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मान्‍यता: नागद्वारी से जाता है नागलोक का रास्‍ता, कठ‍िन और दुर्गम रास्‍तों से होती है यात्रा

मध्‍य प्रदेश के पचमढ़ी में नाग पंचमी के अवसर पर एक ऐसा मेला लगता है जहां  काफी दुर्गम रास्‍तों से होकर जाना होता है. यहां जंगलों में प्रकृत‍ि के बेहतरीन नजारे देखने को तो म‍िलते ही हैं लेक‍िन ये यात्रा बहुत खतरनाक होती है. इसमें जंगलों में कई घंटे पैदल चलना होता है.  

खतरनाक रास्‍तों से होता है सफर

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खतरनाक रास्‍तों से होता है सफर

मध्‍य प्रदेश के पचमढ़ी में नागद्वारी का मेला बहुत फेमस होता है. इस जगह के बारे में बहुत ही कम जानकारी बाहर आ पाती है क्‍योंक‍ि इस पूरी ट्र‍िप में दो द‍िन का समय लगता है और अंदर जंंगल के खतरनाक रास्‍ते होते हैं. सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी में नागद्वारी मेले का आयोजन 23 जुलाई से शुरू हुआ था. यह मेला 3 अगस्त तक चलेगा. भारी बारिश के बाद भी देशभर से श्रद्धालु इस भव्य मेले में पहुंचते हैं.

नाग पंचमी से 10 द‍िन पहले शुरू होता है मेला

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नाग पंचमी से 10 द‍िन पहले शुरू होता है मेला

नागद्वारी मेला सावन के महीने में नागपंचमी से 10 दिन पहले शुरू होता है. नागपंचमी के दिन इस मेले का समापन होता है.  

करीब 10 लाख लोग होते हैं शाम‍िल

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करीब 10 लाख लोग होते हैं शाम‍िल

नागद्वारी, महाराष्ट्रियन समुदाय में विशेष स्थान रखता है. अमूमन इस मेले में 10 लाख से ज्‍यादा लोग शामिल होते हैं जिसमें 90 फीसदी महाराष्ट्र के होते हैं. 

महाराष्‍ट्र से आते हैं काफी लोग

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महाराष्‍ट्र से आते हैं काफी लोग

नागदेव, महाराष्ट्र में विदर्भ के जनसमुदाय के कुल देवता हैं. इस वजह से नागपुर और उससे सटे इलाकों के लोग हर साल नागद्वारी की यात्रा में आते हैं.

घने जंगलों के बीच है नागद्वारी

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घने जंगलों के बीच है नागद्वारी

नागद्वारी, सतपुड़ा के घने जंगलों और पहाड़ों के बीच स्थित है. इसमें न तो कोई मानव बस्ती है और न कोई स्थाई ठिकाना.

बहुत खास है ये मेला

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बहुत खास है ये मेला

यहां साल के सिर्फ 10 दिन आने की परमिशन मिलती है. इसल‍िए ये मेला बहुत ही खास हो जाता है. बाकी द‍िनों में यहां जंगली जानवरों को वास रहता है.