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बिना मुहूर्त ही यहां कर सकते हैं शादी, ऐसी है चिंतामण गणेश की महिमा, जानिए

उज्जैन में भी गणेश चतुर्थी पर्व की शुरुआत बड़े हर्ष उल्लास के साथ शुरू हो गई है. उज्जैन नगरी में षड् विनायक स्थापित है. सभी की स्थपना अलग-अलग मान्यता अनुसार की गई है. जिसमें से सबसे खास शहर से 7KM दूर चिंतामण, इच्छामण और सिद्धिविनायक रूप में गणेश विराजमान है. 

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उज्जैन से 7 किमी की दूरी पर तीन रूप में विराजमान चिंतामण गणेश मंदिर में इच्छामन, सिद्धिविनायक भी विराजमान हैं. 

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हर रोज श्रद्धालु यहां सिद्धि प्राप्ति, चिंता से मुक्ति व इच्छा अनुसार मनोकामना लिए प्रार्थना करने दूर-दूर से दर्शन करने पहुंचते है. 

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बता दें कि उज्जैन के प्रसिद्ध षड् विनायक में से एक चिंतामण गणेश मंदिर का निर्माण राजा विकरामादित्य के शासन काल में हुआ. जहां पाती के लगन लिखाने और विवाह करने की अनूठी परंपरा है.

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 कहते है जिनके लगन नहीं निकल रहे, वो चिंतामण गणेश आकर बिना मूहर्त के विवाह कर सकते है.

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यहां किसी मूहर्त की जरूरत नहीं होती. जिनके विवाह में बाधा आती है वे यहां गणेश को मनाने आते है और निर्विघ्न विवाह के लिए गणेश को मना कर घर ले जाते है. जब विवाह तय हो जाता है तो यहीं आकर फेरे लेते है. 

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मान्यता ये भी है कि जब घना जंगल हुआ करता था. तब वनवास के दौरान माता सीता को प्यास लगी आस पास कोई नदी तालाब नहीं होने से लक्षमण ने बाण जमीन में मारा और पानी निकाला और माता सीता की प्यास बुझाई. जो आज एक बावड़ी के रूप में मौजूद है. 

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वहीं प्रभु राम, माता सीता और लक्षमण ने भगवान गणेश से सिद्धि, चिंता मुक्ति व इच्छा की कामना की तो भगवान तीनो रूप में प्रकट हुए जिसके बाद से आज तक तीर्थ के रूप में मंदिर हजारों भक्त पहुंचते हैं.

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बताया जाता है कि इस अद्भुत मंदिर की मूर्तियां स्वयंभू हैं. मंदिर में स्थित चिंतामण गणेश भक्तों को चिंता से मुक्ति, जबकि इच्छामन गणेश भक्तों के इच्छा की पूर्ति और सिद्धिविनायक स्वरूप सिद्धि प्रदान करते हैं. 

 

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