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आधी रात को खुला महाकाल मंदिर: 364 दिन बाद नागचन्द्रेश्वर ने दिए दर्शन, तस्वीरों में जानें महिमा

नागपंचमी के अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य शिखर पर स्थित भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए सोमवार रात 12 बजे से द्वार खोल दिए गए. जो 24 घंटे के लिए खुले रहेंगे.

 

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364 दिन बाद ठीक रात 12 बजे महाकालेश्वर मन्दिर के शिखर पर विराजमान नागचंद्रेश्वर के दर्शन हेतु खुले द्वार. मंदिर के महंत व पंडे पुजारियों ने की विशेष त्रिकाल पूजा उसके बाद आम जन को दर्शन हेतु मिला प्रवेश. नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए सोमवार देर शाम 7 बजे से ही श्रद्धालुओं की कतार लग गई थी.

 

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जानकारों के अनुसार नागचंद्रेश्वर पर विराजमान शिव परिवार की ये अद्धभूत प्रतिमा 11विं शताब्दी की है, जिसमे शिव-शक्ति का साकार स्वरूप नजर आता है, आम तौर पर शेष नाग पर सिर्फ भगवान विष्णु विराजमान होते है, लेकिन महाकाल मंदिर के शिखर पर शिव परिवार नागचंद्रेश्वर पर विराजमान हैं. साथ ही शिखर पर चांदी के शेष नाग और चांदी के शिवलिंग भी विराजमान है, जिनके दर्शन हेतु हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालू उज्जैन पहुचते हैं.

 

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मंदिर के मुख्य व वरिष्ठ पुजारी महेश शर्मा बताते हैं कि महाकाल में शिव परिवार शेष नाग पर विराज मान है, इसलिये ये अद्भुत प्रतिमा है. हालांकि प्राचीन काल मे ये उत्सव नदी क्षिप्रा किनारे होता था, मान्यता है श्री राम जब क्षिप्रा किनारे आए थे तो शेष नाग भगवान राम के चरण वंदन किए थे. तभी से ये पर्व वहां मनाया जाता था. कालांतर में दुलर्भ प्रतिमा मिली तो उसे महाकाल मंदिर के शिखर पर विराजीत किया गया और नागपंचमी पर्व महाकाल के धाम में मनाया जाने लगा.

 

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मान्यता ये भी है कि विश्व भर में वासुकी, शेष व तक्षक जो तीन नाग है. उनमें से तक्षक ने महादेव की तपस्या कर शिव के सानिध्य में रहने का वरदान मांगा था. तक्षक की प्रकृति एकांत है, इसलिए वे साल भर एकांत में रहते हैं और एक बार ही दर्शन देते है. वासुकी नाग का स्थान प्रयाग में है, शेष का समुद्र में भगवान विष्णु की सेवा में.

 

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नागचन्द्रेश्वर मंदिर करीब 60 फीट की ऊंचाई पर है. पूर्व के समय में मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को परेशानी होती थी. बाद में मंदिर प्रबंध समिति द्वारा अन्य दूसरा रास्ता लोहे की सीढ़ियों वाला निर्माण किया गया, ताकि अधिक दर्शनार्थी दर्शन लाभ ले सकें.

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बता दें नागपंचमी के लिए की गई व्यवस्था के तहत सोमवार से ही मंदिर की ओर आने-जाने वाले वाहनों को चारधाम, हरसिद्धि, बेगमबाग, महाकाल घाटी, गुदरी चौराहा आदि मार्गों पर रोका गया है. इसी तरह महाकाल मंदिर के चारों तरफ बैरिकेट्स लगे होने व श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए भी मार्ग परिवर्तित किया गया है.