Kumbh Sankranti 2023: कब है कुंभ संक्रांति? पद प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए इस दिन करें ये उपाय!
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Kumbh Sankranti 2023: कब है कुंभ संक्रांति? पद प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए इस दिन करें ये उपाय!

Kumbh Sankranti 2023 Snan Daan Time: मकर संक्रांति के तरह ही कुंभ संक्रांति पर भी स्नान-दान का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं कब है कुंभ संक्रांति और क्या है पूजा उपाय.

Kumbh Sankranti 2023: कब है कुंभ संक्रांति? पद प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए इस दिन करें ये उपाय!

Kumbh Sankranti 2023 Date: सूर्य के मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश को कुंभ संक्रांति (kumbh sankranti) कहते हैं. 17 जनवरी से कर्मों के न्याय देव शनि (shani) कुंभ राशि में विराजमान हैं. वहीं 13 फरवरी को सूर्य देव भी कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं. ऐसे में कुंभ संक्रांति से शनि और सूर्य की युति बनेगी. कुंभ संक्राति के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद पितरों को तर्पण, सूर्य देव (surya dev) की पूजा का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं कुंभ संक्रांति पर स्नान-दान और पूजा पाठ का शुभ समय.

कुंभ संक्रांति पुण्य काल 2023
13 फरवरी को सूर्योदय से ही कुंभ संक्राति लग जाएगी. कुभ संक्रांति पर पुण्य काल सुबह 08 बजकर 05 मिनट से शुरू होगा, जो सुबह 09 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. वहीं इस दिन महापुण्यकाल सुबह 08 बजकर 05 मिनट से  09 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. यानी इस दिन महापुण्य काल 01 घंटा 51 मिनट तक और पुण्यकाल 02 घंटे 55 मिनट तक रहेगा. इस शुभ मुहूर्त में सूर्यदेव की पूजा करना विशेष लाभदायी होता है.

कुंभ संक्राति सन्नान-दान
कुंभ संक्रांति पर स्नान-दान का विशेष महत्व है. इस दिन पुण्य काल और महा पुण्यकाल में किया गया स्नान-दान कई गुना लाभदायक होता है. इस दिन आप जरुरतमंदों को गेहूं, गुड़, लाल पुष्प, तांबा, लाल वस्त्र, घी, लाल फल इत्यादि का दान करना बहुत लाभदायी माना गया है.   

कुंभ संक्रांति पर दान का महत्व 
मकर संक्रांति की तरह ही कुंभ संक्रांति के दिन स्नान पर भी स्नान-ध्यान, दान-पुण्य का विशेष महत्व है. देवी पुराण के अनुसार कुंभ संक्रांति के दिन जो स्नान नहीं करता, दरिद्रता उसे कई जन्मों तक घेरे रहती है. वहीं जो लोग इस दिन स्नान-दान के साथ पूजा करते हैं उन्हें महापुण्य की प्राप्ति होती है. 

कुंभ संक्रांति पूजा विधि 
इस दिन प्रातः काल स्नान करने के बाद भगवान भास्कर (सूर्य) को जल अर्पित करें. जल में लाल फूल, गुड़, तिल और रोली या लाल चंदन मिलकार अर्घ्य दें. साथ ही सूर्य मंत्र का जाप करें. इसके बाद मंदिर में जाकर दीपक जलाएं और भगवान सूर्य के 108 नामों का जाप करें, इसके बाद सूर्य चालीसा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें. ऐसा करने से कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है. जिससे आपके यश, सम्मान, कीर्ति और करियर में वृद्धि होती है. साथ ही आपकी किस्मत सूर्य की तरह चमकने लगेगी. 

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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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