Cabinet Expansion: मोदी कैबिनेट में MP-CG से शामिल हो सकते हैं ये चेहरे, जानिए बिहार, यूपी और बंगाल से कौन हैं दावेदार
Advertisement

Cabinet Expansion: मोदी कैबिनेट में MP-CG से शामिल हो सकते हैं ये चेहरे, जानिए बिहार, यूपी और बंगाल से कौन हैं दावेदार

जल्द ही मोदी सरकार का कैबिनेट विस्तार हो सकता है, जिसमें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कुछ नेताओं की के नाम भी सामने आ रहे हैं. 

 

मोदी सरकार में इन चेहरों को मिल सकती है जगह

भोपाल: Cabinet Expansion: मार्च 2020 में कांग्रेस के कद्दावर नेता और ग्वालियर के महाराज कहे जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की भाजपा में एंट्री हुई. एंट्री के बाद से मध्य प्रदेश की राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के लिए मोदी कैबिनेट विस्तार काफी अहम हो गया. लोगों को उम्मीद थी कि ज्योतिरादित्य को कैबिनेट में शामिल किया जाएगा. अब बताया जा रहा है कि जुलाई महीने में कैबिनेट विस्तार हो सकता है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि मध्य प्रदेश से कौन-कौन से चेहरे शामिल हो सकते हैं...

ज्योतिरादित्य सिंधिया सबसे बड़े दावेदार
कैबिनेट विस्तार में सबसे ज्यादा चर्चा मध्य प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया की ही चल रही है. सिंधिया की दादी विजय राजे सिंधिया भाजपा की संस्थापक सदस्यों में से एक थीं. कभी राहुल गांधी के करीबी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई. उनके साथ 22 विधायक भी आए. भाजपा ने उन्हें राज्यसभा का सांसद बनाया है. बताया जा रहा है कि राज्यसभा को लेकर ही उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ने का फैसला लिया था. इस वक्त मध्य प्रदेश में वह किंग मेकर की भूमिका में हैं. बताया जा रहा है कि सिंधिया को मोदी कैबिनेट में कोई बड़ा पद दिया जा सकता है. मनमोहन सरकार में वह उर्जा राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार रह चुके हैं. 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट 
मध्य प्रदेश के चुनाव में रणनीतिकार की भूमिका निभा चुके और पॉलिटिकल एक्सपर्ट अमिताभ कांत तिवारी कहते हैं कि कभी-कभी विषय को उलटकर भी देखना चाहिए. अगर सिंधिया को मंत्री नहीं बनाया जाता है, तो भाजपा को क्या नुकसान होगा? सबसे पहली बात कि वह ग्वालियर रीजन के मास लीडर हैं. इसके अलावा वह अपने साथ विधायक लेकर आए थे. हालांकि उपचुनाव में उनकी ताकत को बैलेंस करने की कोशिश की गई. इसके बावजूद भी सिंधिया के पास 13-14 विधायक हैं. ऐसे में उनको इग्नोर करने से सरकार की स्थिरता पर संकट आ सकता है. 

कैलाश विजयवर्गीय का पलड़ा कितना भारी? 
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद दूसरा नाम कैलाश विजयवर्गीय का है. कभी इंदौर के महापौर रहे और लगातार 6 बार से विधायक विजयवर्गीय हमेशा से मध्य प्रदेश की राजनीति में कद्दवार रहे हैं. अभी वह भाजपा के संगठन की राजनीति कर रहे हैं. राष्ट्रीय महासचिव हैं और कई राज्यों में चुनाव प्रभारी की भूमिका निभा चुके हैं. साल 2014 में हरियाणा प्रभारी बनाए जाने के बाद से रणनीतिकार के तौर पर सामने आए हैं. अमित शाह के करीबी भी माने जाते हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स-भाजपा को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह कहते हैं कि फिलहाल कैलाश विजयवर्गीय के लिए मुश्किल है. क्योंकि वह लंबे समय से बंगाल में थे. चुनाव प्रभारी होने के साथ-साथ दिलीप घोष के साथ मिलकर लोगों को टिकट भी देने का काम किया. लेकिन रिजल्ट पक्ष में नहीं आया. वैसे भी उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा ज्यादा मध्य प्रदेश में सीएम बनने में है. केंद्र में मंत्री बनने में नहीं. 

वहीं, अमिताभ कांत तिवारी कहते हैं कि दरअसल, भाजपा में जीत के बाद इनाम मिलता है. हार के बाद नहीं. कहा भले ना जा रहा हो, लेकिन पश्चिम बंगाल चुनाव का रिजल्ट कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ जा सकता है. 

दलित नेताओं को मिल सकता है मौका
इनके अलावा बताया जा रहा है कि राजनीतिक के साथ सामाजिक समीकरण सही करने के लिए भाजपा किसी दलित नेता को भी मंत्रिमंडल में शामिल कर सकती है. आपको बता दें कि फिलहाल मध्य प्रदेश से वीरेंद्र कुमार खटीक, अनिल फिरोजिया, महेंद्र सोलंकी और संध्या राय दलित सांसद हैं.

ये भी पढ़ेंः Cabinet Expansion: मोदी कैबिनेट में यूपी से शामिल हो सकते हैं ये चेहरे, जानिए मप्र, बिहार, बंगाल से कौन हैं दावेदार

छत्तीसगढ़ में रमन सिंह और सरोज पांडेय की रेस 
मध्य प्रदेश से सटे राज्य छत्तीसगढ़ से रमन सिंह और सरोज पांडेय की चर्चा सबसे तेज चल रही है. रमन सिंह छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री हैं. हालांकि, साल 2018 में छत्तीसगढ़ में मिली हार के बाद से उनके पास कोई पद नहीं है. वह इस वक्त भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजनंदगांव से विधायक हैं. माना जा रहा है कि रमन सिंह को केंद्र में बुलाया जा सकता है.

fallback

वहीं, अगर सरोज पांडेय की बात करें, तो वह महिला राज्यसभा सांसद हैं. फिलहाल भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव हैं. 10 साल मेयर रहने और बेस्ट मेयर का अवॉर्ड पाने वाली सरोज का केंद्रीय नेत्तृव में अच्छी पकड़ बताई जाती है. राज्यसभा चुनाव में भी यह देखने को मिला था, जब उन्होंने कई दिग्गजों को पछाड़कर टिकट हासिल किया था. उस वक्त भी रमन सिंह और सरोज पांडेय को दो छोरों पर देखा गया था. 

fallback

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स- अमिताभ कहते हैं कि अगर भाजपा नए जनरेशन को प्रमोट कर रही है, तो रमन सिंह के लिए स्थान नहीं बनता है. प्रदीप सिंह का कहना है कि रमन सिंह जा सकते हैं, लेकिन उनके सामने समस्या है कि वह सांसद नहीं हैं. अब सवाल है कि अगले 6 महीने में उन्हें कहां से राज्यसभा सांसद बनाया जाए. इसके अलावा रेणुका सिंह अभी छत्तीसगढ़ से मंत्रिमंडल में शामिल हैं. 

अन्य राज्यों की स्थिति
उत्तर प्रदेश और बिहार-  उत्तर प्रदेश और बिहार के हिस्से कई सीटें जाने की संभवना जताई जा रही है. यूपी से अनुप्रिया पटेल सबसे मजबूत विकल्प मानी जा रही हैं, तो बिहार से सुशील मोदी. इसके अलावा जेडीयू के तीन नेता और पशुपति नाथ पासवान को लेकर भी चर्चा चली रही है.  

बंगाल और असम- पश्चिम बंगाल से भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा है. इसमें निशीथ प्रामाणिक, लॉकेट चटर्ची और दिलीप घोष में से कोई एक हो सकता है. इन दोनों के साथ मतुआ समाज के नेता शांतनु ठाकुर का भी नाम दौड़ में शामिल है. वहीं, असम से सर्वानंद सोनोवाल को मौका मिल सकता है.

ये भी पढ़ेंः MP का वो नेता जो आज तक नहीं हारा विधायकी, सामूहिक सम्मलेन में कराया था बेटा-बेटी का विवाह, PM मोदी से मिली थी तारीफ

WATCH LIVE TV

Trending news