MP Election: 20 साल से इस सीट पर एक ही पार्टी का कब्जा, क्या इस बार कांग्रेस को मिलेगा मौका?
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MP Election: 20 साल से इस सीट पर एक ही पार्टी का कब्जा, क्या इस बार कांग्रेस को मिलेगा मौका?

MP Assembly Election 2023: मालवा की धार विधानसभा सीट पर 20 साल से एक ही पार्टी का कब्जा है. यहां 2003 से लगातार भाजपा जीतती हुई आ रही है. इतना ही नहीं पिछली तीन बार से नीना विक्रम वर्मा ने ही चुनाव जीता है. यही वजह है कि इस सीट पर भाजपा का गढ़ कहा जाने लगा है. धार विधानसभा सीट पर बीजेपी की अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है. 

MP Election: 20 साल से इस सीट पर एक ही पार्टी का कब्जा, क्या इस बार कांग्रेस को मिलेगा मौका?

MP Assembly Election 2023: मालवा की धार विधानसभा सीट पर 20 साल से एक ही पार्टी का कब्जा है. यहां 2003 से लगातार भाजपा जीतती हुई आ रही है. इतना ही नहीं पिछली तीन बार से नीना विक्रम वर्मा ने ही चुनाव जीता है. यही वजह है कि इस सीट पर भाजपा का गढ़ कहा जाने लगा है. धार विधानसभा सीट पर बीजेपी की अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है. 

आखिरी 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो धार विधानसभा सीट पर  नीना वर्मा ने 5,718 वोटों से जीत दर्ज की थी. नीना वर्मा ने कांग्रेस की प्रभा सिंह गौतम को हराया था. इस चुनाव में कुल 12 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, हालांकि मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही था. बीजेपी की उम्मीदवार नीना विक्रम वर्मा को 93,180 वोट मिले तो कांग्रेस की प्रभा गौतम को 87,462 वोट मिल पाए. 

वोटर्स के आंकड़े और जातिगत समीकरण
2018 आंकड़ों की बात करें तो इस विधानसभा में कुल 2.54 लाख वोटर्स थे, जिसमें पुरुष वोटरों की संख्या 1.37 लाख से ज्यादा थी और महिला वोटर्स की संख्या 1.17 लाख से ज्यादा थी. जातिगत समीकरण की बात करें तो इस विधानसभा सीट पर राजपूत, राठौर, माली और मराठा के वोटर्स निर्णायक स्थिति में हैं. इनके अलावा ब्राह्मण और पाटीदार बिरादरी के वोटर्स भी अच्छी खासी संख्या है.

सीट का सियासी इतिहास
धार विधानसभा सीट के सियासी इतिहास पर नजर डालें तो यहां 1977 से अब तक हुए 10 चुनावों में सबसे ज्यादा 7 में भाजपा ने जीत दर्ज की है.1990 के बाद के चुनाव की बात करें तो तब के चुनाव में विक्रम वर्मा बीजेपी के टिकट पर चुने गए. 1993 में भी वह यहीं से विधायक बने. इस सीट पर विक्रम वर्मा 4 बार अलग-अलग पार्टियों से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. वह बीजेपी के कद्दावर नेता रहे हैं और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री भी रहे.  1998 के चुनाव में कांग्रेस ने यह सीट बीजेपी से छीन ली. इस बार विक्रम वर्मा को हार मिली. 2003 में बीजेपी ने जसवंत सिंह राठौड़ को मैदान में और जीत मिली, लेकिन 2008 में एक बार फिर भाजपा ने विक्रम वर्मा की पत्नी को टिकट दिया और वे तब से लगातार 2013 और 2018 समेत तीन चुनाव जीत चुकी हैं.

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