Manipur Updates: 16 दिन में ऐसा क्या हो गया कि UNLF को टेकने पड़े घुटने? सरेंडर की पढ़ें ये Inside Story
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Manipur Updates: 16 दिन में ऐसा क्या हो गया कि UNLF को टेकने पड़े घुटने? सरेंडर की पढ़ें ये Inside Story

Manipur Clash: केंद्र सरकार ने 16 दिन पहले मणिपुर के जिस अलगाववादी संगठन UNLF पर बैन लगाया था, उसने 2 हफ्ते में अपने कैडर्स और हथियारों के साथ सरेंडर कैसे कर दिया.

Manipur Updates: 16 दिन में ऐसा क्या हो गया कि UNLF को टेकने पड़े घुटने? सरेंडर की पढ़ें ये Inside Story

Manipur Violence Updates: मणिपुर के सबसे पुराने अलगाववादी संगठन यूनाइटेड नेशनल लिब्रेशन फ्रंट (UNLF) ने बुधवार को दिल्ली में गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ स्थाई शांति समझौते पर हस्ताक्षर कर अपने कैडर्स के साथ हथियार डाल दिए. यह उन्हीं मेइती उग्रवादी संगठनों में से एक है, जिस पर 16 दिन पहले ही केंद्र सरकार ने 5 साल का बैन लगाया था. उन पर यह कार्रवाई हिंसा के जरिए मणिपुर को देश से काटने की साजिश रचने के आरोप में की गई थी. सवाल उठ रहा है कि एक पखवाड़े में ही ऐसा क्या हो गया कि UNLF को हथियार डालने पड़ गए. आज हम आपको इसके पीछे की इनसाइड स्टोरी बताते हैं.

3 मई से भड़की है जातीय हिंसा

सूत्रों के मुताबिक मणिपुर में 3 मई से भड़की हुई जातीय हिंसा का अब तक कोई स्थाई समाधान नहीं निकल सका है. आरक्षण के मुद्दों को लेकर राज्य में मेइती और कुकी समुदाय एक-दूसरे के आमने- सामने हैं. इस हिंसा को अवसर जानकर राज्य में किनारे लग चुके अलगाववादी संगठन एक बार फिर सक्रिय हो गए और पब्लिक में अपना आधार बढ़ाने में जुटे हैं, जिससे दूसरे समुदाय के लोगों पर हमला कर सकें. 

13 नवंबर को लगाया था बैन

इसे भांपकर केंद्र सरकार ने कुछ दिनों पहले 13 नवंबर को मणिपुर के 9 उग्रवादी संगठनों पर 5 साल का बैन लगाने की घोषणा की थी. गृह मंत्रालय ने जिन संगठनों को प्रतिबंधित सूची में शामिल किया, उनके नाम इनमें पीपुल्स रिवॉल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (PREPAK), कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (KCP), कांगलेई याओल कनबा लुप (KYKL) हैं. 

इनके अलावा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA), उसकी राजनीतिक शाखा रिवॉल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (RPF), यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) और इसकी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी (MPA), कोऑर्डिनेशन कमेटी (CORCOM) और एलायंस फॉर सोशलिस्ट यूनिटी कांगलेईपाक (ASUK) पर भी 5 साल का बैन लगाया गया. 

दो तरीके से शांति लाने की कोशिश

केंद्र सरकार ने ऐलान किया कि प्रतिबंधित संगठनों के न केवल सदस्यों को अरेस्ट किया जाएगा, बल्कि उनकी संपत्ति भी जब्त की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक राज्य में हालात सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने जहां एक हाथ में हंटर थामा, वहीं दूसरे हाथ से बातचीत की पहल बढ़ाने की कोशिश की. बैक चैनल डिप्लोमेसी के जरिए UNLF समेत तमाम अलगाववादी संगठनों से संपर्क साध कर उन्हें हथियार डालने और मुख्य धारा में आने के लिए समझाया गया.

मणिपुर में दिखी शांति की उम्मीद

कई राउंड की बातचीत के बाद आखिरकार UNLF ने हथियार डालकर सामान्य जीवन में वापस आने का फैसला कर लिया. UNLF के पदाधिकारी स्पेशल प्लेन के जरिए बुधवार को दिल्ली पहुंचे और गृह मंत्रालय के अफसरों के साथ स्थाई शांति समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए. इसके साथ ही इंफाल घाटी की अनाम लोकेशन पर उसके कैडर्स ने भी हथियारों के साथ सुरक्षाबलों के सामने सरेंडर कर दिया. यह वह खुशी थी, जिसकी पिछले कई महीने से मणिपुर को तलाश थी. 

सीएम बीरेन सिंह ने भी जताई खुशी

UNLF के साथ हुए शांति समझौते पर मणिपुर के सीएम एन. बीरेन सिंह ने भी खुशी जताई है. सीएम बीरेन सिंह ने कहा कि दिल्ली में UNLF के साथ यह शांति समझौता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कुशल नेतृत्व की वजह से संभव हो पाया. उनकी बुद्धिमता और निरंतर मार्गदर्शन की वजह से मणिपुर में शांति और तरक्की का एक नया युग शुरू हो पाया है. इस घटना में राज्य में तरक्की और विकास का नया रास्ता खुला है. साथ ही बीजेपी सरकार के प्रति भी लोगों का भरोसा बढ़ा है. 

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