NDA और INDIA से मायावती हुईं दूर, कहा- ये दोनों दलित विरोधी, अकेले लड़ूंगी चुनाव
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NDA और INDIA से मायावती हुईं दूर, कहा- ये दोनों दलित विरोधी, अकेले लड़ूंगी चुनाव

मायावती ने यहां एक बयान में कहा कि बसपा पंजाब और हरियाणा में क्षेत्रीय दलों के साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार है, बशर्ते उनका सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) या नवगठित विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के साथ कोई गठजोड़ न हो.

NDA और INDIA से मायावती हुईं दूर, कहा- ये दोनों दलित विरोधी, अकेले लड़ूंगी चुनाव

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने बुधवार को आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने घोषणा की कि उनकी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ ही राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी. मायावती ने यहां एक बयान में कहा कि बसपा पंजाब और हरियाणा में क्षेत्रीय दलों के साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार है, बशर्ते उनका सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) या नवगठित विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के साथ कोई गठजोड़ न हो.

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने राजग के साथ ही नवगठित विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की भी आलोचना की और आरोप लगाया कि उनमें से कोई भी दलितों और उत्पीड़ित वर्गों के अनुकूल नहीं है. विपक्ष के 26 दलों ने मंगलवार को बेंगलुरू में हुई अपनी बैठक में, अगले लोकसभा चुनाव के लिए अपनी चुनावी बिसात बिछाने का आगाज करते हुए ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस (इंडिया)’ नाम से नए गठबंधन की घोषणा की थी. 

मायावती ने कहा कि जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला राजग और कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन खुद को मजबूत कर रहा है, वहीं बसपा भी देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं की बंद कमरे में बैठकें कर रही है. उन्होंने कहा कि उत्पीड़ित वर्गों को बसपा का समर्थन करना होगा क्योंकि कांग्रेस ने 'जातिवादी मानसिकता अपनायी और उनकी मांगों को नजरअंदाज किया.’’

उन्होंने आगे कहा, “ये पार्टियां लोगों के कल्याण के लिए काम नहीं करतीं. उन्होंने दलितों, मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के लिए कुछ नहीं किया है.” उन्होंने कहा कि सभी एक जैसे हैं. जब वे सत्ता में आते हैं तो अपने वादे भूल जाते हैं. उन्होंने जनता से किया एक भी वादा पूरा नहीं किया. चाहे वो कांग्रेस हो या फिर बीजेपी. 

मायावती ने कहा, ‘‘अगर कांग्रेस ने अपनी जातिवादी और पूंजीवादी मानसिकता को अलग रखा होता, गरीबों और पीड़ितों के कल्याण के लिए काम किया होता और बी आर आंबेडकर के विचारों का अनुसरण किया होता, तो बसपा बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती.’’

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