Kalyani Durg Verdict: महाराष्ट्र के ऐतिहासिक दुर्गाडी किले पर चल रहे 50 साल पुराने विवाद पर कल्याण सिविल कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने दुर्गाडी किले को मंदिर की संपत्ति मानते हुए मुस्लिम पक्ष के दावे को खारिज कर दिया.
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Kalyani Durg Verdict: महाराष्ट्र के ऐतिहासिक दुर्गाडी किले पर चल रहे 50 साल पुराने विवाद पर कल्याण सिविल कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने दुर्गाडी किले को मंदिर की संपत्ति मानते हुए मुस्लिम पक्ष के दावे को खारिज कर दिया. इस फैसले ने हिंदू संगठनों और श्रद्धालुओं के बीच उत्साह पैदा कर दिया है. लंबे समय से यह मुद्दा विवाद का केंद्र बना हुआ था.
मुस्लिम पक्ष का दावा खारिज
मुस्लिम संगठन मजलिस-ए-मुसावरीन औकाफ ने 1974 में दुर्गाडी किले को ईदगाह और मस्जिद की संपत्ति घोषित करने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. उनका कहना था कि यह इलाका उनकी धार्मिक संपत्ति है. हालांकि, कोर्ट ने उनके इस दावे को खारिज करते हुए इसे सरकारी संपत्ति माना. कोर्ट ने साफ किया कि इस किले पर मुस्लिम संगठन का कोई अधिकार नहीं है.
दुर्गाडी किले का इतिहास
दुर्गाडी किला न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि यह हिंदू श्रद्धालुओं के लिए भी आस्था का बड़ा केंद्र है.
1966: सरकार ने दुर्गाडी किले को अपने कब्जे में लिया.
1974: मुस्लिम पक्ष ने इसे मस्जिद और ईदगाह की संपत्ति घोषित करने की मांग की.
2024: कोर्ट ने फैसला सुनाकर इसे मंदिर के रूप में मान्यता दी.
कहा जाता है कि यह किला शाहजहां के शासनकाल में बना था, जिसे बाद में छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुगलों से मुक्त करवाया. किले का नाम मां दुर्गा के नाम पर रखा गया, और इसके अंदर दुर्गा देवी का मंदिर स्थित है.
हिंदू पक्ष की खुशी
कोर्ट के फैसले के बाद हिंदू संगठनों ने दुर्गाडी किले पर आरती का आयोजन कर अपनी खुशी जाहिर की. शिवसेना और भाजपा के नेताओं ने इसे हिंदू धर्म की बड़ी जीत बताया. शिवसेना नेता रवि पाटिल ने कहा, "यह सत्य की जीत है. कोर्ट ने हिंदू संस्कृति के लिए न्याय किया है." बीजेपी विधायक रविंद्र चव्हाण ने कहा कि यह मंदिर हिंदू आस्था का केंद्र है, और नवरात्रि के दौरान यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
नवरात्र मेला और बालासाहेब ठाकरे का जुड़ाव
दुर्गा देवी मंदिर हर साल नवरात्रि में हजारों श्रद्धालुओं का स्वागत करता है. 1968 में, शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने मंदिर में पूजा-अर्चना की थी. उस समय मंदिर में पूजा करना प्रतिबंधित था, क्योंकि विवाद चल रहा था. अब कोर्ट के इस फैसले से मंदिर के महत्व को फिर से स्थापित किया गया है.
भविष्य की उम्मीदें
50 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हिंदू संगठनों को यह जीत मिली है. कोर्ट का यह फैसला न केवल धार्मिक संपत्ति के विवाद को समाप्त करता है, बल्कि ऐतिहासिक महत्व वाली इमारतों के संरक्षण के लिए भी एक मिसाल पेश करता है. इस ऐतिहासिक फैसले ने एक बार फिर से दुर्गाडी किले की महिमा को स्थापित किया है, और हिंदू संगठनों की मांगों को बल दिया है.