Tribal Community: मध्य प्रदेश में हर पांचवां व्यक्ति आदिवासी! फिर भी समाज की MP में ये दुर्दशा
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Tribal Community: मध्य प्रदेश में हर पांचवां व्यक्ति आदिवासी! फिर भी समाज की MP में ये दुर्दशा

MP News: मध्य प्रदेश की सरकार आदिवासी समुदाय को सुरक्षा और उनको बढ़ाने के लेकर कई तरह के वादे और दावे करती है. हालांकि, राज्य में सीधी जैसी कई घटनाएं होती हैं तो इससे कहना पड़ जाता है कि भले ही सरकार कुछ भी बातें और दावे करे, लेकिन मध्यप्रदेश में आदिवासियों की स्थिति दयनीय है.

Status of Tribal Society in Madhya Pradesh

Status of Tribal Society in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश (MP News) के सीधी जिले का पेशाब कांड आज पूरे देश में चर्चा में है. गौरतलब है कि राज्य की इस घटना ने पूरे देश में मानवता को शर्मसार किया है और इसलिए यहां तक कि राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज को खुद पीड़ित पक्ष से माफी मांगनी पड़ी है. बता दें कि मध्य प्रदेश में आदिवासियों की आबादी पूरे देश में सबसे ज्यादा है. इसलिए सभी पार्टियां चुनाव के मद्देनजर इस वर्ग की अहमियत समझती हैं. हालांकि, तमाम वादों और घोषणाओं के बावजूद इस वर्ग की हालत प्रदेश में अच्छी नहीं है और अक्सर मध्य प्रदेश में इस वर्ग के लोगों के उत्पीड़न के मामले सामने आते रहते हैं.

 

राजनीतिक दलों के लिए मध्य प्रदेश में आदिवासी क्यों हैं महत्वपूर्ण?
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में आदिवासी अपने चुनावी प्रभाव के कारण महत्वपूर्ण महत्व रखते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में आदिवासी आबादी लगभग 21.1 मिलियन थी, जो राज्य की कुल आबादी का लगभग 21.1% थी. मतलब मप्र में हर पांचवां व्यक्ति आदिवासी है. राज्य में अनुसूचित जनजातियों के लिए 47 आरक्षित सीटें हैं, जिससे वर्तमान की बीजेपी सरकार द्वारा इस समुदाय का वोट पाने के लिए कोल महोत्सव जैसे प्रयास किए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सतना में शबरी महोत्सव जैसे कार्यक्रमों और त्योहारों के माध्यम से आदिवासी मतदाताओं के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने की कोशिश हैं. पीएम मोदी की लगातार यात्राएं, विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में, उनको साधने को प्रदर्शित करती हैं. हाल ही में,पीएम मोदी को शहडोल के पकरिया में आदिवासी बच्चों के साथ बातचीत करते हुए देखा गया था.

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हालांकि, एक तरफ सरकार खुद को आदिवासियों की हितैषी बताती है, लेकिन ये भी सच है कि मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय के बीच लगातार कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिन्होंने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है. 

 

क्या आदिवासी समाज सरकार के लिए सिर्फ वोट बैंक? 
हाल के वर्षों में मध्य प्रदेश में आदिवासियों के खिलाफ अपराधों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है, जिससे यह देश में ऐसी घटनाओं की सबसे अधिक संख्या वाले राज्यों में से एक बन गया है. 2021 में, राज्य में एससी/एसटी अधिनियम के तहत 2,627 मामले दर्ज किए गए, जो पिछले वर्ष के 2,401 मामलों के आंकड़े से 9.38% अधिक है. इसके अलावा, इस अवधि के दौरान दलितों के खिलाफ अत्याचार की कुल 7,214 घटनाएं दर्ज की गईं.

सीधी के अलावा मध्य प्रदेश में भी ऐसी कई घटनाएं हुईं. जिससे सवाल उठता है कि क्या आदिवासी समाज सरकार के लिए सिर्फ वोट बैंक है. ऐसा लगता है कि सरकार को मध्य प्रदेश में आदिवासी उत्पीड़न और उन पर अत्याचार की घटनाओं की कोई खास परवाह नहीं है. उदाहरण के लिए, नेमावर में एक दुखद घटना सामने आई थी, जहां एक आदिवासी परिवार के पांच सदस्यों की बेरहमी से हत्या कर दी गई. नीमच में कन्हैया लाल भील नाम के एक आदिवासी युवक को बेरहमी से पीटा गया और एक अन्य घटना में भगोरिया मेले के दौरान एक आदिवासी लड़की के साथ खुलेआम छेड़छाड़ की गई.  ये उदाहरण और कई घटनाएं सरकार द्वारा आदिवासी समुदायों की सुरक्षा और भलाई करने के दावे की पोल खोलते हैं और कहा जा सकता है कि ऐसे अपराधों को रोकने के लिए प्रभावी उपाय किए जाने चाहिए, पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करना चाहिए और एक ऐसे समाज को बढ़ावा देना चाहिए जहां हर व्यक्ति के साथ सम्मान मिले.

 

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