Jabalpur News: प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर की पत्थर शिल्प कला को जीआई टैग मिलने से शहर के शिल्पकार बेहद खुश हैं. आइए आपको बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्टोन क्राफ्ट्स के दाम क्यों बढ़ सकते हैं?
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अजय दुबे/जबलपुर: हाल ही में मध्य प्रदेश के 9 उत्पादों को जीआई टैग मिला है. जिसमें जबलपुर के भेड़ाघाट के हस्तशिल्प श्रेणी में जबलपुर पत्थर शिल्प को भी जीआई (Jabalpur stone craft GI Tag) द्वारा पंजीकृत किया गया है. जिसके बाद से भेड़ाघाट की संगमरमर वादियों के किनारे संगमरमर के पत्थरों पर नक्काशी कर भगवान की मूर्तियां, सजावटी वस्तुओं और बर्तन बनाने वाले शिल्पकार बेहद खुश नजर आए.
मार्केट हो तैयार: शिल्पकार
पत्थर की नक्काशी करने वाले शिल्पकारों का कहना है कि एक मूर्ति बनाने में 2 से 3 दिन का वक्त लगता है. बड़ी मेहनत के साथ बारीकी से कुरेद कर मूर्तियों पर नक्काशी की जाती है. इसके बावजूद उनकी पहचान स्थानीय स्तर पर थी. अब जीआई टैग मिलने पर उनकी मूर्तियों और बनाए हुए सामग्री के बिक्री में बढ़ोतरी के साथ लोगों की विश्वसनीयता और भी बढ़ेगी. इसके साथ ही शिल्पकारो ने सरकार से पत्थर शिल्प कारों द्वारा बनाई गई सामग्री को बेचने के लिए एक मार्केट तैयार कराने की मांग की है. जिससे उनकी मूर्तियां देश और विदेशों में आसानी से बेची जा सकें.
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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी मांग
गौरतलब है कि जीआई टैग मिलने के बाद अब जबलपुर के स्टोन क्राफ्ट की पहचान पूरे विश्व में होगी. साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग बढ़ेगी. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि इससे शहर के कारीगरों को काफी फायदा मिलेगा.
कई उत्पादों को हाल ही में मिला जीआई टैग
हाल ही में मप्र के कई उत्पादों को जीआई टैग (GI tag to many products of MP) मिला है. जिसमें ग्वालियर का कालीन, भेड़ाघाट का स्टोक्रॉप, डिंडौरी का गोंड चित्र, उज्जैन का बाटिक प्रिंट, बालाघाट की वारासिवनी सिल्क साड़ी और रीवा का सुंदरजा आम शामिल हैं. इसके अलावा सीहोर और विदिशा जिले के शरबती गेहूं, मुरैना के गजक को भी जीआई टैग मिला है.