंग होती है और एक तिहाई बच्चे formula milk पर पल रहे हैं.

Western Sydney University की रिपोर्ट में कहा गया है कि डिब्बा बंद पाउडर वाला दूध बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकता है. वैसे तो ये खबर ऑस्ट्रेलिया से आई है लेकिन भारत के नवजात बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं. अब सवाल है कि पाउडर वाले दूध यानि formula milk में ऐसा क्या है कि वो बच्चों की ग्रोथ के लिए हानिकारक हो सकता है. उसके लिए सबसे पहले आपको समझना होगा कि formula milk होता क्या है

- फॉर्मूला मिल्क एक तरह का artificial milk पाउडर होता है, इसे powder based milk भी कह सकते हैं.
- इस मिल्क में Skimmed milk powder होता है यानि इस मिल्क पर मलाई नहीं आती.
- फॉर्मूला मिल्क में वनस्पति तेल, शुगर होती है
- इस तरह के दूध में कैल्शियम और प्रोटीन भी होते है. लेकिन बेहद कम मात्रा में.

formula milk में जिन चीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है उससे एक बात तो साफ है कि ये मिल्क बच्चों की सेहत के लिए बहुत अच्छा नहीं है और बड़ी बड़ी कंपनियां नवजात बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही है. इससे breast feeding यानी मां के दूध की बजाय ज्यादातर नई मां फॉर्मूला मिल्क अपने बच्चे को पिलाने के लिए प्रेरित हो रही हैं. कंपनियां इतनी चालाकी से अपने प्रोडक्ट का प्रमोशन करती हैं, जिससे उनके प्रमोशन को Advertisement का नाम भी नहीं दिया जा सकता.

दरअसल पाउडर वाले डिब्बा बंद दूध में गाय के दूध के मुकाबले आमतौर पर calcium और protein कम होता है, और चीनी और calories ज्यादा...जबकि चीनी की बच्चों को कोई जरुरत ही नहीं होती. इसके अलावा जो vitamins और mineral, powder milk में डाले जाते है उन्हें पचाना भी बच्चों के लिए आसान नहीं होता. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने lancet में छपी एक रिसर्च के जरिए सावधान किया है कि formula milk बनाने वाली कंपनियां Marketing का सहारा लेकर स्तनपान कराने से महिलाओं को रोक रही हैं और formula milk यानी बच्चों के पाउडर वाले दूध के फायदे गिनाकर भ्रम फैला रही हैं.

WHO के मुताबिक 6 महीने की उम्र तक बच्चों को केवल मां का दूध दिया जाना चाहिए, लेकिन आधे बच्चों के मामले में ऐसा नही होता. इसके अलावा जन्म लेने के पहले घंटे में ही मां का दूध बच्चे को पिलाया जाना चाहिए, लेकिन केवल 50% मामलों में ही ऐसा हो पाता है. आपने भी डॉक्टर्स, अखबार और टीवी में ये बात जरूर देखी और सुनी होगी कि नवजात बच्चे के लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार है, ये लाइन भारत में सरकारी विज्ञापनों के जरिए इसीलिए बताई जाती है ताकि महिलाएं स्तनपान की अहमियत को समझें. आप भी जानना चाहते होंगे कि मां के दूध और फॉर्मूला मिल्क में क्या अंतर होता है...अब आसान भाषा में हम आपको इसका फर्क समझाते हैं.

- मां के दूध में Glycerol Monolaurate (ग्लिसरॉल मोनोलॉरेट) नाम का एक ऐसा component होता है जो हानिकारक बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है.
- ये healthy bacteria को GROW करने में मदद भी करता है.
- मां के दूध में GML, गाय के दूध की तुलना में करीब 200 गुना ज्यादा होता है.
- जबकि formula milk में इसकी मात्रा न के बराबर होती है. इसमें मां के दूध जैसी कोई भी खासियत नहीं होती.

powder milk, गाय के दूध को process करके बनाया जाता है जिससे बच्चे की किडनी उसे पचा सके, डिब्बा बंद पाउडर मिल्क को breast milk का विकल्प माना जाता है लेकिन डॉक्टर्स ऐसा केवल emergency में करने की सलाह देते है. आज, पूरी दुनिया में ही नवजात बच्चों को powder milk दिया जा रहा है...जिसके नुकसान लंबे समय तक दिखते हैं.

- powder milk से Immunity कमजोर होने की वजह से बच्चा बार-बार बीमार हो सकता है.
- बच्चे मानसिक रूप से कमजोर हो सकते हैं
- बड़े होने पर मोटापे का खतरा ज्यादा होता है
- बच्चे के दांत भी सही से नहीं आते
- formula milk में cholesterol ज्यादा होने से बच्चे का cholesterol भी बढ़ जाता है

ये बात सच है कि कई बार डॉक्टर, मां को पाउडर मिल्क पिलाने की सलाह देते हैं, लेकिन ऐसा तब होता है, जब एक मां breast feeding कराने की स्थिति में नहीं होती, इसलिए हमेशा याद रखिए कि formula milk एक artificial milk है, जिसे आप सिर्फ एक विकल्प मान सकते हैं. इसका मतलब ये बिलकुल नहीं कि ये स्तनपान की तरह काम करता है. स्तनपान को नवजात बच्चे की पहली वैक्सीन कहा जाता है. इसमें मौजूद तत्व बच्चे को जन्म के समय कई बीमारियों से बचाने का काम करते हैं. अगर मां बच्चे को नियमित breastfeeding करवाती है तो मां को भी भविष्य में Diabetes, मोटापे और cancer का खतरा कम रहता है.

मां के दूध में मौजूद colostrum ((कोलोस्ट्रम)) नवजात की ग्रोथ में मदद करता है. इसमें विटामिन-ए, प्रोटीन और एंटीबॉडीज होते हैं, जो बच्चों की immunity power को बढ़ाते हैं. मां के दूध में probiotic होते हैं, जिससे बच्चों को पेट संबंधित परेशानियां होने की आशंका कम होती हैं. मां के दूध में Long-chain poly unsaturated fatty acids ((लॉन्ग-चेन पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड)) होते हैं, जो बच्चों के मेंटल डेवलपमेंट में मदद करते हैं. स्तनपान करने वाले बच्चों में एलर्जी की संभावना कम होती है. मां के दूध में प्रोटीन और विटामिन की मात्रा पर्याप्त होती है. इसमें मौजूद कैल्शियम बच्चे की हड्डियों को मजबूत बनाता है.

वर्ष 2022 में यूनीसेफ ने फॉर्मूला मिल्क पर 8,500 माता-पिता और 300 हेल्थ केयर वर्कर्स के इंटरव्यू किए थे. ये इंटरव्यू Bangladesh, Mexico, Morocco, Nigeria, South Africa, China, United Kingdom और vietnam, में किए गए थे. इसमें पता चला था कि ब्रिटेन में 84% महिलाओं को फॉर्मूला मिल्क की जानकारी थी. चीन में 97 प्रतिशत और वियतमान में 92 प्रतिशत नवजात बच्चों की मां को पाउडर मिल्क के बारे में जानकारी थी. सर्वे में शामिल एक तिहाई महिलाओं ने बताया कि उन्हें किसी ना किसी healthcare worker ने ब्रांड का नाम लेकर फॉर्मूला मिल्क खरीदने और इस्तेमाल करने की सलाह दी. बांग्लादेश में 98% तो मोरक्को में 49% महिलाओं ने केवल breastfeeding को ही बेहतर माना था.

मां का दूध बच्चे के लिए वो अमृत है जो उसे बीमारियों से बचाकर रखता है. लेकिन इन सब फायदों के बावजूद केवल 44% बच्चों को ही 6 महीने की उम्र तक स्तनपान नसीब हो पाता है. पिछले दो दशक में स्तनपान तो नहीं बढ़ा लेकिन इसी वक्त में powder milk की सेल दोगुने से ज्यादा बढ़ गई है.

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