बीजेपी मध्य प्रदेश में होने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव के समीकरण साधने में जुटी है. बीजेपी ने इसके लिए तैयरियां भी शुरू कर दी हैं. शिवराज सरकार ने एक खास वर्ग के युवाओं को साधने को लेकर बड़ा ऐलान किया है.
Trending Photos
भोपाल। मध्य प्रदेश में ''मिशन-2023'' की तैयारियां शुरू हो गई हैं. सत्ता की कुंजी को साधने के लिए अब प्रदेश सरकार ने एक बड़ा दांव चला है. मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार जनजातीय वर्ग के युवाओं को फिल्म मेकर बनाएगी. शिवराज सरकार में मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने इसकी घोषणा की है. इस दौरान उन्होंने पूर्व सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ पर भी जमकर निशाना साधा. मंत्री ने कहा कि कमलनाथ ने झूटी घोषणा कर भोलेभाले इस वर्ग को गुमराह किया था.
आदिवासी युवा बनेंगे फिल्म मेकर
MSME मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने कहा ''जनजातीय वर्ग के जीवन को बदलना उन्हें तरक्की के राह पर लाना हमारी सरकार का पहला काम है. इसलिए अब जनजातीय वर्ग के युवाओं को फिल्म मेकर बनाने पर हमारा जोर रहेगा. इसको लेकर रणनीति बनाई गई है, मैपकास्ट हर जिले में इस तरीके से आयोजन करके ऐसे कलाकारों की तलाश करेगी और उन्हें ट्रेंड कर फिल्ममेकर बनाएगी. क्योंकि जनजातीय समाज से आने वाला प्रदेश का युवा हुनरमंद बस उन्हें मौका मिलना चाहिए.'''
कमलनाथ सरकार पर साधा निशाना
मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि ''''कमलनाथ को जमीनी समझ नहीं है. उन्होंने चुनावी एजेंडे में ऐसी घोषणा है कि जिससे यह भोला-भाला वर्ग गुमराह हुआ और कुछ वोट कांग्रेस के पक्ष में गए, अब इस वर्ग का जीवन बदलने के लिए सरकार प्रयास कर रही है. शिवराज सरकार अब युवाओं को राह पर लाने की तैयारी है, जब युवा फिल्म मेकर बनेंगे तो इसका ओर इनके परिवार की तरक्की के राह आएंगे जीवन बदलेगा.''
जानिए इसके सियासी मायने
दरअसल, मध्य प्रदेश में सत्ता की कुंजी कहे जाने वाले जनजातीय वर्ग को साधने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां कोई मौका नहीं छोड़ती है. प्रदेश सरकार का चुनावी आहट के बीच के एमपी सरकार का जनजातीय वर्ग के युवाओं को फिल्म मेकर बनाने का बड़ा दांव माना जा रहा है. सरकार के इस दांव के कई सियासी मायने है. जनजतीय वर्ग की आबादी एमपी में 20 फीसदी है. 47 विधानसभा सीट ST आरक्षित है. जबकि कुल 85 सीट पर जनजातीय वर्ग निर्णायक वोट है.
समझिए आदिवासियों की सियासी ताकत
मध्य प्रदेश के पिछले कुछ चुनावी इतिहास पर नजर डाले तो यह बात स्पष्ट समझ में आती है कि कैसे प्रदेश की सियासत में आदिवासी वर्ग कैसे हार-जीत का समीकरण तय करता है. मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय सियासत में अहम स्थान रखता है. आदिवासी वर्ग के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं, जबकि आदिवासी वर्ग प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव रखते हैं और यहां हार-जीत में अहम भूमिका निभाते है. 2018 के विधानसभा चुनाव में 47 में 31 सीटें कांग्रेस ने जीती थी, तो वहीं भाजपा को सिर्फ 16 सीट मिली थी. जबकि 35 अनुसूचित जाति वर्ग की 17 सीटों पर कांग्रेस और 18 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. जिससे इन सीटों पर दोनों ही पार्टियों ने खास फोकस शुरू कर दिया है.