मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 ( assembly election 2023 ) के लिए युवा कांग्रेस का एक बूथ पांच यूथ अभियान फ्लॉप होता नजर आ रहा है. अब तक प्रदेश के के 65000 बूथों में से सिर्फ 18000 बूथों पर ही यूथ तैनात हो सके हैं. इस कारण कांग्रेस की टेंशन भी बढ़ गई है.
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आकाश द्विवेदी/भोपाल: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए राजनीतिक पार्टियां सक्रिय हो गई हैं. इससे के लिए अलग-अलग अभियान चलाए जा रहे हैं. इसी क्रम में युवा कांग्रेस ने 'एक बूथ पांच यूथ अभियान' की शुरुआत की, जो इन दिनों काफी धामा पड़ गया है. युवा कांग्रेस अब तक अपने तय लक्ष्य से काफी पीछे हैं. ऐसे में युवा कांग्रेस के नेताओं ने सक्रियता बढ़ा दी है और कमर कसकर मैदान में उतर रहे हैं.
2023 के पहले सभी बूथ में तैनात होंगे यूथ
प्रदेश के 65000 बूथों में से अब तक सिर्फ 18000 बूथों पर ही यूथ तैनात हो सके हैं. प्रदेश भर में यूथ को जोड़ने के लिए यूथ कांग्रेस के दिग्गजों ने अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में दौरे शुरू कर दिए हैं. यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया का दावा है कि 2023 के पहले सभी 65000 बूथों पर युवाओं की फौज तैनात कर दी जाएगी.
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युवा कांग्रेस ने की ये तैयारियां
कांग्रेस के मिशन 2023 के लिए युवा कांग्रेस अब पूरे लगन से जुट गई है. इसके लिए यूथ कांग्रेस ने प्लान बनाया है, जिसके तहत हर विधानसभा में प्रभारी तैनात किए जाएंगे. इन्हें वकायदा ट्रेनिंग भी दी जाएगी. इसके साथ ही हर बूथ पर सोशल मीडिया प्रभारी नियुक्त किए जाएंगे, जो मतदान सूची पर भी नज़र रखेंगे.
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2023 में युवा टर्निंग पॉइंट रहेंगे
मध्य प्रदेश में राजनीतिक दल 2023 के कमर कसने में जुट गए है. राजनीतिक जानकारों का भी मानना है कि प्रदेश में जिस तरह की स्थिति बन रही है, उसमें 2023 में युवा टर्निंग पॉइंट रहेंगे. ऐसे में यूथ कांग्रेस के एक बूथ पर पांच यूथ अभियान फ्लॉप होने के बाद कांग्रेस की टेंसन बढ़ गई है. इस कारण पार्टी अब जिलों में भी प्रभारी तैनात कर रही है.
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निकाय चुनाव में दोनों पार्टियों का हुआ है घाटा
बता दें बीजेपी को इस बार 16 में से केवल 9 नगर निगमों में महापौर के चुनाव में जीत मिली है. जबकि सात नगर निगम उसके हाथ से निकल गए. वहीं बात अगर कांग्रेस की जाए तो कांग्रेस को पांच नगर निगमों में जीत मिली है. लेकिन पिछली बार की तुलना में इस बार पार्टी के हाथ से कई नगर पालिकाएं और नगर परिषद निकल गईं. ऐसे में दोनों पार्टियों का मकसद है कि चुनाव से पहले इसकी भरपाई की जा सके.