भारत में सड़क हादसों से मरने वालों की संख्या डराने वाली है. भारत में पिछले साल डेढ़ लाख लोग विभिन्न सड़क हादसों में मारे गए. हालांकि जापान की राह पर चलकर इन आंकड़ों को कम किया जा सकता है.
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नई दिल्लीः टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की एक सड़क हादसे में मौत के बाद देश में रोड सेफ्टी को लेकर नई बहस छिड़ गई है. दरअसल भारत में रोड एक्सीडेंट से होने वाली मौतों के आंकड़े डराने वाले हैं. भारत में पिछले साल सड़क हादसों से 1.5 लाख लोगों की मौत हुई है. ऐसे हालात में भारत को जापान से सीख लेने की जरूरत है. बता दें कि जापान में बीते साल सड़क हादसों में महज 3000 लोगों की मौत हुई, जो कि भारत के मुकाबले काफी कम है.
एक आइडिया ने बदली तस्वीर
ऐसा नहीं है कि जापान में लोग हमेशा से ही रोड सेफ्टी को लेकर जागरुक थे 70 के दशक में वहां भी बड़ी संख्या में सड़क हादसों में लोगों की मौत होती थी लेकिन फिर जापान में बुलेट ट्रेनों के प्रोजेक्ट पर काम किया और देश में बुलेट ट्रेनों के सिस्टम को इतना मजबूत कर लिया है कि अब वहां सड़क हादसों में होने वाली मौतें काफी घट गई हैं.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, जापान में 61 फीसदी लोगों के पास कारें हैं लेकिन इसके बावजूद वहां अधिकतर लोग एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए बुलेट ट्रेन का इस्तेमाल करते हैं. जापान में साल 1964 में पहली बार बुलेट ट्रेन चलाई गई और आज जापान के 10 लाख की आबादी वाले सभी 12 शहरों में बुलेट ट्रेन की कनेक्टिविटी है. बुलेट ट्रेन की स्पीड और सिस्टम के चलते धीरे-धीरे जापान के लोगों का रुझान बुलेट ट्रेनों में सफर करने की तरफ होने लगा आज ज्यादातर आबादी सफर के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करती है. वहीं भारत में सिर्फ 8 फीसदी आबादी के पास कारें हैं लेकिन यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट के प्रभावी नहीं होने के कारण सड़क हादसे में हर साल लाखों लोगों की जान जा रही है.
भारत में सड़कों पर कार पार्किंग भी एक बड़ी समस्या है लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती दिख रही है. वहीं जापान में सड़क पार्किंग पर पूरी तरह रोक है. लोगों को कार खरीदने से पहले गैराज सर्टिफिकेट देना होता है, जिसमें बताया जाता है कि व्यक्ति के पास गाड़ी खड़ी करने की जगह है. जापान में कार पार्किंग भी काफी खर्चीली है. ये भी एक बड़ी वजह है कि लोग अपनी कार के बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर करना पसंद करते हैं.