MP Election: बुंदेलखंड में फिर न हो 'बाबा' की बगावत, BJP का बड़ा दांव, 6 का आदेश 15 को वायरल
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh1917520

MP Election: बुंदेलखंड में फिर न हो 'बाबा' की बगावत, BJP का बड़ा दांव, 6 का आदेश 15 को वायरल

MP Election: बुंदेलखंड में 'बाबा' फिर से बगावत न कर दें इसके लिए बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है. क्योंकि 2018 में उनकी बगावत बीजेपी को भारी पड़ी थी. 

 

रामकृ्ष्ण कुसमरिया, पूर्व मंत्री

MP Election: मध्य प्रदेश में चुनाव का ऐलान होने के बाद बीजेपी की सक्रियता बढ़ गई हैं. इस बीच एक बड़ा मामला सामने आया है, जब प्रदेश सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष पद पर भाजपा के कद्दावर पूर्व मंत्री डॉ रामकृष्ण कुसमरिया की नियुक्ती की है. खास बात यह है कि उनकी नियुक्ति 6 अक्टूबर को ही कर दी गई थी, लेकिन इसका आदेश 15 अक्टूबर को वायरल हुआ है. 

कही 'बाबा' बागी न हो जाए 

दरअसल, बाबा की नियुक्ति के पीछे राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हैं कि 'बाबा' 2018 के विधानसभा चुनाव की तरह बागी न हो जाए. इसलिए उनकी बगावत को रोकने के लिए उन्हें पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है. बता दें कि 2018 के चुनाव में कुसमरिया की बगावत ही सूबे में भाजपा को सरकार बनाने से दूर रखने में अहम थी. कुसमरिया बागी हो गए थे उन्होंने दमोह जिले कि दो सीटें दमोह और पथरिया से निर्दलीय चुनाव लड़ा था. इन दोनों सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. जब हार की समीक्षा हुई तो इसका कारण रामकृष्ण कुसमरिया निकले थे. 

कुसमरिया इस बार भी थे दावेदार 

बता दें कि इस बार भी कुसमरिया पथरिया सीट से प्रबल दावेदार थे, लेकिन भाजपा ने अपनी पहली ही लिस्ट में पथरिया से लखन पटेल को प्रत्याशी घोषित कर दिया. लेकिन बाबा का डर पार्टी को सता रहा था और बाबा फिर बागी न हो इसलिए उन्हें आयोग में अध्यक्ष के पद पर बैठा दिया गया. लेकिन बड़ा सवाल यह भी है कि  कुसमरिया में ऐसा क्या है जिसको लेकर पार्टी संभलकर चल रही है. 

क्योंकि रामकृष्ण कुसमरिया का प्रभाव दमोह के साथ-साथ पूरे बुंदेलखंड अंचल में हैं. ओबीसी वर्ग खास तौर पर कुर्मी जाति के वह बड़े नेता है और उनका प्रभाव भी है. कुसमरिया जनसंघ के जमाने के नेता हैं और पांच बार सांसद रहने के साथ तीन बार विधायक रहे हैं, शिवराज सरकार में कृषि मंत्री रहे हैं कृषि विषय में डॉक्टरेट की उपाधि उनके पास है. ऐसे में पार्टी इस बार उन्हें साधकर चलना चाहती है. 

इतना ही नही नाराज कुसमरिया ने 2019 के लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस का दामन थाम लिया, कमलनाथ ने राहुल गांधी के हाथों उन्हें भोपाल में बडे मंच से कांग्रेस की सदस्यता दिलाई थी. हालांकि कुसमरिया ज्यादा दिन कांग्रेस में टिक नहीं पाये और प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ तो वो फिर भाजपा के साथ खड़े हो गए. इस चुनाव में उम्मीद के साथ कुसमरिया ने टिकट मांग की लेकिन भाजपा उन्हें मैदानी लड़ाईं नहीं लड़ाना चाहती थी. शायद इसी लिए उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर आयोग का अध्यक्ष बनाया है. 

ये भी पढे़ंः Assembly Election 2023: मंगलवार को आएगा कांग्रेस का घोषणा पत्र, ये 8 बिंदू होंगे अहम

Trending news