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सर्वपितृ अमावस्या और सूर्य ग्रहण एक साथ, श्राप से बचने के लिए न करें ये गलतियां

sarva pitru amavasya and surya grahan: साल 2023 में पड़ने वाला सर्वपितृ अमावस्या (arvapitri amavasya) और सूर्य ग्रहण (solar eclipse) एक साथ ही आ रहे हैं. ऐसे में हमें अशांति और श्राप से बचने के लिए कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए. आज हम आपको पितृपक्ष और ग्रहण में वो 5 मिस्टेक बता रहे हैं जो नहीं करनी चाहिए.

धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

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धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

सनातम धर्म में सभी मान्यताओं और विधियों का धार्मिक के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण होता है. इसी कारण कुछ भी करने से पहले पत्रा और शुभ समय देखा जाता है. ऐसे में इस साल सर्वपितृ अमावस्या (sarva pitru amavasya) और सूर्य ग्रहण (surya grahan) एक साथ होने के कारण कई लोगों के मन में सवाल है कि शुभ और अशुभ समय एक साथ है तो क्या करें. हम आपको इन्हीं समस्याओं का समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं और बता रहे हैं किया आपको कौन से गलतियां नहीं करनी है.

सूर्य ग्रहण

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सूर्य ग्रहण

14 अक्टूबर का सूर्य ग्रहण कंकणाकृती सूर्यग्रहण कहलाएगा. ये अश्विन मास की अमावस्या को कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र में है. ग्रहण रात 8 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगा और और 15 अक्टूबर की मध्य रात्रि 2:25 मिनट पर समाप्त होगा. हालांकि, सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जाएगा.

सर्वपितृ अमावस्या

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सर्वपितृ अमावस्या

इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हो रही है. इसका समापन 14 अक्टूबर को होगा. यानी 14 अक्टूबर को ही सर्वपितृ अमावस्या या पितर विसर्जन होगा. इस दौरान पूरी 15 दिन लोग अपने पूर्वजों को याद कर उनके लिए पूजन करेंगे.

सूर्य ग्रहण मान्य होगा या नहीं

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सूर्य ग्रहण मान्य होगा या नहीं

ग्रहण का सूतक काल करीब 12 घंटे पहले से लग जाता है. हालांकि, इस बार ये भारत में नहीं दिखेगा इस कारण इसकी मान्यता नहीं होगा. ऐसे में अमावस्या को किए जाने वाले सारे काम किए जा सकते हैं.

ग्रहण में क्या करें क्या न करें

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ग्रहण में क्या करें क्या न करें

आमतौर पर ग्रहण में शुभ कार्य नहीं किए जाते. इस दौरान खाना न तो पकाया जाता न ही खाया जाता. भगवान की पूजा और तस्वीर या मूर्ति को स्पर्श करना वर्जित होता है. सूतक काल मानसिक जप करने का विशेष महत्व है. इस समय मंत्रों का जप और हरिनाम कीर्तिन करना चाहिए.

पितृ अमावस्या पर क्या न करें

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पितृ अमावस्या पर क्या न करें
- उन्हीं पितरों का श्राद्ध करें जिनकी तिथी मालूम न हो - बाल-नाखून कटवाने से बचना चाहिए - घर के द्वार से किसी को खाली हाथ न भेजें - किसी भी कमजोर का अपमान न करें - तामसी भोजन, मांस, मदिरा के सेवन से बचें

इन कामों से होता है पितृ दोष

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इन कामों से होता है पितृ दोष

लोहे के बर्तन का उपयोग, इत्र या परफ्यूम का इस्तेमाल, भूल चूक के लिए क्षमा न मांगना कुछ ऐसी चीजें है जिनसे पितृ दोष होता है. इस कारण इनसे बचना चाहिए.

सर्वपितृ अमावस्या महत्व

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सर्वपितृ अमावस्या महत्व

सर्वपितृ अमावस्या का काफी महत्व होता है. इसमें सूर्य और चंद्रमा दोनों एक ही राशि में होते हैं. सूर्य पिता और चंद्रमा मां का प्रतिनिधित्व करता है. इस दिन जल दान, श्राद्ध तर्पण और पिंडदान से उनकी आत्मा का शांति मिलती है.

पितृ पक्ष में क्या करें क्या न करें

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पितृ पक्ष में क्या करें क्या न करें

पितृ पक्ष में पिंड दान करना चाहिए. तर्पण के लिए कुषा, आटा और काले तिल जल में चढ़ाना चाहिए. ब्राह्मण को भोजन कराएं. इस समय तामसिक भोजन से परहेज रखें और मांस मदिरा और लहसून प्याज का सेवन न करें.

डिस्क्लेमर

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डिस्क्लेमर

डिस्क्लेमर (disclaimer): यहां दी गई जानकारी को जांचने का हर संभव प्रयास किया गया है. हालांकि, इसे लेकर Zee Media किसी तरह की नैतिक पुष्टि नहीं करता. आप हर जानकारी के लिए विषय विशेषज्ञों से जानकारी ले सकते हैं.