Panna Rath Yatra: जग्गन्नाथपुरी के तर्ज पर हर साल मध्य प्रदेश के पन्ना में भी अनूठी रथयात्रा निकाली जाती है. पन्ना में शुक्रवार को इस रथयात्रा की शुरुआत की गई. रथयात्रा में हजारों की संख्या में शामिल हुए.
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पीयूष शुक्ला/पन्नाः देश के दिल कहे जानें वाले राज्य मध्य प्रदेश का शहर पन्ना में हर साल आयोजित होने वाली रथयात्रा की परंपरा अनूठी है. ओडिशा के जगन्नाथपुरी की तर्ज पर हर साल यहां भी जगन्नाथ यात्रा आयोजित की जाती है. इस भव्य रथयात्रा में धार्मिक समारोह में राजशी ठाट-बाट और वैभव की झलक दिखती है. हर साल की तरह इस साल भी रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ स्वामी की एक झलक पाने समूचे बुन्देलखण्ड क्षेत्र से हजारों की संख्या में आज श्रद्धालु पन्ना पहुंचे. शुक्रवार को बहुत उत्साह के साथ नगर में जगन्नाथ स्वामी की रथ यात्रा निकाली गई. इस दौरान प्रशासन भी अलर्ट दिखाई दिया.
170 साल से निकाली जाती है रथयात्रा
उड़ीसा के जगन्नाथपुरी के तर्ज पर हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पन्ना में भी रथयात्रा निकाली जाती है. इस ऐतिहासिक रथयात्रा की शुरुआत पन्ना नरेश महाराजा किशोर सिंह द्वारा 170 वर्ष पूर्व शुरू की गई थी, जो परम्परानुसार हर साल निकाली जाती है. हर वर्ष की तरह इस साल भी पन्ना में धूमधाम से रथयात्रा निकालकर सदियों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन किया गया. बता दें कि यह अनुठी रथयात्रा देश भर में तीन जगह ही निकाली जाती है.
जगन्नाथपुरी के तर्ज पर यहां भी होता है परंपरा का निर्वहन
पन्ना निवासी जिले की प्राचीन व ऐतिहासिक रथयात्रा महोत्सव की शुरुआत तत्कालीन पन्ना नरेश महाराजा किशोर सिंह ने की थी. उस समय वे जगन्नाथपुरी से भगवान जगन्नाथ स्वामी जी की मूर्ति लेकर आये थे और पन्ना में भव्य मन्दिर का निर्माण कराया था. जगन्नाथपुरी में समुद्र है इसलिए पन्ना के जगन्नाथ स्वामी मन्दिर के सामने सुन्दर सरोवर का निर्माण कराया गया था. तभी से यहां पुरी की ही तर्ज पर रथयात्रा समारोह का आयोजन होता है, जिसमें लोग पूरे भक्ति भाव और श्रद्धा के साथ शामिल होते हैं. भगवान जगन्नाथ स्वामी को अंकुरित मूंग का भोग चढ़ाया जाता है. आज भी यहां पर अंकुरित मूंग व मिश्री का भोग चढ़ता है.
जानिए कैसे निकलती है रथयात्रा
जानकारों का यह कहना है कि राजाशाही जमाने में पन्ना की रथयात्रा बड़े ही शान-शौकत व वैभव के साथ निकलती थी. इस रथयात्रा में सैकड़ों हांथी, घुड़सवार, सेना के जवान, राजा-महाराजा व जागीरदार सब शामिल होते थे. हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल माह की द्वितीय तिथि को यहां पुरी के जगन्नाथ मन्दिर की तरह हर साल रथयात्रा निकलती है. रथयात्रा के दौरान यहां भी भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ मन्दिर से बाहर सैर के लिए निकलते हैं. यह अनूठी रथयात्रा पन्ना से शुरू होकर तीसरे दिन जनकपुर पहुंचती है. महाराजा किशोर सिंह के पुत्र हरवंशराय द्वारा जनकपुर में भी भव्य मन्दिर का निर्माण कराया गया था. रथयात्रा के जनकपुर पहुंचने पर यहां के मन्दिर को बड़े ही आकर्षक ढ़ंग से सजाया जाता है तथा यहां पर मेला भी लगता है.
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