Bhopal Incident: भोपाल के एक जल शोधन संयंत्र में सिलेंडर से क्लोरीन गैस के रिसाव की चपेट में आकर कई लोग बीमार हो गए. इस हादसे ने लोगों की भोपाल गैस त्रासदी की यादें एक बार फिर से से ताजा कर दी है.
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Chlorine Gas Leakage: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक जल शोधन संयंत्र में सिलेंडर से क्लोरीन गैस के रिसाव की चपेट में आकर कई लोग बीमार हो गए. इस हादसे ने लोगों की भोपाल गैस त्रासदी की यादें एक बार फिर से से ताजा कर दी है. प्लांट के ठीक सामने राधा सोलंकी और उनका परिवार रहता है. उनके परिवार में पति के साथ साथ दो बच्चे रहते हैं. राधा सोलंकी भोपाल गैस त्रासदी की भी पीड़िता रही हैं. राधा सोलंकी के घर और प्लांट में बीच में केवल एक दीवार की दूरी है.
'सांस लेने में दिक्कत और आंखों में अब भी है जलन'
राधा बताती हैं कि कल देर शाम को अचानक ही उनको आंखों में जलन महसूस हुई. वह घर से बाहर निकलीं तो उन्हें चीखने चिल्लाने की आवाज आ रही थी. अचानक ही उन्हें सांस लेने में दिक्कत भी महसूस होने लगी. थोड़ी देर बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची तो उन्हें पता चला कि प्लांट में क्लोरीन का रिसाव हो गया है, जिसके कारण भगदड़ की स्थिति बन गई. राधा की तबीयत अभी भी खराब है. उन्हें सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही है और आंखों में जलन है.
उधर, राज्य सरकार ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं. मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सांरग ने कहा, फिलहाल हालत सामान्य हैं. हमने जांच के आदेश दे दिए हैं. जो भी दोषी होगी उसे सख्त सजा देंगे. उन्होंने आगे कहा, जिन लोगों की तबीयत खराब है, वो अस्पताल नहीं जाएंगे. स्वास्थ्य विभाग की टीम उन्हें देखने जाएगी.
पुराने भोपाल के शाहजहानाबाद क्षेत्र के सहायक पुलिस आयुक्त उमेश मिश्रा ने बताया कि ईदगाह हिल्स स्थित भोपाल नगर निगम के जल शोधन संयंत्र में बुधवार को 900 किलोग्राम के क्लोरीन गैस से भरे सिलेंडर से रिसाव होने लगा. उन्होंने बताया कि रिसाव के बाद संयंत्र के आसपास झुग्गियों में रहने वाले सात लोगों को स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याओं की शिकायत होने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया. स्थानीय निवासियों ने बताया कि गैस रिसाव के बाद कुछ लोगों को दुर्गंध के साथ सांस लेने में तकलीफ, खांसी और उल्टी की शिकायत होने लगी.
मालूम हो कि 1984 में दो और तीन दिसंबर की दरमियानी रात भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकली जहरीली गैस में हजारों लोग मारे गए और पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे. यह कारखाना अब बंद हो चुका है.
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